लोकसभा ने आप्रवासन विधेयक 2025 को मंजूरी दी: सुरक्षा और सुधार पर जोर
नई दिल्ली – लोकसभा ने गुरुवार २७ मार्च २०२५ को आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 (Immigration and Foreigners Bill, 2025) को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य भारत में प्रवेश, निवास और यात्रा से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाना और अवैध आप्रवासन को नियंत्रित करना है। इस विधेयक में डिजिटल प्रबंधन, सख्त सुरक्षा उपायों और पुरानी व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सरकार का रुख :
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा के दौरान स्पष्ट किया, “भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां कोई भी आकर बस जाए। हम केवल उन्हीं का स्वागत करेंगे जो देश के विकास में योगदान देंगे, लेकिन अराजकता फैलाने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह विधेयक तीन वर्षों की गहन समीक्षा और परामर्श के बाद तैयार किया गया है और इससे भारत की सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि दोनों को मजबूती मिलेगी।
मुख्य प्रावधान :
१) सरलीकृत प्रक्रियाएं: पर्यटकों, छात्रों, निवेशकों और पेशेवरों के लिए वीजा और निवास संबंधी नियमों को सरल बनाया गया है।
२) अवैध आप्रवासन पर रोक: रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संदिग्ध तत्वों की पहचान और निर्वासन के प्रावधान शामिल किए गए हैं।
३) पुराने कानूनों का विलय: पासपोर्ट अधिनियम, विदेशी अधिनियम जैसे चार पुराने कानूनों को समाहित कर एक व्यापक और आधुनिक कानून तैयार किया गया है।
४) डिजिटल निगरानी: आधुनिक तकनीकों के माध्यम से विदेशियों के दस्तावेज और गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।
५) आर्थिक प्रभाव: सरकार का मानना है कि सुव्यवस्थित आप्रवासन नीति से रोजगार सृजन और जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
गृहमंत्री अमित शाह बयान :
- “जो लोग विदेशों में जाकर वहाँ की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं, भारत भी ऐसे योग्य प्रवासियों का सम्मान करेगा।”
- “हमारी प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा और सुव्यवस्थित आप्रवासन है, न कि अव्यवस्थित घुसपैठ।”
- “इस विधेयक से भारत को वैश्विक निवेशकों और पेशेवरों के लिए और अधिक आकर्षक बनाया जाएगा।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया :
विपक्ष ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे अल्पसंख्यकों को लक्षित करने और सरकार की विभाजनकारी राजनीति को दर्शाने वाला बताया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ एक और हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की संभावना जताई।
सुरक्षा बनाम विवाद :
सरकार का दावा है कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा और आप्रवासन को संतुलित करेगा, जबकि विपक्ष इसे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का एक विस्तारित रूप मान रहा है। अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर और व्यापक बहस होने की संभावना है। इस विधेयक ने “सुरक्षित भारत बनाम CAA 2.0 के मुद्दे को लेके बहस छेड़ दि है।
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