Loading Now

कन्नड़-तमिल भाषा विवाद: कमल हासन के बयान से मचा बवाल!

कन्नड़ तमिल भाषा विवाद

अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन के ‘तमिल ने कन्नड़ को जन्म दिया’ वाले बयान ने कन्नड़ तमिल भाषा विवाद को जन्म दे दिया है।” चेन्नई में अपनी आगामी फिल्म ‘ठग लाइफ’ के ऑडियो लॉन्च के दौरान उन्होंने टिप्पणी की कि ‘तमिल ने कन्नड़ को जन्म दिया’। इस एक वाक्य ने कर्नाटक में कन्नड़ समर्थक संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच भारी नाराजगी पैदा कर दी। हासन को इस टिप्पणी के लिए तत्काल और व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा, जिससे राज्य भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। यह घटना भारतीय भाषाओं के बीच संवेदनशील संबंधों और क्षेत्रीय पहचान के महत्व को उजागर करती है।

  • यह बयान ‘ठग लाइफ’ के ऑडियो लॉन्च के दौरान आया।
  • कन्नड़ समर्थक संगठनों ने बयान पर कड़ी आपत्ति जताई।
  • पूरे कर्नाटक में कमल हासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए।

मुख्य बिंदु

  • कमल हासन के ‘तमिल ने कन्नड़ को जन्म दिया’ बयान से कर्नाटक में भाषाई विवाद छिड़ गया।
  • कन्नड़ संगठनों ने इसे अपमानजनक बताया, जिससे विरोध प्रदर्शन और माफी की मांग तेज हुई।
  • हासन ने अपनी टिप्पणी को “प्यार से” कहा बताते हुए राजनेताओं को ऐसी बहसों से दूर रहने की सलाह दी।
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य नेताओं ने हासन के बयान की निंदा की।
  • तमिलनाडु की डीएमके पार्टी ने हासन का बचाव किया और विवाद के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया।
  • यह घटना भाषाओं और क्षेत्रीय गौरव से जुड़े संवेदनशील मुद्दों के राजनीतिकरण को दर्शाती है।

हासन की सफाई: ‘प्यार से कहा, राजनेता भाषाई बहस के योग्य नहीं’

विवाद के बढ़ने पर कमल हासन ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह बात “प्यार से” कही थी और उनका कोई गलत इरादा नहीं था। हासन ने जोर देकर कहा कि राजनेताओं को भाषा के इतिहास पर बात करने का कोई अधिकार नहीं है, और उन्होंने खुद को भी इस श्रेणी में शामिल किया। उनकी राय में, ऐसी गहन चर्चाओं को इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और भाषा विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु के विविध राजनीतिक इतिहास का भी उदाहरण दिया, जहाँ विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के मुख्यमंत्री रहे हैं, जिससे यह संदेश दिया गया कि भाषाई संकीर्णता अनावश्यक है।

  • कमल हासन ने कहा कि बयान “प्यार से” दिया गया था।
  • उन्होंने राजनेताओं को भाषाई इतिहास पर चर्चा करने के लिए अयोग्य बताया।
  • उन्होंने ऐसी चर्चाओं को विशेषज्ञों पर छोड़ने की सलाह दी।

कन्नड़ संगठनों का आक्रोश: माफी की मांग और बहिष्कार की धमकी

कमल हासन यह टिप्पणी भाषा के इतिहास और उसकी उत्पत्ति पर राजनीतिक बहस की अनुपयुक्तता को दर्शाती है। यह कन्नड़ तमिल भाषा विवाद को एक नए आयाम पर ले जाती है, जहाँ राजनेताओं की भूमिका पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं।” कर्नाटक रक्षण वेदिके (केआरवी) जैसे प्रमुख समूहों ने बयान को कन्नड़ समुदाय का अपमान बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक हासन बिना शर्त माफी नहीं मांगते, तब तक उनकी फिल्मों का पूरे कर्नाटक में बहिष्कार किया जाएगा। इन संगठनों ने बेलगावी, मैसूर, हुबली और बेंगलुरु सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में हासन के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किए, जिससे यह मुद्दा और गहरा गया। यह केवल एक टिप्पणी नहीं, बल्कि कन्नड़ गौरव और पहचान पर हमला माना गया, जिससे क्षेत्रीय भावनाएं भड़क उठीं।

  • केआरवी ने कमल हासन की फिल्मों के बहिष्कार की धमकी दी।
  • संगठनों ने बेलगावी, मैसूर और हुबली में प्रदर्शन किए।
  • बयान को कन्नड़ लोगों की पहचान का अपमान बताया गया।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ: सीएम सिद्धारमैया का तंज और एकता का आह्वान

इस भाषाई विवाद पर कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों से भी तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कमल हासन पर कटाक्ष करते हुए कहा, “कन्नड़ का इतिहास बहुत पुराना है। बेचारे कमल हासन को इसकी जानकारी ही नहीं है।” कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने भी हासन के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, इस बात पर जोर देते हुए कि कन्नड़ भाषा का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। अरशद ने यह भी कहा कि ऐसे समय में जब देश को एकजुट होने की ज़रूरत है, इस तरह की भाषाई बहसें अनावश्यक हैं और केवल विभाजन पैदा करती हैं।

  • सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि कमल हासन को कन्नड़ के इतिहास की जानकारी नहीं है।
  • रिजवान अरशद ने बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
  • अरशद ने एकजुटता की आवश्यकता पर बल दिया।

डीएमके का बचाव और विवाद का राजनीतिकरण

इस बीच, तमिलनाडु में डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने कमल हासन का बचाव किया और इस विवाद के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ऐतिहासिक संदर्भों को तोड़-मरोड़ कर पेश करके लोगों को बांटने और परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रही है। एलंगोवन ने यह तर्क दिया कि किसी भाषा की साख इस बात पर आधारित होती है कि उसका इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, न कि उसकी उत्पत्ति पर। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हासन की टिप्पणी उनकी व्यक्तिगत राय के बजाय एक ऐतिहासिक उद्धरण हो सकती है, जिससे इस कन्नड़ तमिल भाषा विवाद को एक राजनीतिक मोड़ मिल गया। यह घटना दर्शाती है कि कैसे भाषाई मुद्दे अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ जाते हैं।

  • डीएमके प्रवक्ता एलंगोवन ने भाजपा को विवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया।
  • उन्होंने कमल हासन का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी एक ऐतिहासिक उद्धरण हो सकती है।
  • उन्होंने भाषाई विवादों के राजनीतिकरण पर चिंता व्यक्त की।
Spread the love

Post Comment

You May Have Missed