दिल्ली की मोहल्ला बस सेवा का नाम नमो बस या अंत्योदय बस क्यों बदला जा रहा है? जानें BJP के योजना नाम बदलने के विवादित उदाहरण और नई इलेक्ट्रिक बसों के बारे में।
भाजपा-नीत नई दिल्ली सरकार ने आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा शुरू की गई ‘मोहल्ला बस सेवा’ का नाम बदलकर ‘नमो बस’ या ‘अंत्योदय बस’ करने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, 1 अप्रैल से 200 नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल कर इस सेवा को रीब्रांड किया जाएगा। इस कदम को लेकर राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि बीजेपी पर पहले भी विपक्षी योजनाओं को अपने नाम से लॉन्च करने के आरोप लगते रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की AAP सरकार ने 2023 में ‘मोहल्ला बस सेवा’ लॉन्च की थी, जिसका उद्देश्य संकरी गलियों वाले इलाकों में सार्वजनिक परिवहन की पहुंच बढ़ाना था।
नई बीजेपी सरकार इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ‘नमो बस’ या फिर पार्टी के ‘अंत्योदय’ एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए ‘अंत्योदय बस’ रखने जा रही है।
परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने बताया कि अप्रैल के पहले सप्ताह तक DTC के बेड़े में 2,000 नई बसें (12m और 9m) जोड़ी जाएंगी, जिनमें 200 इलेक्ट्रिक बसें शामिल होंगी।
महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की सुविधा जारी रहेगी, और चार्जिंग स्टेशनों का 80% कार्य पूरा हो चुका है।
बीजेपी पर ‘योजनाओं का नाम बदलने’ के आरोप: विवादित उदाहरण
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी पर विपक्षी योजनाओं को अपने ब्रांडिंग से जोड़ने के आरोप लगे हैं। कुछ चर्चित मामले:
PM-KISAN vs राहगीरी योजना:
केंद्र सरकार ने 2019 में PM-KISAN लॉन्च किया, जो तेलंगाना की तत्कालीन TRS सरकार की राहतु बंधु (Rythu Bandhu) योजना से मिलता-जुलता था। विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र ने राज्यों के मॉडल को कॉपी कर अपने नाम से पेश किया।
आयुष्मान भारत vs एम्स की स्थापना:
आयुष्मान भारत को यूपीए सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) का अपडेटेड वर्जन बताया गया। साथ ही, एम्स संस्थानों की स्थापना का श्रेय भी पहले कांग्रेस सरकारों को जाता है।
स्वच्छ भारत vs निर्मल भारत:
2014 में लॉन्च हुए स्वच्छ भारत अभियान को यूपीए की निर्मल भारत योजना का रीब्रांडेड वर्जन कहा गया।
शहरों के नाम बदलना:
इलाहाबाद को प्रयागराज, फैजाबाद को अयोध्या और औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर जैसे नाम बदलने को भी बीजेपी की ‘रिवाइजिस्ट पॉलिटिक्स’ से जोड़कर देखा जाता है।
क्या कहते हैं आलोचक?
परिवहन विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योजनाओं का नाम बदलना सिर्फ “ब्रांडिंग की राजनीति” है। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा, “मोहल्ला बस सेवा दिल्ली के लोगों की मांग थी, जिसे AAP ने पूरा किया। अब बीजेपी सिर्फ क्रेडिट लेने के लिए नाम बदल रही है।”
नई बसों के आने से दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन नाम बदलने का फैसला राजनीतिक बहस को जन्म देगा। बीजेपी की ‘रीब्रांडिंग स्ट्रैटेजी’ पर सवाल तब और गहराते हैं, जब यह योजनाएं पहले से मौजूद मॉडलों पर आधारित हों।
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