पाकिस्तान पर आत्मघाती हमला: कर्नाटक मंत्री का विवादित ऐलान
कर्नाटक के मंत्री ज़मीर अहमद की पाकिस्तान पर आत्मघाती हमला करने की टिप्पणी ! कर्नाटक सरकार के मंत्री बी. ज़ेड. ज़मीर अहमद खान ने पहलगाम हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अनुमति दें, तो वे पाकिस्तान जाकर आत्मघाती हमला करेंगे। यह बयान प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया और सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया। मंत्री ने खुद को पूरी तरह गंभीर बताया और कहा कि वे देश के लिए जान देने को तैयार हैं। उनकी इस टिप्पणी ने कर्नाटक और राष्ट्रीय स्तर पर तीखी बहस छेड़ दी है।
मुख्य बिंदु :
ज़मीर अहमद का पाकिस्तान पर आत्मघाती बयान हुआ वायरल
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को हो सकता है नुकसान
सिद्धारमैया ने दिया संयम का संदेश, युद्ध को बताया अंतिम विकल्प
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर संयम बरतने की सलाह दी और युद्ध को समाधान न मानने की बात कही। उन्होंने कहा, “युद्ध में दोनों देशों को नुकसान होगा, हमें कूटनीति और समझदारी से काम लेना चाहिए।” हालाँकि भाजपा की ओर से उन पर नरम रुख अपनाने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण दिया। सीएम ने कहा, “मैंने कभी पाकिस्तान को माफ करने की बात नहीं की, पर युद्ध अंतिम उपाय होना चाहिए।”
पहलगाम हमला मंत्री की भावुक प्रतिक्रिया
22 अप्रैल को कश्मीर के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान गई और 20 से अधिक घायल हुए। इस हमले के बाद देशभर में गुस्सा और शोक की लहर दौड़ गई। इसी संदर्भ में ज़मीर अहमद ने बयान देते हुए कहा, “पाकिस्तान हमेशा से भारत का दुश्मन रहा है।” उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ देश को एकजुट होने की अपील भी की।
ऐसे बयान बढ़ाते हैं भारत-पाक तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले भी ऐसी बयानबाजी से तनाव चरम पर पहुंचा है। ऐसे बयान पहले भी कई बार भारत-पाक रिश्तों को खराब कर चुके हैं।
2008 मुंबई हमलों के बाद शिवसेना नेताओं ने पाकिस्तान पर परमाणु हमले की धमकी दी थी।
1999 के कारगिल युद्ध के समय भी नेताओं के उग्र बयान ने तनाव और बढ़ा दिया था।
2016 में उरी हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांगें तेज हुई थीं, जिससे सर्जिकल स्ट्राइक हुई।
क्या फिर बढ़ेगा सीमा पर तनाव? बयान के कूटनीतिक परिणाम पर चिंता
ज़मीर अहमद का बयान पाकिस्तान को भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलने का मौका दे सकता है। भारत की साख और संतुलित छवि को ठेस पहुंच सकती है, खासकर पश्चिमी देशों के बीच। साथ ही, इस बयान से भारत में राजनीतिक ध्रुवीकरण और पाकिस्तान से संवाद की संभावनाएं भी कमजोर हो सकती हैं।सरकार को इस विषय पर गंभीर रणनीति अपनानी होगी ताकि कूटनीतिक नुकसान से बचा जा सके।
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