कश्मीर में सत्ता संघर्ष के बीच सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर के जनादेश का सम्मान करने की अपील करते हुए चेतावनी दी है कि उन्हें “दीवार के पास न धकेला जाए”। यह बयान प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले को लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और निर्वाचित सरकार के बीच चल रहे विवाद के बीच आया है।
कश्मीर में सत्ता संघर्ष: निर्वाचित सरकार vs राजभवन
48 जेकेएएस (जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा) अधिकारियों के हटाए जाने को लेकर NC ने आरोप लगाया कि यह कदम “2019 के पुनर्गठन अधिनियम” का उल्लंघन है। पार्टी के अनुसार, अधिकारियों का स्थानांतरण निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि उपराज्यपाल के। सूत्र बताते हैं कि इन अधिकारियों की भूमिका मजिस्ट्रेट के कर्तव्यों से जुड़ी है, जिसे केंद्र ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर अपने हाथ में ले लिया।
वक्फ संशोधन विधेयक पर नाराजगी
NC ने संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक को “मुस्लिम विरोधी” बताते हुए निंदा की है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है, जिसे पार्टी समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक हितों पर हमला मानती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा कश्मीर में NC की मुस्लिम बहुल जनाधार को साधने की रणनीति का हिस्सा है।
अमित शाह के दौरे से पहले तनाव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 19-21 जून के जम्मू दौरे से ठीक पहले यह टकराव हवा दे रहा है। शाह इस दौरान सुरक्षा परिदृश्य और आतंकवादी गतिविधियों पर चर्चा करेंगे। NC नेता मानते हैं कि केंद्र जानबूझकर सरकार को कमजोर दिखाने की कोशिश कर रहा है।
राज्य का दर्जा बहाली पर अड़चन
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था। NC का आरोप है कि केंद्र ने राज्यत्व बहाल करने के अपने वादे को टाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र चुनावों के बाद वार्ता शुरू होने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब केंद्र इस पर मौन है।
विश्लेषकों की नजर में
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अशोक बजाज कहते हैं, “यह संघीय ढांचे में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्ति संतुलन का मुद्दा है। NC चाहती है कि निर्वाचित सरकार को प्रशासनिक नियंत्रण मिले, जबकि केंद्र सीधे नियंत्रण को तरजीह दे रहा है।”
आगे की राह
उमर अब्दुल्ला ने संवाद का रास्ता नहीं छोड़ा है, लेकिन पार्टी के भीतर आक्रामक रुख अपनाने की मांग बढ़ रही है। विधायक दल की बैठक में तय हुआ कि केंद्र के साथ टकराव से बचा जाए, लेकिन “लचीलेपन को कमजोरी न समझें” जैसे बयानों से स्पष्ट है कि NC अब रणनीति बदल सकती है।
निष्कर्ष: जम्मू-कश्मीर में सरकार और राजभवन के बीच यह टकराव न केवल प्रशासनिक अधिकारों, बल्कि क्षेत्र की स्वायत्तता के Larger सवाल को उठाता है। केंद्र के साथ यह टकराव अगले विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
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