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पूर्वोत्तर ऊर्जा निवेश योजना पर वेदांता समूह का बड़ा ऐलान

पूर्वोत्तर ऊर्जा निवेश योजना

पूर्वोत्तर ऊर्जा निवेश योजना से बदलेगा क्षेत्र का आर्थिक भविष्य

पूर्वोत्तर भारत, जो दशकों से बुनियादी ढांचे और निवेश की कमी से जूझता रहा है, अब देश के कॉरपोरेट दिग्गजों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। वेदांता समूह ने ₹30,000 करोड़ की पूर्वोत्तर ऊर्जा निवेश योजना की घोषणा कर इस बदलाव को और गति देने का संकल्प जताया है। यह निवेश न केवल आर्थिक बदलाव लाएगा, बल्कि सामाजिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी क्षेत्र को सशक्त बनाएगा।

कौन-कौन से राज्य आएंगे निवेश के दायरे में

इस निवेश योजना में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम शामिल हैं। ये राज्य प्राकृतिक संसाधनों, जैव विविधता और मानव संसाधनों से संपन्न हैं, लेकिन अभी तक औद्योगिक विकास की दृष्टि से उपेक्षित रहे हैं।

  • अरुणाचल और त्रिपुरा में तेल व गैस का बड़ा भंडार है।
  • मेघालय और नागालैंड में खनिज संसाधनों की भरमार है।
  • असम, जो पहले से ही ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय है, अब डेटा और ट्रांसमिशन हब बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

तेल, गैस और खनिज क्षेत्र में वेदांता की रणनीति

वेदांता समूह का मुख्य फोकस हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon) अन्वेषण और विकास पर है। यह भारत के सबसे बड़े ऊर्जा संसाधन खोज कार्यक्रमों में से एक होगा।

  • तेल और गैस के क्षेत्र में नई ब्लॉक अलॉटमेंट प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
  • रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा।
  • अत्याधुनिक तकनीक से युक्त डेटा केंद्रों की मदद से डिजिटल पूर्वोत्तर की नींव रखी जाएगी।

यह निवेश न केवल कच्चे तेल और गैस के उत्पादन को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।

एक लाख रोजगार सृजन का लक्ष्य

इस परियोजना का सबसे बड़ा सामाजिक पहलू है—1 लाख से अधिक नौकरियों का निर्माण। इसमें न केवल तकनीकी और औद्योगिक श्रमिकों को शामिल किया जाएगा, बल्कि महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण समुदायों को भी कौशल विकास के माध्यम से अवसर दिए जाएंगे।

  • विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाएंगे।
  • महिलाओं के लिए कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प आधारित योजनाएं शुरू होंगी।
  • खेल, संस्कृति और शिक्षा में भी नई संभावनाएं खुलेंगी।

नंद घर और डिजिटल समावेशन की योजना

वेदांता की सामाजिक जिम्मेदारी योजना के तहत “नंद घर” एक क्रांतिकारी पहल है, जो आंगनवाड़ी केंद्रों को तकनीकी और आधुनिक स्वरूप प्रदान करती है।

  • बच्चों के लिए पोषण, टीकाकरण और शिक्षा की सुविधा।
  • महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जांच और डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था।
  • खेल गतिविधियों के माध्यम से युवाओं के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा।

बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क और बुनियादी ढांचे का विस्तार

वेदांता और उसके साझेदारों ने असम से मेघालय तक 1,000 मेगावाट बिजली ट्रांसमिशन की क्षमता वाला नेटवर्क विकसित किया है।

  • 300 सर्किट किलोमीटर लंबा यह नेटवर्क क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा।
  • औद्योगिक और घरेलू उपयोगकर्ताओं को 24×7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
  • भविष्य में यह नेटवर्क अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को भी जोड़ेगा।

राजनीतिक समर्थन और नीति निर्माण में केंद्र की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘पूर्वोदय’ (Act East) नीति के तहत पूर्वोत्तर भारत को राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने के प्रयास तेज हुए हैं। वेदांता का यह निवेश उसी नीति की दिशा में एक ठोस कदम है।

  • केंद्र सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) को लेकर नियमों को सरल किया है।
  • पूर्वोत्तर के लिए विशेष औद्योगिक नीति पैकेज घोषित किए गए हैं।
  • राज्य सरकारों ने भी निवेशकों को भूमि और बिजली से संबंधित सुविधाएं दी हैं।

अडानी और अंबानी की आक्रामक रणनीति से प्रतिस्पर्धा

राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 में अडानी समूह ने ₹50,000 करोड़ और रिलायंस ने ₹75,000 करोड़ निवेश का एलान किया है।

  • अडानी का फोकस डेटा सेंटर, लॉजिस्टिक्स और ग्रीन एनर्जी पर है।
  • रिलायंस का ध्यान टेलीकॉम, रिटेल और शिक्षा पर केंद्रित है।
  • तीनों समूहों का मिलाजुला निवेश ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक हो चुका है।

यह प्रतिस्पर्धा पूर्वोत्तर को भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्रों में बदल सकती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भविष्य की संभावनाएं

पूर्वोत्तर भारत लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी और सामाजिक अलगाव से जूझता रहा है। लेकिन अब बदलते परिदृश्य में यह क्षेत्र न केवल भारत का रणनीतिक बल्कि आर्थिक केंद्र भी बन रहा है।

  • 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
  • चीन और म्यांमार से लगी सीमाएं इसे ट्रांस-एशियन कॉरिडोर के रूप में विकसित करने के लिए उपयुक्त बनाती हैं।
  • भविष्य में यह क्षेत्र एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत एशिया के बाजारों तक पहुंच बनाएगा।

पूर्वोत्तर भारत का नया अवतार

वेदांता की पूर्वोत्तर ऊर्जा निवेश योजना केवल एक कॉरपोरेट निवेश नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पुनर्निर्माण परियोजना है। इससे न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक परिवर्तन आएंगे।

  • क्षेत्रीय असमानता को दूर करने की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है।
  • भारत के पूर्वी सीमा क्षेत्र को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ने में सहायक होगा।
  • आने वाले दशक में पूर्वोत्तर भारत ‘न्यू इंडिया’ का नया चेहरा बन सकता है।
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