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2029 में भी PM मोदी: फडणवीस ने रिटायरमेंट चर्चा को किया खारिज

आरएसएस नागपुर मुख्यालय में पीएम मोदी का भाषण

क्या 75 साल की उम्र में प्रधानमंत्री मोदी रिटायर हो जाएंगे?

यह सवाल पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है। 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का 75वाँ जन्मदिन है, और बीजेपी के एक “अघोषित नियम” के मुताबिक, इस उम्र के नेताओं को मंत्री पद छोड़ देना चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस चर्चा पर विराम लगाते हुए साफ कहा है—”मोदी जी हमारे पिता हैं। पिता के जीवित रहते उत्तराधिकार की बात करना हमारी संस्कृति नहीं।”

देवेंद्र फडणवीस का ऐलान: “मोदी 2029 तक प्रधानमंत्री रहेंगे”

शिवसेना नेता संजय राउत के दावे कि “मोदी सितंबर में रिटायर होंगे” के जवाब में फडणवीस ने सोमवार को नागपुर में पत्रकारों से कहा:

  • “पीएम मोदी का कोई उत्तराधिकारी नहीं, वह 2029 में भी देश का नेतृत्व करेंगे।”
  • “यह चर्चा मुगल संस्कृति की देन है, जहाँ सत्ता के लिए संघर्ष होता था। हमारी परंपरा में पिता के रहते उत्तराधिकारी की बात नहीं की जाती।”

फडणवीस के इस बयान ने न केवल मोदी की सेवानिवृत्ति की अटकलों को खारिज किया, बल्कि “परिवारवाद” और “संस्कृति” पर एक नया बहस भी छेड़ दिया।

आरएसएस के नागपुर दौरे ने क्यों बढ़ाई चर्चाएँ?

रविवार को पीएम मोदी ने 11 साल बाद आरएसएस के नागपुर मुख्यालय का दौरा किया। यह यात्रा राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई, क्योंकि:

  1. आरएसएस को बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है।
  2. संजय राउत ने दावा किया कि “मोदी ने आरएसएस को अपना रिटायरमेंट प्लान बताया।”
  3. शिवसेना (उद्धव गुट) ने इस यात्रा को “उत्तराधिकारी चयन की तैयारी” बताया।

हालाँकि, बीजेपी ने इन दावों को “बिना सबूत की अफवाह” करार देते हुए कहा कि मोदी का दौरा नियमित संपर्क का हिस्सा था।

क्या वाकई बीजेपी में है “75 साल की उम्र का नियम”?

पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं (जैसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी) को पद से हटाए जाने के बाद से यह चर्चा होती रही है। लेकिन बीजेपी ने इस नियम को कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया। उदाहरण के लिए:

  • जीतन राम मांझी (80 वर्ष) सूक्ष्म उद्यम मंत्री हैं।
  • अमित शाह (58 वर्ष) और राजनाथ सिंह (72 वर्ष) जैसे नेता अहम भूमिकाओं में हैं।

फडणवीस ने इस बिंदु पर जोर देते हुए कहा, “पीएम मोदी की ऊर्जा और लोकप्रियता युवाओं जैसी है। उम्र सिर्फ एक संख्या है।”

संजय राउत vs फडणवीस: टकराव की जड़ क्या है?

शिवसेना (राउत गुट) और बीजेपी के बीच महाराष्ट्र की सत्ता को लेकर तनाव पहले से ही है। राउत के “मोदी का उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा” जैसे बयानों को राजनीतिक विश्लेषक इन वजहों से महत्वपूर्ण मानते हैं:

  1. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को भ्रमित करने की रणनीति।
  2. आरएसएस और बीजेपी के बीच नेतृत्व को लेकर मतभेद की अटकलें।
  3. महाराष्ट्र में शिवसेना की राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश।

“मुगल संस्कृति” का जिक्र क्यों हुआ?

फडणवीस ने उत्तराधिकार की चर्चा को “मुगल संस्कृति” से जोड़कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उनका इशारा औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद की ओर था, जहाँ महाराष्ट्र सरकार ने उसकी कब्र को “सार्वजनिक स्थल” घोषित किया है। फडणवीस ने कहा:

  • “मुगलों में सत्ता के लिए भाई-भाई की हत्या कर दी जाती थी। हमारी संस्कृति में पितृसत्ता का सम्मान है।”
  • “मोदी जी ने देश को नई दिशा दी है। उन्हें हटाने की बात करना देशद्रोह जैसा है।”

क्या कहता है इतिहास?

  • इस बहस के बीच यह जानना दिलचस्प है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों में:
  • मनमोहन सिंह 81 साल की उम्र में पद छोड़ चुके थे।
  • अटल बिहारी वाजपेयी 81 साल तक सक्रिय राजनीति में रहे।

निष्कर्ष: “मोदी युग” का अंत अभी दूर है?

फडणवीस के बयान और बीजेपी के रुख से साफ है कि पार्टी 2024 और 2029 दोनों चुनावों में मोदी को ही अपना चेहरा बनाना चाहती है। हालाँकि, राजनीति में कुछ भी अटल नहीं होता। अगर स्वास्थ्य या जनादेश में बदलाव आया, तो अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, या कोई और चेहरा सामने आ सकता है। फिलहाल, “मोदी हमारे पिता” वाला नैरेटिव बीजेपी को एकजुट रखने का काम कर रहा है।ल नहीं होता। अगर स्वास्थ्य या जनादेश में बदलाव आया, तो अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, या कोई और चेहरा सामने आ सकता है। फिलहाल, “मोदी हमारे पिता” वाला नैरेटिव बीजेपी को एकजुट रखने का काम कर रहा है।

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