22 करोड़ में हुई मोदी की जून 2023 में हुई US ट्रिप! विरोधियों ने साधा निशाना

नयी दिल्ली, 21 मार्च 2024 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून 2023 में हुई अमेरिका यात्रा पर 22.89 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च सामने आया है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब में साझा की है। विदेश दौरों पर होने वाले खर्च को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है, जबकि सत्तापक्ष ने इसे “राष्ट्रीय हित में जरूरी निवेश” बताया है।
क्या-क्या शामिल है यात्रा के खर्च में?
विदेश राज्य मंत्री पवित्र मार्गेरिटा के अनुसार, यह खर्च होटल व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन, परिवहन, मीडिया प्रतिनिधिमंडल और सामुदायिक स्वागत समारोहों पर किया गया। सितंबर 2023 में हुई मोदी की दूसरी अमेरिका यात्रा पर 15.33 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो पिछली यात्रा से लगभग 7.5 करोड़ कम है।
पिछली सरकारों vs मोदी सरकार: खर्च की तुलना
मार्गेरिटा ने 2014 से पहले की सरकारों के आंकड़े भी साझा किए:
- 2011 में अमेरिका यात्रा (मनमोहन सिंह): 10.74 करोड़
- 2013 में रूस यात्रा: 9.95 करोड़
- 2011 में फ्रांस यात्रा: 8.33 करोड़
हालांकि, मुद्रास्फीति और रुपये के अवमूल्यन (2011 से 2023 तक रुपया डॉलर के मुकाबले 40% गिरा) को ध्यान में रखें तो पुराने आंकड़े और बढ़ सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 2011 का 10 करोड़ आज के ≈28 करोड़ के बराबर होगा।
विपक्ष ने उठाए सवाल: “जनता के पैसे की बर्बादी?”
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से पूछा, “एक ही देश की यात्रा पर इतना अंतर क्यों? क्या यह फंड का दुरुपयोग है?” राहुल गांधी ने ट्विटर पर #22CroreQuestion हैशटैग ट्रेंड कराते हुए लिखा, “यह खर्च किसानों की आय दोगुनी करने में क्यों नहीं लगाया जाता?”
सरकार का पक्ष: “वैश्विक पहुंच में निवेश जरूरी”
सरकार ने जवाब दिया है कि यह खर्च राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार समझौतों और वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति मजबूत करने के लिए किया गया। उदाहरण के तौर पर, जून 2023 की यात्रा के दौरान US-India Defence Partnership और सेमीकंडक्टर डील पर हस्ताक्षर हुए, जिससे 10,000 करोड़ रुपये का निवेश आया।
दुनिया भर के नेताओं के खर्च से तुलना
- अमेरिकी राष्ट्रपति की विदेश यात्रा का औसत खर्च: ≈50 करोड़ रुपये (सुरक्षा, एयरफोर्स वन आदि समेत)।
- ब्रिटिश PM की यात्रा: ≈18-25 करोड़।
- चीन के राष्ट्रपति की यात्राओं पर खर्च गोपनीय रखा जाता है।
सोशल मीडिया पर बवाल: क्या कह रही है जनता?
ट्विटर पर #ModiUSVisitCost ट्रेंड कर रहा है। कुछ यूजर्स ने खर्च को “देश की प्रतिष्ठा का सवाल” बताया, तो कुछ ने “एयर इंडिया वन के बजाय प्राइवेट जेट किराए पर लेने” को आड़े हाथों लिया। एक यूजर ने लिखा, “2023 में G20 समिट पर 4000 करोड़ खर्च हुए, तो 22 करोड़ कम हैं!”
विशेषज्ञों की राय: “खर्च जायज, पर पारदर्शिता जरूरी”
राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार कहते हैं, “विदेश नीति के लिए ये खर्च छोटे हैं, लेकिन सरकार को ब्रेकअप दिखाना चाहिए।” अर्थशास्त्री डॉ. रितु सिंह का मानना है कि “2023 के मुकाबले 2024 में खर्च कम होना सकारात्मक है, लेकिन टैक्सपेयर्स को पूरी जानकारी मिलनी चाहिए।”
क्या है आगे की राह?
विपक्ष ने इस मुद्दे को संसद के मॉनसून सत्र में उठाने की धमकी दी है। साथ ही, RTI के तहत यात्रा के विस्तृत ब्यौरे मांगे जा रहे हैं। देखना है, क्या सरकार और पारदर्शिता दिखाएगी या यह बहस “राष्ट्र vs विरोध” के घेरे में सिमट जाएगी!
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