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2025 बिहार विधानसभा चुनाव: राजनीतिक भूचाल और जनादेश की चुनौती!

2025 बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार, जिसे भारत की राजनीतिक प्रयोगशाला कहा जाता है, एक बार फिर 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा के केंद्र में है। 8 करोड़ मतदाताओं के साथ यह चुनाव न केवल राज्य बल्कि केंद्र की सत्ता की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।

पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली JD(U) और BJP के गठबंधन ने शासन किया है, लेकिन अब राजनीतिक समीकरण बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं।

गठबंधनों की नई विसात: NDA vs इंडिया ब्लॉक

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में NDA (भाजपा+JD(U)+HAM) और इंडिया गठबंधन (RJD+कांग्रेस+वामदल) के बीच सीधा मुकाबला होगा। 2020 के विधानसभा परिणामों के अनुसार, NDA ने 125 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं।

इस बार, भाजपा JD(U) से अधिक सीटें मांग रही है, जिससे गठबंधन में तनाव पैदा हो गया है। वहीं, RJD नेता तेजस्वी यादव युवाओं और OBC वोटों को लुभाने के लिए “बेरोजगारी भत्ता” और “शिक्षा क्रांति” जैसे वादों पर जोर दे रहे हैं।

जाति जनगणना और वोटिंग पैटर्न

2023 में जारी जाति जनगणना के अनुसार, बिहार में OBC (63%) और EBC (36%) आबादी का बड़ा हिस्सा है। यह डेटा चुनावी रणनीतियों को नया आकार दे रहा है। भाजपा EBC और दलितों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए “सबका साथ, सबका विकास” के साथ-साथ “हिंदू अस्मिता” के नारे का इस्तेमाल कर रही है।

वहीं, RJD और कांग्रेस “सामाजिक न्याय 2.0” और “आरक्षण विस्तार” की बात करके पारंपरिक वोट बैंक को साधने की कोशिश में हैं।

प्रशांत किशोर का जन सुराज: गेम-चेंजर या विभाजक?

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की नई पार्टी ‘जन सुराज‘ एक अनिश्चित कारक बनकर उभरी है। उनकी “बिना जाति, बिना धर्म” की राजनीति शहरी युवाओं और मध्यम वर्ग को लुभा सकती है।

हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में संगठनात्मक कमजोरी और जातिगत समीकरणों की चुनौती उनके सामने है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पार्टी NDA के मुकाबले विपक्षी वोटों को अधिक काटेगी, जिससे भाजपा को फायदा हो सकता है।

महत्वपूर्ण मुद्दे: रोजगार, प्रवासन और महिला सुरक्षा

  1. बेरोजगारी: बिहार में 15-29 आयु वर्ग के 16.1% युवा बेरोजगार हैं (PLFS 2023)।
  2. प्रवासन: हर साल 25 लाख लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं।
  3. महिला सुरक्षा: एनसीआरबी 2022 के अनुसार, राज्य में बलात्कार के मामले राष्ट्रीय औसत से 34% अधिक हैं।

निष्कर्ष: कौन जीतेगा बिहार का दाव?

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के लिए 122 सीटों का जादुई आंकड़ा महत्वपूर्ण होगा। भाजपा की कोशिश है कि वह 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों की तरह “मोदी लहर” का फायदा उठाए, जबकि RJD “मंडल 3.0” के जरिए OBC-मुस्लिम एकजुटता बनाना चाहती है।

नीतीश कुमार की “विकास पुरुष” की छवि और उनके कल्याणकारी कार्यक्रम (जैसे बाइसिकल योजना) अभी भी ग्रामीण महिलाओं और EBC में लोकप्रिय हैं। अंततः, यह चुनाव जाति, विकास और राष्ट्रवाद के त्रिकोण पर टिका होगा।

यह चुनाव न केवल बिहार बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में बनने वाली सरकार के लिए भी एक संकेतक होगा।

जैसे-जैसे मतदाता पारंपरिक जातिगत समीकरणों से आगे बढ़कर रोजगार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर वोट कर रहे हैं, 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

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