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पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी प्रतिनिधिमंडल में थरूर के नेतृत्व को लेकर विवाद

पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी प्रतिनिधिमंडल

क्यों भेजा जा रहा है पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी प्रतिनिधिमंडल?

भारत सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने का निर्णय लिया है। यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, ब्रिटेन, जापान समेत 5 देशों का दौरा करेगा और 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के पीछे के तर्कों को विश्व समुदाय के सामने रखेगा। इस ऑपरेशन में भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की थी।

कांग्रेस ने किन 4 नेताओं के नाम दिए?

16 मई को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी दलों से प्रतिनिधिमंडल के लिए नाम मांगे। कांग्रेस ने अपनी ओर से चार वरिष्ठ नेताओं के नाम सुझाए:

  1. आनंद शर्मा – पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ
  2. गौरव गोगोई – असम से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री
  3. डॉ. सैयद नसीर हुसैन – राज्यसभा सांसद और शिक्षाविद
  4. राजा बरार – पंजाब से युवा नेता

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “हमने सरकार को स्पष्ट नाम भेजे थे, लेकिन उन्होंने हमारी सिफारिशों को नजरअंदाज किया।”

सरकार ने थरूर को क्यों चुना? विवाद की जड़

18 मई को संसदीय कार्य मंत्रालय ने 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की, जिसमें शशि थरूर को नेता बनाया गया। अन्य सदस्य हैं:

  • रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
  • सुप्रिया सुले (एनसीपी)
  • संजय कुमार झा (जदयू)

विवाद के मुख्य बिंदु:

  • कांग्रेस का आरोप : “सरकार ने हमारे दिए नामों को अनदेखा कर बेईमानी की।”
  • थरूर का कांग्रेस से मतभेद : 2022 में पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में गांधी परिवार के उम्मीदवार के खिलाफ लड़े थे।
  • भाजपा का पलटवार : “कांग्रेस आतंकवाद पर नरम रुख अपनाने वालों को भेजना चाहती है।”

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: थरूर vs कांग्रेस

शशि थरूर का कांग्रेस के साथ संबंध हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है :

  • 2014: नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने पर पार्टी प्रवक्ता पद से हटाए गए।
  • 2020: पार्टी सुधारों की मांग करने वाले G-23 समूह का हिस्सा बने।
  • 2022: मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, 1,000+ वोट प्राप्त किए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: किसने क्या कहा?

भाजपा का हमला:

  • प्रवक्ता अमित मालवीय: “गोगोई 2017 में 15 दिन पाकिस्तान में रहे, उनके समर्थकों ने ‘पाक जिंदाबाद’ के नारे लगाए।”
  • हिमंत बिस्वा सरमा (असम CM): “गोगोई ने युवाओं को पाकिस्तान दूतावास ले जाने की घटना को लेकर सवाल उठाए।”

कांग्रेस का बचाव:

  • जयराम रमेश: “हमारे नामों को अनदेखा करना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
  • राहुल गांधी: “सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर गंभीर नहीं है।”

प्रतिनिधिमंडल का महत्व और चुनौतियां

यह प्रतिनिधिमंडल 23 मई से 10 दिनों तक वाशिंगटन, लंदन, टोक्यो का दौरा करेगा। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं :

  1. पहलगाम आतंकी हमले (26 सैनिक शहीद) के बाद की गई कार्रवाई को सही ठहराना।
  2. पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के सबूत पेश करना।
  3. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आर्थिक और राजनीतिक दबाव बनाने की अपील करना।

क्या यह विवाद राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करेगा?

पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी प्रतिनिधिमंडल विवाद ने सरकार और विपक्ष के बीच नए तनाव पैदा कर दिए हैं। जहां कांग्रेस पार्टी अनुशासन की बात कर रही है, वहीं थरूर ने कहा है कि वे “राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद प्रतिनिधिमंडल की प्रभावशीलता को कमजोर कर सकता है, जबकि सरकार का दावा है कि यह भारत का पक्ष मजबूती से रखेगा।

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