कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया पर शशि थरूर ने निराशा जताई

ऑपरेशन सिंदूर पर थरूर का बयान सामने आया है। उन्होंने कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा जताई। थरूर ने कहा कि आतंकवाद पीड़ितों के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई गई। इसके बजाय, पाकिस्तान में हुई मौतों पर संवेदना व्यक्त की गई। “हमलावर और बचाव करने वाले बराबर नहीं हो सकते,” थरूर ने ज़ोर दिया। यह बयान भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को रेखांकित करता है। भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने दृढ़ रुख पर कायम है।
सिंधु जल संधि का निलंबन: आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख
थरूर ने सिंधु जल संधि के निलंबन पर भी विस्तार से बताया। यह संधि 1960 के दशक से चली आ रही है। उन्होंने आतंकवाद के ज़रिए सद्भावना के बार-बार उल्लंघन का उल्लेख किया। “हमने पाकिस्तान को उदारतापूर्वक उसका पानी दिया है,” थरूर ने कहा। “लेकिन अब सद्भावना के आधार पर एकतरफा कार्रवाई का समय नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान शांतिपूर्ण आचरण नहीं दिखाता, संधि निलंबित रहेगी। यह भारत की दृढ़ता का प्रतीक है। आतंकवाद और द्विपक्षीय समझौते एक साथ नहीं चल सकते। यह एक महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक पहलू है।
मुख्य बिंद
- थरूर की निराशा: कोलंबिया ने आतंकी पीड़ितों के बजाय पाकिस्तानी हताहतों पर संवेदना जताई, जिस पर थरूर निराश थे।
- भारत का आत्मरक्षा: पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर भारत का आत्मरक्षा का कार्य था।
- सिंधु जल संधि निलंबन: आतंकवाद के कारण भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की; शांतिपूर्ण आचरण बिना सद्भावना असंभव।
- वैश्विक अपील: थरूर ने भारत की कार्रवाई समझने और आतंकियों को पनाह देने वालों पर दबाव बनाने को कहा: “अगर वे रुकते हैं, तो हम रुकेंगे।”
- पाक-चीन गठजोड़: पाकिस्तान-चीन के सैन्य-आर्थिक संबंध आतंकी गतिविधियों से क्षेत्रीय स्थिरता बिगाड़ते हैं, थरूर ने बताया।
- आतंकियों को पाक समर्थन: आतंकियों के अंतिम संस्कार में अधिकारियों की उपस्थिति से थरूर ने आतंकी-समर्थन सांठगांठ उजागर की।
- कोलंबिया कूटनीति: भारतीय प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुंचा, भारत का आतंकवाद विरोधी रुख और द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने हेतु।
वैश्विक समझ और मध्यस्थता की अपील
थरूर ने कोलंबिया सहित अन्य वैश्विक हितधारकों से भारत की कार्रवाइयों के व्यापक संदर्भ को समझने का आग्रह किया। उन्होंने ज़ोर दिया, “हमें लगता है कि जब वह बयान दिया गया था, तब शायद स्थिति पूरी तरह समझी नहीं गई।” भारत एक रचनात्मक वैश्विक शक्ति है और हमेशा शांति का पक्षधर रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों पर दबाव बनाने की अपील की।
- थरूर ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अन्य सरकारें आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देना बंद करने को कहेंगी।”
- यह कदम सुरक्षा परिषद में या उसके बाहर भी बेहद मददगार साबित होगा।
- भारत का मानना है कि इस संदर्भ को समझना शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
मध्यस्थता के प्रयास और भारत का रुख
हमलों के बाद, अमेरिका, फ्रांस, यूएई और सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत से संपर्क साधा था। थरूर ने स्पष्ट किया कि भारत ने इन सभी देशों को एक ही संदेश दिया था। उन्होंने कहा, “हमें युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है; हम सिर्फ एक आतंकवादी हमले का बदला ले रहे थे।” भारत अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर रहा था।
- कुछ देशों ने शायद पाकिस्तान को भारत का रुख बताया होगा।
- हालांकि, कोई भी औपचारिक मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।
- भारत ऐसी किसी भी चर्चा में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था।
आत्मरक्षा की नीति और संघर्ष से बचाव
यह भारत की स्पष्ट नीति को दर्शाता है। भारत केवल आत्मरक्षा में कार्य करता है और संघर्ष को बढ़ाने का कोई इरादा नहीं रखता है। थरूर ने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि भारत की कार्रवाई केवल जवाबी थी। भारत स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
- भारत ने अपनी कार्रवाई को आवश्यक बताया, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके।
- भारत की नीति साफ है वह उकसावे पर ही प्रतिक्रिया देता है।
- संघर्ष को बढ़ावा देना भारत का उद्देश्य बिल्कुल नहीं है।
पाकिस्तान-चीन सैन्य संबंध और आतंकवाद की साठगांठ
