बगलिहार बांध पानी रोकने पर भारत ने दिखाई सख्ती, पाकिस्तान भड़का

बगलिहार बांध पानी को लेकर भारत के निर्णय ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के संबंधों में जल को रणनीतिक हथियार बना दिया है। पहलगाम हमले में 26 निर्दोषों की हत्या के बाद भारत ने बगलिहार और किशनगंगा बांध से पाकिस्तान की ओर जल प्रवाह को रोकने की योजना पर अमल तेज किया है। साल 2016 में उड़ी आतंकी हमले के बाद भी भारत ने पहली बार सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करने का संकेत दिया था। तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “रक्त और जल साथ नहीं बह सकते।” उसी समय सिंधु जल संधि समीक्षा बैठक हुई थी, जिससे पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई थी।
ऐतिहासिक संदर्भ:
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने सिंधु जल संधि का उपयोग कूटनीतिक हथियार की तरह किया है:
- 2002 में संसद हमले के बाद भी संधि की समीक्षा की मांग उठी थी।
- 2008 के मुंबई हमले के बाद भी सिंधु जल को लेकर रणनीतिक चर्चाएं हुईं थीं।
- 2016 उरी हमला के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था: “रक्त और जल साथ नहीं बह सकते।” इसके बाद जल प्रवाह रोकने पर विचार शुरू हुआ।
- 2019 पुलवामा हमले के बाद भारत ने रावी नदी के पानी को पंजाब की ओर मोड़ने की प्रक्रिया तेज की थी।
सिंधु जल संधि: क्यों है पाकिस्तान की जीवनरेखा?
- पाकिस्तान की 75% सिंचाई झेलम, सिंधु और चेनाब नदियों पर निर्भर है।
- यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में नेहरू और अयूब खान के बीच हुई थी।
- भारत तीन पूर्वी नदियों (सतलुज, रावी, ब्यास) का उपयोग कर सकता है, जबकि पश्चिमी नदियाँ पाकिस्तान को दी गईं थीं।
क्यों बगलिहार बांध है विवादित?
- पाकिस्तान ने 2005 में बगलिहार बांध पर विश्व बैंक से शिकायत की थी।
- विश्व बैंक ने एक तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त किया जिसने बांध को वैध बताया, लेकिन भारत को डिज़ाइन में मामूली बदलाव करने पड़े।
- इस बांध की 450 मेगावाट क्षमता भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है।
किशनगंगा विवाद का इतिहास:
- किशनगंगा परियोजना को लेकर पाकिस्तान ने हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में याचिका दाखिल की थी।
- 2013 में कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन जल प्रवाह बनाए रखने की शर्त के साथ।
भारत की कार्रवाई का विश्लेषण:
- पहलगाम हमले में 26 निर्दोष मारे गए, अधिकतर पर्यटक थे।
- भारत ने पाकिस्तान से सभी प्रकार के आयात और डाक सेवा को बंद किया।
- भारत में सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश।
- प्रधानमंत्री ने रक्षा प्रमुखों के साथ हाईलेवल बैठक कर “पूर्ण कार्रवाई की छूट” दी।
- पाकिस्तान ने इसे युद्ध की कार्रवाई बताया, जबकि भारत ने इसे आत्मरक्षा कहा।
पाकिस्तान की बौखलाहट और धमकियाँ :
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने धमकी भरे लहजे में कहा था – “अगर सिंधु का पानी रोका गया, तो खून बहेगा।”
सामरिक संकेत: क्या भारत ‘वॉटर वॉरफेयर’ की ओर बढ़ रहा है?
पानी को नियंत्रण में लेकर भारत पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रहा है। यह संदेश सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि वैश्विक बिरादरी को भी है कि भारत अब आक्रामक और निर्णायक मोड में है।भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बार फिर कड़ा संदेश दिया है। बगलिहार बांध पानी रोकने का कदम सिर्फ एक तकनीकी निर्णय नहीं, बल्कि कूटनीतिक आक्रोश का प्रतीक है।पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि आतंक के समर्थन की कीमत उसे पानी की बूंद-बूंद से चुकानी पड़ सकती है।अब सवाल है कि क्या भारत सिर्फ बांधों के ज़रिए जल रोकने तक सीमित रहेगा या इसे राजनयिक और सैन्य रणनीति में भी शामिल करेगा?
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