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रूस से एचएएल संबंधों पर NYT रिपोर्ट ‘भ्रामक और तथ्यहीन’ भारत ने किया खारिज!

भारतीय कंपनी एचएएल और रूसी रक्षा एजेंसी के बीच संवेदनशील तकनीक आपूर्ति पर न्यूयॉर्क टाइम्स की विवादित रिपोर्ट।

क्या भारत ने वाकई रूस को संवेदनशील तकनीक की आपूर्ति की?

न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक विवादास्पद रिपोर्ट पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूसी हथियार एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट को संवेदनशील तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति की है। हालाँकि, विदेश मंत्रालय ने इसे “तथ्यात्मक रूप से गलत” और “भ्रामक” बताते हुए खारिज कर दिया है।

“रिपोर्ट में तथ्यों को विकृत किया गया”: विदेश मंत्रालय

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने कहा कि “एचएएल ने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पूरी तरह पालन किया है।” मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि भारत का रणनीतिक व्यापार नियंत्रण ढाँचा मजबूत है और कंपनियाँ नियमों का सख्ती से पालन करती हैं।

  • प्रमुख बिंदु:
  1. NYT की रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं।
  2. ब्रिटिश कंपनी के उपकरणों के रूस पहुँचने का कोई रिकॉर्ड नहीं।
  3. एचएएल ने हमेशा अंतिम उपयोगकर्ता प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट क्या कहती है?

NYT के मुताबिक, ब्रिटिश एयरोस्पेस कंपनी एच.आर. स्मिथ ग्रुप ने 2023-24 के बीच कुछ प्रतिबंधित उपकरण एक भारतीय फर्म को भेजे, जो रोसोबोरोनएक्सपोर्ट का “सबसे बड़ा साझेदार” बताई गई। हालाँकि, रिपोर्ट स्वीकार करती है कि “इन उपकरणों के रूस पहुँचने का कोई प्रमाण नहीं मिला।”

रिपोर्ट का विवादास्पद हिस्सा:

  • ब्रिटिश निर्माता से प्राप्त पुर्जों को “समान आईडी कोड” के साथ रूस भेजा गया।
  • यह दावा अप्रत्यक्ष सूचनाओं पर आधारित है।

“मीडिया को करनी चाहिए उचित जाँच”: सरकार

भारत सरकार ने मीडिया आउटलेट्स से “रिपोर्टिंग में बुनियादी उचित परिश्रम” का आग्रह किया है। एएनआई के सूत्रों ने कहा, “रणनीतिक व्यापार में भारत के कानून दुनिया के सर्वोत्तम मानकों पर खरे उतरते हैं। ऐसे आरोप निराधार हैं।”

क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?

  • एचएएल भारत की रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है।
  • रूस के साथ भारत के रक्षा सहयोग पर अंतरराष्ट्रीय नजरें हैं।

एचएएल कौन है और क्यों चर्चा में है?

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करने वाली प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी है। यह लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, और रक्षा तकनीक के निर्माण में अग्रणी है।

कुछ प्रमुख तथ्य:

  • स्थापना: 1940 (बेंगलुरु में मुख्यालय)।
  • प्रमुख उत्पाद: तेजस मार्क-1A, सुखोइ विमानों का निर्माण।
  • अंतरराष्ट्रीय साझेदार: रूस, फ्रांस, इज़राइल।

“राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित है रिपोर्ट”: विश्लेषक

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि NYT की यह रिपोर्ट “भारत-रूस रणनीतिक संबंधों को निशाने पर लेने का प्रयास” है। दिल्ली स्थित एक सुरक्षा विश्लेषक ने कहा, “यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी मीडिया भारत पर दबाव बनाने में जुटा है।”

क्या कहता है भारत का कानूनी ढाँचा?

भारत में रणनीतिक व्यापार नियंत्रण के लिए WMD अधिनियम, 2005 और SCOMET (स्पेशल केमिकल्स, ऑर्गेनाइजेशन्स, मैटीरियल्स, इक्विपमेंट्स एंड टेक्नोलॉजी) गाइडलाइंस लागू हैं। इनके तहत:

  • संवेदनशील तकनीक के निर्यात पर सख्त नियंत्रण।
  • अंतिम उपयोगकर्ता की जाँच अनिवार्य।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन।

निष्कर्ष: सच्चाई की जीत या मीडिया का षड्यंत्र?

इस पूरे विवाद में दो पक्ष साफ दिखते हैं:

  • भारत का रुख: तथ्यों की अनदेखी करके भारत की छवि धूमिल करने की कोशिश।
  • अंतरराष्ट्रीय मीडिया: भू-राजनीतिक दबाव के तहत सनसनीखेज खबरें।

जहाँ एक ओर सरकार ने NYT की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, वहीं यह सवाल भी उठता है कि “क्या वैश्विक मीडिया भारत के स्टैंड को गलत साबित करने में लगी है?” पाठकों के लिए यह जानना जरूरी है कि तथ्यों की पड़ताल किए बिना किसी रिपोर्ट पर विश्वास न करें।

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