2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद: सुरक्षा सुधार का सच?
2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद क्या हुआ सुरक्षा का हाल? जानें आंकड़ों की कहानी
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में “zero tolerance policy” की नीति घोषित की। गृह मंत्रालय के अनुसार, 2018 की तुलना में 2023 में आतंकी घटनाओं में 80% गिरावट दर्ज हुई। हालांकि, हाल के हमले सवाल खड़े करते हैं।
एसएटीपी डेटा विश्लेषण
दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (एसएटीपी) के आंकड़े बताते हैं कि 2019 के बाद घटनाएं पहले घटीं, फिर 2021 तक बढ़ीं। 2023 में 267 घटनाएं दर्ज हुईं, लेकिन 2024 में पहलगाम हमले ने नागरिक मौतों को 31 तक पहुंचा दिया। क्या यह सुधार अस्थायी था?
नागरिक सुरक्षा पर प्रभाव
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद नागरिक मौतों में उतार-चढ़ाव रहा। 2023 में 14 मौतें दर्ज हुईं, लेकिन 2024 में यह संख्या दोगुनी हो गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि आतंकी समूह नई रणनीतियों के साथ सक्रिय हैं।
सरकार vs आंकड़े
केंद्र सरकार सुरक्षा बलों की मौतों में कमी (2018: 91 vs 2023: 30) को सफलता बताती है। वहीं, एसएटीपी डेटा दिखाता है कि 2024 में 26 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। स्पष्ट है, चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुईं।
2025 में पहलगाम में शैलानियों पर हमला न केवल सुरक्षा चुनौतियों, बल्कि स्थानीय खुफिया तंत्र की कमजोरियों को भी उजागर करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हमलावरों ने सीमावर्ती इलाकों में नए मार्गों का इस्तेमाल किया। सुरक्षा बलों का कहना है कि ड्रोन और हाइब्रिड युद्ध तकनीकों से निपटने के लिए बजट बढ़ाया गया है। वहीं, स्थानीय नेताओं ने सरकार पर “केंद्रीकृत नियंत्रण” को जिम्मेदार ठहराया है।
2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सुरक्षा में आंशिक सुधार हुआ, लेकिन नागरिकों के लिए अभी भी जोखिम बना हुआ है।
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