भारत का ऑपरेशन सिंदूर: 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त!

क्या था ऑपरेशन सिंदूर का मकसद?
22 अप्रैल 2024 की रात 1:44 बजे, भारत का ऑपरेशन सिंदूर अपने चरम पर पहुँचा। सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रयास से पाकिस्तान व PoK में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
यह कार्रवाई 14 अप्रैल को पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या के जवाब में की गई, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने “खून का बदला खून से” का संकल्प लिया था। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह अभियान आतंकवाद के खिलाफ भारत की “शून्य सहनशीलता” नीति का प्रतीक बना।
72 घंटे की तैयारी: कैसे बना ऑपरेशन का खाका?
- खुफिया जानकारी: RAW और MI ने 6 महीने तक सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन फुटेज और मानव स्रोतों से डेटा जुटाया।
- रणनीतिक चयन: हर टारगेट को उसके ऐतिहासिक महत्व (जैसे 26/11 मुंबई हमले) के आधार पर चुना गया।
- तकनीकी तैनाती: नाइट-विजन ड्रोन्स और स्पाइक मिसाइलों को पूर्वी व पश्चिमी कमान में तैनात किया गया।
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निशाने पर कौन? 9 आतंकी अड्डों की पूरी कहानी
भारत का ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ प्रतिशोध नहीं, बल्कि आतंकवाद की जड़ें उखाड़ने की मुहिम थी। आइए जानते हैं उन 9 ठिकानों के बारे में जो इस कार्रवाई का निशाना बने:
- बहावलपुर (दक्षिणी पंजाब): जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, जहाँ 2019 पुलवामा हमले की साजिश रची गई थी, 50 एकड़ में फैला यह कैंप आतंकी फंडिंग का केंद्र था।
- मुरीदके (लाहौर से 40 किमी उत्तर): यह लश्कर-ए-तैयबा का 200 एकड़ का ट्रेनिंग ग्राउंड है ज्ञात हो कि 26/11 हमलों के दौरान यहाँ से हाजी मसूद ने संचालन किया था।
- कोटली (PoK): यह पाकिस्तानी आतंकवादियों के आत्मघाती हमलावरों का प्रशिक्षण अड्डा है, जहाँ हर सत्र में 50+ आतंकी ट्रेनिंग लेते हैं। 2023 में राजौरी में 5 सैनिकों की शहादत का यहीं से संचालन हुआ।
- गुलपुर (सीमावर्ती इलाका): यह इलाका 2024 के पुंछ हमले का लॉन्चपैड था, जहाँ से 7 आतंकियों ने घुसपैठ की थी। भारतीय गश्ती दलों पर हमले की योजनाएँ यहीं बनीं थी ।
- सवाई (उत्तरी कश्मीर): यह सोनमर्ग और पहलगाम पर हमलों का नियंत्रण केंद्र था, यह स्थानीय निवासियों को भड़काने के लिए प्रोपेगैंडा सामग्री का उत्पादन स्थल के रूप में चिन्हित किया गया था।
- सरजाल-बरनाला (अंतरराष्ट्रीय सीमा): यह घुसपैठ का प्रमुख रास्ता, जहाँ 2022 में 42 आतंकी भारत में घुसे थे इसे नकली करेंसी और हथियारों की तस्करी का गढ़ भी माना जाता है।
- महमूना (हिजबुल मुजाहिदीन का अड्डा): यह कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेलने वाला प्रशिक्षण केंद्र था, 2023 में 17 स्थानीय युवाओं को यहाँ से भर्ती किया गया था।
- झेलम वैली (पाक अधिकृत कश्मीर): स्नाइपर ट्रेनिंग और रिमोट-कंट्रोल्ड IED बनाने का केंद्र था और यह भारतीय सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा भी था।
- क्वेटा शहर का उपनगरीय इलाका: अंतरराष्ट्रीय आतंकियों का छुपने का ठिकाना था, यह अफगानिस्तान और ईरान से आने वाले आतंकियों का ट्रांजिट प्वाइंट था।
कार्रवाई का तरीका: टेक्नोलॉजी और रणनीति का अनूठा मेल
भारत का ऑपरेशन सिंदूर पारंपरिक युद्ध नहीं, बल्कि स्मार्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित था:
- सैटेलाइट निगरानी: ISRO के कार्टोसैट-3 उपग्रह ने रियल-टाइम इमेजिंग की।
- साइलेंट ड्रोन्स: स्वदेशी RUSTOM-2 ड्रोन्स ने बिना आवाज किए टारगेट मार्क किए।
- कमांडो टीम्स: पैराशूट के जरिए LoC पार कर 30 मिनट में मिशन पूरा किया।
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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: किसने दिया साथ, किसने उठाए सवाल?
- अमेरिका: “भारत को आत्मरक्षा का अधिकार”
- रूस: “आतंकवाद के खिलाफ साहसिक कदम”
- चीन: “शांति बनाए रखने की अपील”
- UN: “दोनों देशों से संयम बरतने का आग्रह”
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत की चेतावनी
हमले के 12 घंटे बाद, पाकिस्तान ने LoC के पास भारतीय गाँवों पर मोर्टार दागे, जिसमें 3 निर्दोष मारे गए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ा जवाब देते हुए कहा: “हर बूँद खून का हिसाब होगा।” भारत का ऑपरेशन सिंदूर साफ संदेश देता है – अब आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं!
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