Loading Now

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले: 2014-2025 का विस्तृत विश्लेषण

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले: संख्या, प्रभाव और सुरक्षा

2014 से 2025 के बीच 576+ जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले दर्ज किये गए । इन हमलों में 1,042 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 738 नागरिकों की जान गई। नीचे प्रत्येक वर्ष का विस्तृत ब्रेकडाउन दिया गया है:

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले दर्ज किये गए घटनाओं का वार्षिक डेटा टेबल

वर्षहमलों की संख्याशहीद सैनिकमृत नागरिकप्रमुख घटनाएँ
2014-2019
2014989467
201511211071पुंछ हमला (8 मौतें)
20161348259पठानकोट एयरबेस हमला (12 शहीद)
2017897863अमरनाथ यात्रा हमला (7 मौतें)
201812110577सुंजवान घटना (4 CRPF जवान शहीद)
201914214398पुलवामा हमला (40 CRPF जवान शहीद)
2020878955कोविड लॉकडाउन के बावजूद हिंसा
202193 9461 शोपियां हमला (11 मौतें)
2022105 112 67राजौरी जिले में सीमा पार हमला
2023127131 73पीर पंजाल रेंज में ऑपरेशन
 20249810268रियासी हमला (9 मौतें)
2025 अप्रैल तक35 2922 पहलगाम हमला (28 मौतें)

विश्लेषण: आर्टिकल 370 हटने के पश्चात जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में क्या कुछ बदलाव आया ? उसका एक तुलनात्मक टेबल

पैरामीटर2014-2019 (आर्टिकल 370 के तहत)2020-2025 (केंद्र शासित प्रदेश)
औसत वार्षिक हमले116102
सैन्य शहादतें (औसत)4955
नागरिक मौतें (औसत)3832
प्रमुख चुनौतियाँपाकिस्तानी घुसपैठस्थानीय असंतोष और साइबर वॉर

आर्टिकल 370 हटने का सुरक्षा ऑपरेशन्स पर प्रभाव

सकारात्मक बदलाव:

  1. ऑपरेशनल स्वतंत्रता: सेना को बिना राज्य सरकार की अनुमति के त्वरित कार्रवाई का अधिकार मिला।
  2. आतंकी फंडिंग रुकी: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद हवाला और क्रॉस-बॉर्डर फंडिंग में 40% कमी।
  3. TECH इंटीग्रेशन: 2020 से ड्रोन्स, AI-आधारित फेशियल रिकग्निशन और सैटेलाइट मैपिंग का उपयोग बढ़ा।

सुरक्षा रणनीतियों का विवरण

रणनीतिक्रियान्वयन विवरण
स्मार्ट बॉर्डर मैनेजमेंट(1) TECH फेंसिंग: 2023 तक 82% इंटरनेशनल बॉर्डर पर लेजर-एनबल्ड फेंसिंग पूरी।
(2) यूएवी निगरानी: हर 4 किमी पर ड्रोन्स की तैनाती, जिससे 2024 में 23 घुसपैठ रोकी गईं।
स्थानीय सहयोग(1) 2022 से 5,000+ ग्रामीण “सूचना प्रदाता” बने, 189 हमले रोके।
(2) युवा रोजगार योजनाएँ: 2025 तक 1.2 लाख युवाओं को सेना ने स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम से जोड़ा गया ।
साइबर सुरक्षा(1) ऑनलाइन रिक्रूटमेंट रोकना: 2021-2025 के बीच 4,500+ सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद किए गए।
(2)डार्क वेब मॉनिटरिंग: 2023 में 12 आतंकी वेबसाइट्स और 9 डार्क वेब फोरम्स बंद किए गए।

जम्मू कश्मीर की वे समस्याएं जिन्हे सरकारों को हल करना चाहिए

  • घाटी में बेरोजगारी: 2025 में युवा बेरोजगारी दर 23% है जोकि राष्ट्रीय औसत: 7.8% है इस पर राज्य और केंद्र की सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है जिससे बेरोजगरी की समस्या पर काबू पाया जा सके।
  • मीडिया पहुँच पर प्रतिबंध: 2023 में 142 दिन इंटरनेट शटडाउन, 1,200+ करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ, जिसका खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले (2014-2025) के आँकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बलों की कुर्बानियों ने हिंसा को नियंत्रित किया, लेकिन नागरिक असंतोष नई चुनौती है। 2025 तक सरकार ने 5-सूत्री योजना लॉन्च की:

  1. हर जिले में स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना ।
  2. सैन्य अभियानों में स्थानीय युवाओं की भागीदारी।
  3. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए 24×7 सुरक्षा।
  4. सोशल मीडिया पर “कश्मीरियत” कैंपेन।
  5. पाकिस्तान सीमा पर स्मार्ट टेक्नोलॉजी का विस्तार।

मोदी सरकार जिस जोश-खरोश से अपनी स्कीमों और योजनाओं का एलान करती है उतने ही जोश-खरोस और तत्परता उसे पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाती, योजनाओं के लांच को केवल अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करती है वर्ना 2025 तक सरकार द्वारा लागू 5-सूत्री योजना जिसमें 3. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए 24×7 सुरक्षा के प्रति अगर उदासीन नहीं होती तो पहलगाम में आतंकियों द्वारा 28 टूरिस्टों की हत्या को रोका जा सकता था।

Spread the love

Post Comment

You May Have Missed