चीन से जुड़े निदेशक : EASEMYTRIP ने फिर उठाया MMT पर सवाल

चीन से जुड़े निदेशक आरोपों को लेकर EASEMYTRIP के संस्थापक निशांत पिट्टी ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर MMT को निशाने पर लिया। उन्होंने मेकमाईट्रिप पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते का आरोप लगाते हुए कई स्क्रीनशॉट साझा किए। इसमें दावा किया गया कि MMT के निदेशक मंडल में आधे सदस्य चीन से जुड़े हैं।
उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा, “जब राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में हो, तब चुप रहना विकल्प नहीं है।”
- निशांत पिट्टी ने MMT पर चीनी नियंत्रण का आरोप लगाया
- उन्होंने Trip.com से MMT की कथित हिस्सेदारी के सबूत साझा किए
- सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर लोगों की राय बंटी हुई दिखी
सोशल मीडिया पर बंटा यूजर वर्ग
निशांत पिट्टी के इस पोस्ट ने इंटरनेट को दो भागों में बांट दिया। कुछ यूजर्स उनके समर्थन में आए, तो कुछ ने इसे प्रतिस्पर्धी हमले की संज्ञा दी।
- एक यूजर ने MMT के टॉप 5 निवेशकों की सूची पोस्ट की
- दूसरे ने कहा, “यह सिर्फ प्रतिस्पर्धा का मज़ाक उड़ाना है”
- किसी ने लिखा, “अब मैं MMT का इस्तेमाल नहीं करूंगा”
- कुछ ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना
ट्विटर पर कुछ ने पूछा कि अगर खतरा इतना गंभीर था, तो पहले क्यों नहीं बताया गया?
स्क्रीनशॉट से बढ़ी बहस की गर्मी
पिट्टी ने एक टिकट बुकिंग स्क्रीनशॉट साझा किया जिसमें रक्षा कर्मियों को ID के बदले छूट दी जा रही थी। उनका दावा है कि ये डेटा दुश्मन राष्ट्रों के पास जा सकता है।
- उन्होंने कहा: “हमारे दुश्मन जानते हैं कि हमारे सैनिक कहां उड़ रहे हैं”
- एक चीनी साइट से जुड़ी छूट नीति को सुरक्षा में खामी बताया
- नैस्डैक फाइलिंग के स्क्रीनशॉट में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी दिखी
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि Trip.com के जरिए MMT में चीनी निवेशकों का प्रमुख नियंत्रण है।
राजनीतिक और कानूनी पहलू भी उभर
हालांकि भारत सरकार या साइबर सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा नीति से जुड़ गया है।
- EoMTRip पहले भी तुर्की-अजरबैजान विवाद में रुख दिखा चुका है
- पिट्टी ने कहा: “हमने तुर्की के खिलाफ यात्रा सलाह पहले जारी की थी”
- यह बयान भारत-तुर्की संबंधों के संदर्भ में दिया गया
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि यदि डेटा विदेशों में ट्रांसफर हो रहा है, तो यह IT अधिनियम की धारा 43A का उल्लंघन हो सकता है।
मेकमाईट्रिप में हिस्सेदारी का गणित
बाजार में उपलब्ध नैस्डैक फाइलिंग के अनुसार, MakeMyTrip में सबसे बड़ा शेयरधारक Trip.com (Ctrip.com International) है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 49% है। इसके अलावा, कंपनी के संस्थापक दीप कालरा और राजेश मागो की संयुक्त हिस्सेदारी लगभग 9% है। शेष 42% शेयर सार्वजनिक निवेशकों के पास हैं, जिनमें अमेरिकी हेज फंड, म्यूचुअल फंड्स और कुछ विदेशी संस्थाएं शामिल हैं। यह स्पष्ट करता है कि कंपनी का लगभग आधा नियंत्रण चीनी मूल की कंपनी के पास है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं को और भी गंभीर बना सकता है।
सरकारी एजेंसियों की अब तक की चुप्पी
अब तक भारत सरकार या उसकी किसी प्रमुख जांच एजेंसी ने MakeMyTrip की हिस्सेदारी को लेकर कोई सार्वजनिक चेतावनी नहीं दी है। हालांकि EaseMyTrip के संस्थापक निशांत पिट्टी द्वारा साझा की गई नैस्डैक फाइलिंग और स्क्रीनशॉट ने इस विषय पर बहस को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेश विशेषकर रणनीतिक क्षेत्रों में आने वाले समय में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा के दायरे में आ सकते हैं। पहले भी TikTok, Huawei जैसे मामलों में सुरक्षा चिंताओं के चलते सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। अब यात्रा प्लेटफॉर्मों पर निगरानी की ज़रूरत महसूस की जा रही है।
EaseMyTrip बनाम MakeMyTrip: हिस्सेदारी तुलना
EaseMyTrip पूरी तरह भारतीय स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसे निशांत और प्रशांत पिट्टी ने मिलकर शुरू किया था और अब तक इसकी हिस्सेदारी भारत में ही केंद्रित है। इसके विपरीत, MakeMyTrip में लगभग 49% हिस्सेदारी चीन आधारित Trip.com के पास है, जबकि अन्य बड़े हिस्सेदार अमेरिकी संस्थाएं हैं। EaseMyTrip की संचालन प्रक्रिया और डेटा सर्वर भारत में हैं, जबकि MakeMyTrip के कुछ संचालन एशिया के अन्य हिस्सों से नियंत्रित होते हैं। यही कारण है कि EaseMyTrip स्वयं को “स्वदेशी और सुरक्षित विकल्प” के रूप में प्रस्तुत कर रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम प्रतिस्पर्ध
कुछ विशेषज्ञों ने आरोपों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर की गई मार्केटिंग रणनीति बताया, जबकि अन्य ने इन्हें गंभीरता से लिया है।
- कुछ यूजर्स ने पुराने एयरटिकट डेटा के लीक की आशंका जताई
- एक ने कहा, “पोर्टल्स को रक्षाकर्मियों की जानकारी नहीं मांगनी चाहिए”
- विवाद भारत-पाक तनाव के बीच उभरा, जिससे समय पर भी सवाल उठे
यह भी पूछा जा रहा है कि क्या भविष्य में सरकार ऐसे पोर्टलों के लिए डेटा नीति बनाएगी या नहीं।
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