Jay Prakash Sharma
वेस्ट की जीवन पद्धति कभी दक्षिण की नहीं हो सकती। वहाँ के लोग बाजारों मे और दूसरे राज्यों में हिंदी के सहारे जीविका चलाते हैं। राज यह सन् सत्तर नहीं दुई हज़ार पचीस है!!
वेस्ट की जीवन पद्धति कभी दक्षिण की नहीं हो सकती। वहाँ के लोग बाजारों मे और दूसरे राज्यों में हिंदी के सहारे जीविका चलाते हैं। राज यह सन् सत्तर नहीं दुई हज़ार पचीस है!!
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