भारत की ‘प्रभावी’ आतंकवाद विरोधी रणनीति!

वैश्विक सुरक्षा में आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है। दशकों से भारत इस आतंकवाद से जूझ रहा है। भारत ने अपनी रणनीतियाँ लगातार विकसित की हैं। नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है। यह लेख भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण को समझाता है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का पालन कैसे होता है। भारत की भूमिका एक जिम्मेदार वैश्विक अभिनेता की है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून: आत्मरक्षा का आधार
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का मूल आधार है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 51 इसे स्वीकार करता है। यह राज्यों को आत्मरक्षा का अधिकार देता है। भारत ने इस अधिकार का विवेकपूर्ण उपयोग किया है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को यह उचित ठहराता है। इससे भारत की वैश्विक साख मजबूत होती है। कार्रवाई हमेशा अंतरराष्ट्रीय शांति के अनुरूप होती है।
संयम और सटीकता: प्रमुख ऑपरेशन
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कई साहसिक कदम उठाए। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक एक बड़ा उदाहरण है। 2019 का बालाकोट एयर स्ट्राइक भी महत्वपूर्ण था। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया दृढ़ता। ये ऑपरेशन महज जवाबी कार्रवाई नहीं थे। इनका लक्ष्य सीमा पार आतंकवाद के खतरे को खत्म करना था। हर कार्रवाई सोच-समझकर की गई। अनुच्छेद 51 का सख्ती से पालन किया गया। संयम और आनुपातिकता का हमेशा ध्यान रखा।
इन ऑपरेशनों ने स्पष्ट संदेश दिया। भारत अपनी सुरक्षा के प्रति गंभीर है। फिर भी, वह अनावश्यक हिंसा से बचता है। यह दृष्टिकोण वैश्विक समर्थन पाता है। भारत को जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में देखा जाता है। इससे आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बल मिलता है।
इसे भी पढ़ें: ट्रंप का शांति दावा ईरान-इजरायल और अन्य विवादों में ट्रंप की भूमिका
वैश्विक मंच पर कूटनीतिक जीत
भारत सिर्फ सैन्य कार्रवाई पर निर्भर नहीं है। आतंकवाद से लड़ाई में कूटनीति भी अहम है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत मुखर रहा है। जी20 और एफएटीएफ जैसे फोरम भी महत्वपूर्ण हैं। भारत पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफल रहा। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को अलग-थलग किया गया। यह कूटनीतिक सफलता बहुत बड़ी है।
भारत ने मजबूत गठजोड़ भी बनाए हैं। अमेरिका, फ्रांस, इजराइल जैसे देशों के साथ सहयोग है। खुफिया जानकारी साझा करना आम बात हो गई है। संयुक्त प्रयासों से आतंकवाद का मुकाबला होता है। यह सहयोग भारत की विश्वसनीयता बढ़ाता है। भारत वैश्विक शांति के लिए प्रतिबद्ध दिखता है। क्षेत्रीय विवाद से ऊपर उठकर काम करता है।
लोकतंत्र बनाम आतंक: नैतिक बढ़त
भारत की एक बड़ी ताकत है उसका लोकतंत्र। यह विश्व का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है। यह आतंकवाद विरोधी कथा में केंद्रीय है। नियमित चुनाव और नागरिक स्वतंत्रता इसकी पहचान हैं। सेना पर नागरिक नियंत्रण स्पष्ट है। यह पाकिस्तान से सीधा विपरीत है। पाकिस्तान में सैन्य प्रभाव और आतंकवादी समर्थन का इतिहास है।
इस तुलना से भारत को नैतिक बढ़त मिलती है। वैश्विक राय भारत के पक्ष में झुकती है। पाकिस्तान के मानवाधिकार उल्लंघनों पर प्रकाश डाला जाता है। आतंकवाद को पनाह देने की नीति की निंदा होती है। भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों का शिकार और रक्षक दोनों दिखाया जाता है। यह छवि अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में मददगार है। अन्य लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत से जुड़ाव महसूस करते हैं।
इसे भी पढ़ें: पीएम मोदी की विदेश यात्रा बनाम मणिपुर- कांग्रेस का पीएम पर तीखा हमला
शक्ति प्रदर्शन और संयम का सिद्धांत
भारत की रणनीति में संयम अहम है। “पहले इस्तेमाल न करने” की परमाणु नीति इसकी मिसाल है। पारंपरिक स्तर पर भी संयम दिखाया जाता है। 2008 के मुंबई आतंकवाद हमले के बाद धैर्य रखा गया। तत्काल सैन्य जवाब नहीं दिया गया। इसके बजाय वैश्विक सहमति बनाने पर जोर दिया गया। यह परिपक्वता का संकेत है।
यह संयम भारत को विश्वसनीय बनाता है। वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता दिखती है। भारत की आवाज को गंभीरता से सुना जाता है। संघर्ष को बढ़ाने से बचना प्राथमिकता है। इससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहती है। भारत एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में उभरा है।
ताकत का विवेकपूर्ण प्रदर्शन
संयम के साथ भारत अपनी ताकत भी दिखाता है। आधुनिक सैन्य क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है। राफेल जेट और एस-400 सिस्टम जैसे अधिग्रहण महत्वपूर्ण हैं। ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइलें स्वदेशी उपलब्धि हैं। ये आतंकवाद और अन्य खतरों से निपटने के लिए जरूरी हैं। भारत इन क्षमताओं का खुला प्रदर्शन करता है।
जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑल-आउट जैसे अभियान चलाए गए। इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया गया। मीडिया और सार्वजनिक कूटनीति का सहारा लिया जाता है। भारत जोर देता है कि उसकी ताकत निवारक है। आक्रामक इरादे नहीं हैं। यह संदेश विरोधियों को हतोत्साहित करता है। भारत को स्थिर और विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करता है।
हार्ड पावर का प्रदर्शन आतंकवाद को रोकने में मदद करता है। यह भारत की रक्षा क्षमता का प्रमाण है। दुश्मनों को किसी भी कार्रवाई की कीमत समझ आती है। इससे आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश भी सतर्क होते हैं। भारत की निर्णायक क्षमता स्पष्ट संदेश देती है।
इसे भी पढ़ें: भारी बारिश से ढहा पुराना पुल, पुणे पुल हादसे में 2 की मौत, कई लापता
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति बहुआयामी है। यह वैधता, जिम्मेदारी और शक्ति का सही मिश्रण है। अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान मूलभूत है। वैश्विक मंचों पर सक्रियता अहम हिस्सा है। लोकतांत्रिक मूल्यों को हथियार बनाया जाता है। संयम और ताकत का संतुलन सावधानी से किया जाता है।
यह दृष्टिकोण भारत को विश्वसनीय बनाता है। वैश्विक सुरक्षा में भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित करता है। आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। भारत का मॉडल अन्य देशों के लिए मार्गदर्शक हो सकता है। कूटनीति और दृढ़ता के सही इस्तेमाल से सफलता मिलती है। भारत साझा वैश्विक शांति के लिए प्रतिबद्ध है। उसकी रणनीति इसी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
Post Comment