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नवरोज़ 2025: पारसी समुदाय का 3000 साल पुराना ‘नया दिन’

20 मार्च आज पारसी समुदाय का ‘नया दिन’ है जिसे ‘नवरोज़’ कहते हैं, यह पारसी समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। 20 मार्च 2025 को मनाए जाने वाले इस उत्सव की शुरुआत 3000 साल पहले ईरान में ज़रथोस्त्री धर्म से हुई थी। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन और ईरानी सोलर हिजरी कैलेंडर के नववर्ष का प्रतीक है। नवरोज़ न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में पारसी, ईरानी और मध्य एशियाई समुदायों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

नवरोज़ का इतिहास प्राचीन फारसी साम्राज्य से जुड़ा है। ज़रथोस्त्री धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यह दिन सृष्टि की रचना और मानवता की जीत का प्रतीक है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे ‘वर्नल इक्विनॉक्स’ कहा जाता है। यह त्योहार समानता, शांति और प्रकृति के साथ सामंजस्य का संदेश देता है।

वसंत और नई शुरुआत का प्रतीक

नवरोज़ वसंत के आगमन पर मनाया जाता है, जो प्रकृति में नवजीवन और खुशहाली लाता है। पारसी लोग इस दिन को नए संकल्पों, पुराने विवादों को भूलकर रिश्तों को मजबूत करने के लिए समर्पित करते हैं। घरों में फूलों और रंगोली से सजावट की जाती है, जो प्रकृति के सौंदर्य को दर्शाती है।

पारंपरिक रीति-रिवाज

इस दिन पारसी परिवार ‘हफ्त-सीन’ नामक एक विशेष मेज सजाते हैं, जिस पर 7 चीज़ें रखी जाती हैं। इनमें सब्ज़ा (अंकुरित अनाज), सिक्के (समृद्धि), सेब (स्वास्थ्य) और लहसुन (सुरक्षा) शामिल होते हैं। लोग अग्नि मंदिरों में प्रार्थना करते हैं और ‘पटेती’ नामक दान देकर गरीबों की मदद करते हैं।

विशेष व्यंजन और उत्सव

नवरोज़ पर पारसी घरों में मिठाइयाँ और पारंपरिक व्यंजन जैसे ‘फालूदा’, ‘रवो’ और ‘मुर्ग दाल पुलाव’ बनाए जाते हैं। सेवइयाँ और केसर युक्त व्यंजन समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। परिवार एक साथ बैठकर भोजन करते हैं और एक-दूसरे को ‘नवरोज़ मुबारक’ कहकर शुभकामनाएं देते हैं।

भारत में नवरोज़ का उल्लास

भारत में पारसी समुदाय मुंबई, दिल्ली और गुजरात में बड़े उत्साह से नवरोज़ मनाता है। मुंबई के ‘अगियारी’ मंदिर में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित होती हैं, जबकि गुजरात में सांस्कृतिक नृत्य और संगीत कार्यक्रम होते हैं। इस दिन पारसी लोग पारंपरिक पोशाकें पहनकर समुदायिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।

सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश

नवरोज़ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सामुदायिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। पारसी लोग पेड़ लगाने, जल संरक्षण और गरीबों को भोजन दान करने की प्रथा निभाते हैं। यह त्योहार मानवता और प्रकृति के बीच संतुलन की प्रेरणा देता है।

नवरोज़ 2025 की शुभकामनाएं

नवरोज़ 2025 सभी के जीवन में नई उम्मीद, स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर आए। यह त्योहार हमें प्रेम, एकता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी की याद दिलाता है। आप सभी को नवरोज़ की हार्दिक शुभकामनाएं! नवरोज़ मुबारक!

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