ऑपरेशन सिंदूर विवाद : पाकिस्तान को सूचना देने पर राहुल गांधी vs जयशंकर

ऑपरेशन सिंदूर विवाद को लेके राहुल गांधी का सीधा हमला कहा “यह देशद्रोह जैसा है”
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को सूचित करने को “राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़” बताया। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने सवाल किया, “हमले से पहले दुश्मन देश को सूचित करना अपराध था। किसने इसकी अनुमति दी? इसकी वजह से हमारे कितने वायुसेना जवान शहीद हुए?”
गांधी ने जयशंकर का एक पुराना वीडियो भी शेयर किया, जिसमें विदेश मंत्री कहते हैं, “हमने पाकिस्तान को संदेश भेजा कि हम सिर्फ आतंकी ढांचों पर हमला कर रहे हैं, सेना पर नहीं।” इस पर राहुल ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
प्रमुख आरोप:
- पाकिस्तान को पूर्व सूचना देने से आतंकियों को भागने का मौका मिला।
- भारतीय वायुसेना के विमान (MiG-21) का पाकिस्तान द्वारा मार गिराया जाना।
- क्या यह सैन्य गोपनीयता का उल्लंघन था?
जयशंकर का बयान – रणनीति या भूल?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने एक भाषण में कहा था कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था। उनके अनुसार, यह कदम पाकिस्तानी सेना को “हस्तक्षेप न करने” के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए था।
हालाँकि, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने ऑपरेशन सिंदूर विवाद को लेके हुए इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि जयशंकर के शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है। PIB ने कहा, “मंत्री ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। यह गलत सूचना है।”
दोहरी बयानबाजी का सवाल:
- क्या सरकार अपने ही बयानों से पलट रही है?
- अगर सूचना दी गई थी, तो क्या यह पाकिस्तान को भारत की कमजोरी दिखाना था?
PIB का खंडन – क्या सच में गलत बयान दिया गया?
प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने स्पष्ट किया कि जयशंकर के बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। PIB ने कहा कि विदेश मंत्री ने कभी नहीं कहा कि भारत ने ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था।
PIB के तर्क:
- जयशंकर का वीडियो संदर्भ से काटकर प्रस्तुत किया गया।
- ऑपरेशन सिंदूर एक गुप्त सैन्य अभियान था, जिसमें पाकिस्तान को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई।
- विपक्ष द्वारा फर्जी खबर फैलाई जा रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ – विपक्ष सरकार पर भड़का
1. आम आदमी पार्टी (AAP) का हमला
AAP नेता संजय सिंह ने कहा, “पाकिस्तान को सूचना देना देशद्रोह है। प्रधानमंत्री मोदी को जवाब देना चाहिए।”
2. कांग्रेस का रुख
पार्टी ने कहा कि अगर सरकार ने सच में पाकिस्तान को सूचित किया था, तो यह “सैन्य बेवकूफी” थी।
3. भाजपा का जवाब
भाजपा नेताओं ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक “सटीक सैन्य अभियान” था और विपक्ष देश की छवि खराब कर रहा है।
कानूनी और सुरक्षा पहलू – क्या नियम टूटे?
- सैन्य प्रोटोकॉल: क्या दुश्मन देश को पहले सूचित करने की प्रथा है?
- अंतरराष्ट्रीय कानून: जेनेवा कन्वेंशन के तहत क्या ऐसी सूचना देना अनिवार्य है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम: क्या इससे भविष्य के ऑपरेशन प्रभावित होंगे?
संजय सिंह का आरोप – राष्ट्रहित से समझौता?
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को सतर्क करना देश के साथ विश्वासघात है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान को पहले ही जानकारी दे दी। सिंह ने कहा कि एक नियोजित सैन्य अभियान से पहले ऐसे दुश्मन देश को सूचित करना पूरी तरह से देशद्रोह है। उन्होंने इसे भारतीय सेना और भारत माता के साथ विश्वासघात करार दिया जो क्षम्य नहीं हो सकता है। उन्होंने पूछा कि अगर सूचना दी गई थी, तो क्या यह मोदी सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठाता?
प्रधानमंत्री से जवाब की माँग
संजय सिंह ने सीधे प्रधानमंत्री मोदी से पूरे मामले पर सार्वजनिक स्पष्टीकरण की माँग की है। उन्होंने कहा कि देश को बताना चाहिए कि ट्रंप और जयशंकर में किसका बयान सच्चाई पर आधारित है। आप नेता ने कहा कि अगर सरकार ने पाकिस्तान से जानकारी साझा की, तो यह बड़ी चूक मानी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने जानबूझकर ऑपरेशन की जानकारी पाकिस्तान को पहले ही दी थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष संसद में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएगा और जवाबदेही तय कराएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति?
आप नेता ने पूछा कि क्या भारत की रणनीतिक सूचनाएं अब विरोधी देशों को पहले से दी जाती हैं? उन्होंने कहा कि यह बेहद खतरनाक परंपरा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल सकती है। उन्होंने जोर दिया कि भारतीय सेना के साथ कोई भी धोखा न देश बर्दाश्त करेगा न विपक्ष। सिंह ने कहा कि मोदी सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि यह आदेश किस स्तर से आया था। उन्होंने कहा कि अगर सच सामने नहीं आया, तो यह लोकतंत्र और सेना के लिए नुकसानदायक होगा
क्या सरकार को जवाब देना चाहिए?
यह विवाद अब सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। अगर पाकिस्तान को सच में सूचित किया गया था, तो क्या यह रणनीतिक गलती थी? और अगर नहीं, तो फिर PIB ने जयशंकर के बयान को क्यों खारिज किया?
Post Comment