पुलवामा हमले की स्वीकारोक्ति से पाकिस्तान की पोल खुली

पुलवामा हमले की स्वीकारोक्ति ने पाकिस्तान की वर्षों पुरानी झूठी रणनीति को उजागर कर दिया है। 2019 में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के पीछे की साजिश को अब खुद पाकिस्तान ने स्वीकारा है। पाकिस्तान वायु सेना के एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने पुलवामा को “रणनीतिक प्रतिभा” करार दिया। यह बयान प्रेस कांफ्रेंस में दिया गया, जिसमें विदेशी पत्रकार भी मौजूद थे। इससे पाकिस्तान के छद्म युद्ध की नीति और रणनीति साफ हो गई है।
प्रेस कांफ्रेंस में किया बड़ा खुलासा :
- प्रेस कांफ्रेंस में एयर वाइस मार्शल औरंगजेब ने कहा कि पुलवामा हमारे रणनीतिक कौशल का हिस्सा था।
- उन्होंने कहा, “हमने पुलवामा में अपनी सामरिक प्रतिभा से उन्हें जवाब देने की कोशिश की।”
- बयान के दौरान आईएसपीआर के डीजी जनरल चौधरी और नौसेना प्रवक्ता भी मौजूद थे।
- दोनों घटनाओं में साजिश और रणनीति की समानता साफ दिख रही है।
- यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था।
मुख्य तथ्य :
१) पुलवामा में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए
२) जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली
३) पाकिस्तान ने शुरू में भूमिका से इनकार किया
४) भारत ने बालाकोट में आतंकी शिविर उड़ाया
५) एयर वाइस मार्शल ने इसे “रणनीतिक प्रतिभा” कहा
६) पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भी मानी आतंकी संगठनों को पनाह
पाकिस्तान का वर्षों से इनकार रहा झूठा :
पाकिस्तान ने सालों तक पुलवामा हमले में किसी भी भूमिका से इनकार किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने हमले के बाद भारत से सबूत मांगे। जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली फिर भी पाकिस्तान पीछे हटा। भारत ने बहावलपुर कैंप और आतंकी डोजियर भी पेश किया था। बावजूद इसके, पाकिस्तान ने इसे भारतीय साजिश बताने की कोशिश की।
रक्षा मंत्री का बयान और अंतरराष्ट्रीय दबाव :
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी हाल में कबूल किया था कि वे आतंकियों को पनाह देते रहे हैं। उनका कहना था कि तीन दशकों से पाकिस्तान पश्चिमी देशों के लिए “गंदा काम” करता रहा है। यह बयान भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की स्थिति को कमजोर करता है। संयुक्त राष्ट्र की सूची में दर्ज जनरल चौधरी के परिवार का आतंकी कनेक्शन भी उजागर हुआ है। इन सब बयानों ने पाकिस्तान की कथनी-करनी का अंतर साफ कर दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर और बालाकोट हमला :
- भारत ने पुलवामा का जवाब बालाकोट हवाई हमले से दिया।
- 12 मिराज जेट्स ने जेईएम के सबसे बड़े शिविर को निशाना बनाया।
- इस ऑपरेशन से पाकिस्तान को गहरा झटका लगा और हवाई संघर्ष हुआ।
- विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ने और फिर रिहा करने की घटनाएं हुईं।
- अब औरंगजेब की स्वीकारोक्ति से भारत के कदम सही साबित हुए हैं।
पाकिस्तान की छवि को गहरा आघात :
अब जब खुद पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी पुलवामा की जिम्मेदारी ले रहे हैं, उसकी अंतरराष्ट्रीय साख पर सवाल उठ रहे हैं। भारत वर्षों से जो दावा करता आ रहा था, वह आज खुद पाकिस्तान ने स्वीकार किया है। यह स्वीकारोक्ति पहलगाम हमले के समय आई है, जिससे दोनों घटनाएं एक श्रृंखला का हिस्सा लगती हैं। भारत को अब अपने राजनयिक प्रयास और तेज करने चाहिए ताकि पाकिस्तान वैश्विक मंच पर बेनकाब हो सके। पुलवामा हमले की स्वीकारोक्ति केवल एक बयान नहीं, बल्कि पाकिस्तान की रणनीतिक असफलता का प्रमाण है।
वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की बढ़ती मुश्किलें :
एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद का पुलवामा संबंधी बयान भारत के लिए एक बड़ा राजनयिक हथियार बन सकता है। संयुक्त राष्ट्र, FATF (Financial Action Task Force) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पहले से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रख चुकी हैं। अब जब पाकिस्तान खुद हमले को “रणनीतिक प्रतिभा” बता रहा है, तो भारत यह मुद्दा यूएनएससी और G20 जैसे मंचों पर उठा सकता है। यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की “डबल स्पीक” नीति को उजागर करती है – एक ओर आतंक के खिलाफ बयान, दूसरी ओर रणनीति में उसका इस्तेमाल।
पाकिस्तान सेना की सोच में आतंकी रणनीति का स्थान
- इस बयान से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सेना आतंकवाद को एक “पॉलिसी टूल” के रूप में देखती है।
- भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों का इस्तेमाल योजनाबद्ध ढंग से किया गया।
- सेना के उच्च अधिकारी का पुलवामा को सामरिक जवाब बताना दर्शाता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद कोई “फ्रिंज एलिमेंट” नहीं, बल्कि सैन्य नीति का हिस्सा है। यह सोच 1999 के कारगिल, 2001 के संसद हमले, 2008 के मुंबई हमले और 2016 के उरी हमले में भी दिखी थी।
कश्मीर नीति पर प्रभाव
पाकिस्तान की इस स्वीकारोक्ति से यह साफ हो गया है कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को वह सैन्य दबाव के उपकरण की तरह इस्तेमाल करता है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत ने जब आंतरिक नीति बदली, तो पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के जरिये जवाबी कदम उठाए। पुलवामा उसी नीति की परिणति थी, जिसे अब पाकिस्तान सैन्य रणनीति कहकर स्वीकार कर रहा है। यह सिद्ध करता है कि पाकिस्तान कश्मीर को एक ‘असैनिक-सैन्य संघर्ष क्षेत्र’ के रूप में देखता है और आतंकी हमले उसके योजना का हिस्सा रहे हैं।
लोकतांत्रिक देशों के लिए चेतावनी: आतंकवाद की सैन्यकरण नीति
पुलवामा स्वीकारोक्ति केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त लोकतांत्रिक विश्व के लिए चेतावनी है। यदि कोई देश सैन्य नीति में आतंकवाद को “रणनीतिक प्रतिभा” मानकर अपनाता है, तो वह वैश्विक शांति के लिए खतरा बन जाता है। इस प्रकार की नीति केवल भारत तक सीमित नहीं रहेगी — इसका असर अफगानिस्तान, ईरान, और यहां तक कि पश्चिमी देशों में भी दिख सकता है।
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