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हवाई सायरन ब्लैकआउट अभ्यास: भारत की 7 मई मॉक ड्रिल तैयारी

हवाई सायरन ब्लैकआउट अभ्यास

हवाई सायरन ब्लैकआउट अभ्यास से युद्ध जैसी तैयारी, भारत सरकार ने हवाई सायरन ब्लैकआउट अभ्यास के जरिए 7 मई को देशभर में एक मॉक ड्रिल का आयोजन करने का आदेश दिया है। यह अभ्यास विशेष रूप से उन 244 नागरिक सुरक्षा जिलों में किया जाएगा, जो रणनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाते हैं। मॉक ड्रिल में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजेंगे ब्लैकआउट और नागरिक निकासी अभ्यास होंगे। स्कूल-कॉलेज के छात्रों और नागरिकों को रक्षा प्रशिक्षण मिलेगा। यह फैसला तब आया है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

गृह मंत्रालय की रणनीति और उद्देश्य :

  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यों को भेजे गए निर्देश में कहा गया कि यह अभ्यास नागरिक सुरक्षा ढांचे की तत्परता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन, गृह रक्षा और नागरिक सुरक्षा महानिदेशालय की ओर से इसका समन्वय किया जा रहा है।
  • सायरन, हॉटलाइन और रेडियो संचार प्रणाली की जांच
  • नागरिकों को बंकर, ब्लैकआउट और प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण
  • वायुसेना के साथ समन्वित आपात तैयारी

इस अभ्यास का एक अन्य उद्देश्य भारत के प्रमुख प्रतिष्ठानों जैसे एयरफील्ड, रेलवे यार्ड और तेल शोधन संयंत्रों को छलावरण तकनीक से छिपाने की तैयारी को परखना है।

इतिहास की पुनरावृत्ति: 1971 युद्ध से पहले जैसी स्थिति

१) विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की तैयारियाँ पिछली बार 1971 भारत-पाक युद्ध से पहले देखी गई थीं, जब बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। उस समय भी राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट और हवाई हमले प्रशिक्षण आयोजित किए गए थे।
२) 1971 युद्ध से पहले हुई थी इसी तरह की व्यापक तैयारी
३) नागरिक रक्षा तंत्र को जमीनी स्तर तक सक्रिय किया गया था
४) तब पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था

इस संदर्भ में, 7 मई की मॉक ड्रिल को प्रतीकात्मक ही नहीं, रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।

प्रतिक्रिया और रणनीतिक संकेत :

क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले को “कायराना हरकत” करार देते हुए दोषियों को कड़ी सजा देने का संकल्प लिया है। पीएम मोदी ने हाल ही में तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा सचिव से अलग-अलग बैठकें कर स्थिति की समीक्षा की है।

ख) सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की बातें भी हो चुकी हैं

ग) जवाबी सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं पर मंथन जारी

घ) कूटनीतिक मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की तैयारी

च) माना जा रहा है कि मॉक ड्रिल केवल प्रशिक्षण नहीं, बल्कि संभावित युद्ध-स्थिति के लिए मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक तैयारी का हिस्सा है।

ड्रिल में कौन होंगे शामिल :

  • गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जिला स्तर पर अधिकारियों के साथ-साथ NCC, NSS, होम गार्ड, स्कूलों के छात्र और नागरिक स्वयंसेवकों को शामिल किया जाएगा।
  • जिला नियंत्रक और नागरिक सुरक्षा अधिकारी
  • वार्डन, अग्निशमन व बचाव टीमें
  • कॉलेज और स्कूल स्तर पर विद्यार्थियों की भागीदारी
  • यह अभ्यास गांव-स्तर तक किया जाएगा ताकि हर नागरिक को आपदा या युद्ध जैसे हालात में प्रतिक्रिया देना सिखाया जा सके।

हवाई सायरन ब्लैकआउट अभ्यास केवल एक मॉक ड्रिल नहीं है; यह भारत की सामरिक और नागरिक सुरक्षा की समग्र तैयारी का संकेत है। देश एक बार फिर राष्ट्रीय आपदा या युद्ध जैसे हालात से निपटने की दिशा में संगठित रूप से आगे बढ़ रहा है।

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