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पाक-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुट आवाज़

पाक-प्रायोजित आतंकवाद

पाक-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में उठाएंगे आतंकवाद का मुद्दा

राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में एकजुट हुआ भारत

पहलगाम आतंकी हमले और भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, भारत ने पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया है। इस मुद्दे पर देश की एकता को दर्शाते हुए, केंद्र सरकार ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाने का फैसला किया है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा सहित विभिन्न दलों के नेता शामिल हैं। यह कदम इस बात का प्रमाण है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल हो, तो भारत की राजनीतिक पार्टियाँ मतभेद भुलाकर एकजुट हो जाती हैं।

कांग्रेस और भाजपा एक मंच पर

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस प्रयास में कांग्रेस और भाजपा एक साथ आए हैं। कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडल के लिए आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और राजा वारिंग को नामित किया है। वहीं, भाजपा की ओर से रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य दलों जैसे जद(यू), डीएमके, एनसीपी और शिवसेना के नेताओं को भी इन प्रतिनिधिमंडलों में जगह दी गई है। शशि थरूर, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था, उन्हें भी एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा, “जब राष्ट्रीय हित की बात हो, तो मैं हमेशा आगे रहूँगा।” यह बयान दिखाता है कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर देश के नेता राजनीतिक विवादों से ऊपर उठकर एक साथ खड़े हो सकते हैं।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख नेताओं की सूची)

  1. शशि थरूर – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखेंगे
  2. आनंद शर्मा व गौरव गोगोई – कांग्रेस की ओर से आतंकवाद के खिलाफ मजबूत आवाज़
  3. रविशंकर प्रसाद व बैजयंत पांडा – भाजपा के तेजतर्रार नेता, पाकिस्तान को घेरने की रणनीति
  4. कनिमोझी (डीएमके) व सुप्रिया सुले (एनसीपी) – क्षेत्रीय दलों का सहयोग, राष्ट्रीय एकता का संदेश
  5. संजय झा (जदयू) व श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) – एनडीए गठबंधन का योगदान

1994 और 2008 की यादें ताजा

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। 1994 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जिनेवा भेजा था, जहाँ पाकिस्तान के मानवाधिकार प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। इसी तरह, 2008 के मुंबई हमलों के बाद भी भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश की थी। इस बार फिर से, एक समान रणनीति अपनाई जा रही है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय को भारत के पक्ष में लाना है।

क्या होगा प्रभाव?

  1. पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना – भारत का लक्ष्य है कि वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक देश साबित किया जाए।
  2. भारत की साख मजबूत करना – विदेशों में भारत की छवि एक मजबूत और संयमित राष्ट्र के रूप में बनाना।
  3. देश में एकजुटता का संदेश – यह दिखाना कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की सभी पार्टियाँ एक साथ हैं।

एकता ही ताकत है

पाक-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की यह पहल साबित करती है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है। कांग्रेस और भाजपा जैसी विरोधी पार्टियों का एक मंच पर आना यह दर्शाता है कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो राजनीतिक मतभेद गौण हो जाते हैं। अब देखना यह है कि क्या यह सर्वदलीय प्रयास वैश्विक स्तर पर भारत के पक्ष में माहौल बना पाता है और पाकिस्तान को आतंकवाद के मामले में कटघरे में खड़ा कर पाता है।

“आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में, एकजुटता ही सबसे बड़ा हथियार है।”

भारतीय जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर जोश और समर्थन

सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर की घोषणा के बाद देशभक्ति की लहर फैल गई।

  • #IndiaStrikesBack ट्रेंड करते हुए यूजर्स ने सेना की सराहना की।
  • @DeshBhakt ने लिखा “कांग्रेस-भाजपा एक साथ, यही असली भारत है।”
  • @StrategicAffairs ने ट्वीट किया “पाकिस्तान को अब बचने का मौका नहीं मिलेगा।”
  • @PoliticalExpert ने कहा “शशि थरूर का चयन सही फैसला है।”
  • @YouthForIndia ने लिखा “आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं।

पाक-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ जनता सरकार-विपक्ष की एकजुटता का समर्थन कर रही है। सोशल मीडिया पर बहस दिखाती है देश एक साथ खड़ा हो सकता है। अब देखना है प्रतिनिधिमंडल भारत का पक्ष कितना मजबूत कर पाता है।

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