थरूर ने पाकिस्तान और चीन के मजबूत सैन्य व आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि चीन पाकिस्तान के 81% सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करता है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, जो चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा है, सबसे बड़ी परियोजना है। भारत की चिंता पाकिस्तान की विकास साझेदारी से नहीं है, बल्कि उसकी आतंकवादी गतिविधियों से है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को चीन का समर्थन क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत का आत्मरक्षा का अधिकार
भारत अपने आत्मरक्षा के अधिकार पर ज़ोर देता है। थरूर ने कहा कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद का सीधा जवाब है। उन्होंने समझाया, “हम यहां समझ की तलाश में हैं।” “आतंकवादियों को भेजने वालों और उनका विरोध करने वालों में कोई समानता नहीं हो सकती।” उन्होंने पहलगाम हमलावरों के पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने के विश्वसनीय सबूत भी दिए। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि हमले की योजना पाकिस्तान में बनाई गई थी।
आतंकियों को समर्थन और भारत की सीधी नीति
पाकिस्तान में एक प्रतिबंधित आतंकवादी के सार्वजनिक अंतिम संस्कार की खबरें थीं, जिसमें वर्दीधारी अधिकारी शामिल हुए। थरूर ने इसे आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वालों के बीच “मिलीभगत की हद” बताया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भारत ने उकसावे के अनुपात में कार्रवाई की है।
- भारत ने एक गंभीर आतंकवादी हमला झेला।
- कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, कोई मुकदमा नहीं चला।
- “इसलिए हमने वही किया जो ज़रूरी था। हमने जवाब दिया।”
- “और अगर वे रुकते हैं, तो हम भी रुकते हैं।”
यह भारत की सीधी और स्पष्ट नीति है: यदि आतंकवाद बंद होता है, तो जवाबी कार्रवाई भी बंद होगी।
कोलंबिया में कूटनीति: आतंकवाद के खिलाफ भारत का वैश्विक आह्वान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुंचा। पनामा यात्रा के समापन के बाद लैटिन अमेरिकी कूटनीतिक संपर्क जारी रखा गया। इसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को उजागर करना था। थरूर ने बोगोटा से सोशल मीडिया पर एक अपडेट साझा किया। उन्होंने यात्रा के कोलंबिया चरण की उत्पादक शुरुआत का उल्लेख किया।
- “आज हमारे कोलंबिया दौरे की शुरुआत हमारे राजदूत, वनलालहुमा द्वारा प्रतिनिधिमंडल को ब्रीफिंग से हुई।”
- “इसके बाद एक दर्जन से अधिक स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के साथ अच्छी तरह से उपस्थित प्रेस वार्ता हुई।”
- “फिर मैंने कोलंबियाई पत्रकार जुआन कैमिलो रामिरेज़ के साथ साक्षात्कार किया।”
- “संदेश को वहां पहुंचाना जहाँ इसे सुना जाना चाहिए!” उन्होंने X पर पोस्ट किया।
कोलंबिया में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का आगमन
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुँचा। यह दल ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत सरकार की व्यापक कूटनीतिक पहल का हिस्सा है। 29 से 31 मई तक की यह यात्रा आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ स्थिति को रेखांकित करती है। यह लैटिन अमेरिका में रणनीतिक साझेदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने का भी प्रयास है। प्रतिनिधिमंडल में सांसद सरफराज अहमद, गंटी हरीश मधुर, शशांक मणि त्रिपाठी, मिलिंद मुरली देवड़ा, भुवनेश्वर कलिता, तेजस्वी सूर्या और राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं।
कूटनीतिक उद्देश्य और गतिविधियाँ
अगले दो दिनों में, प्रतिनिधिमंडल कोलंबियाई सांसदों, मंत्रियों, नीति थिंक टैंक और मीडिया प्रतिनिधियों से बात करेगा। वे आतंकवाद पर भारत के शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण को उजागर करेंगे। यह द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करेगा। इस दौरे का मुख्य लक्ष्य वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख दिखाना है। यह पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद को भी उजागर करेगा।
- प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को स्पष्ट करना है।
- वे द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।
पनामा में सफल कूटनीतिक जुड़ाव
यह कोलंबिया यात्रा पनामा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जुड़ाव के बाद हुई। पनामा में भारत के राजदूत सुमित सेठ ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की मेज़बानी की थी। उस यात्रा के बारे में थरूर ने बताया कि यह एक शानदार स्वागत समारोह के साथ समाप्त हुई।
- पनामा के विदेश मंत्री और उनके उप-मंत्री कार्लोस होयोस ने भारत के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की।
- उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और घनिष्ठ सहयोग बढ़ाने के लिए समर्थन दिया।
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