वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद : आज सुप्रीम कोर्ट में 73 याचिकाओं पर सुनवाई,

वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 73 याचिकाओं पर सुनवाई, मुस्लिम अधिकारों पर बहस तेज।
धार्मिक ट्रस्ट नियंत्रण बहस :
नई दिल्ली : वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज ऐतिहासिक सुनवाई होने जा रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले में 73 याचिकाओं पर विचार करेगी। याचिकाकर्ताओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस, टीएमसी, IUML समेत कई राजनीतिक और धार्मिक संगठन शामिल हैं। सभी याचिकाएं वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताकर चुनौती देती हैं।
इस अधिनियम के ज़रिये सरकार वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति और चुनाव प्रक्रिया को हटाने जैसी व्यवस्था लाई है। इससे वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद और गहरा गया है, जिसे मुस्लिम नेताओं ने समुदाय के स्वशासन में सरकारी हस्तक्षेप बताया है। इस कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।
वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद पर संवैधानिक चुनौती :
वक्फ संपत्ति प्रबंधन विवाद में सरकार की दलील है कि यह कानून पारदर्शिता और कुशल परिसंपत्ति प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्र सरकार ने इस कानून को “ऐतिहासिक सुधार” बताते हुए इसका समर्थन किया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे मुस्लिम विरोधी कहना गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जों को रोकना सरकार की प्राथमिकता है।
वहीं, विरोध करने वालों का कहना है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 के खिलाफ है। AIMIM सांसद ओवैसी ने कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रहे हैं।
प्रमुख बिंदु :
- 73 याचिकाएं : सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली 73 याचिकाएं दायर।
- नेता विरोध में : ओवैसी, कांग्रेस, टीएमसी, IUML और जमीयत उलमा-ए-हिंद विरोध में शामिल।
- हिंसा की रिपोर्ट : मुर्शिदाबाद में हिंसा, 3 की मौत, 18 पुलिसकर्मी घायल, दो गिरफ्तार।
- सरकारी समर्थन : केंद्रीय मंत्री रिजिजू और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने किया समर्थन।
- अधिनियम का उद्देश्य : सरकार के अनुसार पारदर्शिता और संपत्ति प्रबंधन को बेहतर बनाना।
- संवैधानिक दलीलें :याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 के उल्लंघन का हवाला दिया।
- NHRC जांच : मानवाधिकार आयोग ने मुर्शिदाबाद हिंसा पर रिपोर्ट मांगी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :
1995 में पारित मूल वक्फ अधिनियम का उद्देश्य मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों का संरक्षण था। हालाँकि, 2025 में संशोधन के बाद यह विवादों में घिर गया। पहले भी वक्फ संपत्तियों को लेकर कई बार विवाद हुए, लेकिन इस बार मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इससे पहले 2003 में भी वक्फ अधिनियम में संशोधन हुआ था, तब भी इसे लेकर सीमित विरोध हुआ था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं :
- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून ज़मीन पर कब्जे की संस्कृति को खत्म करेगा।
- AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश बताया।
- IUML महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि यह संविधान विरोधी कानून है।
- IASSC अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण का समर्थन किया।
- उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि गरीब मुसलमानों को मिलेगा संपत्ति का लाभ।
विधिक प्रक्रिया और जांच :
NHRC ने मुर्शिदाबाद हिंसा की शिकायतों पर संज्ञान लिया है। NHRC सदस्य प्रियांक कानूनगो के अनुसार, आयोग ने एक टीम भेजकर रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने हत्या के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और कैविएट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों की दिशा तय करेगा।
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