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महाराष्ट्र में शराब महंगी- जानें नए दाम और महाराष्ट्र कैबिनेट के अन्य बड़े फैसले

महाराष्ट्र में शराब महंगी

महाराष्ट्र में शराब महंगी होगी। राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। यह फैसला राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। एक उच्च स्तरीय अध्ययन समूह ने अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन किया था। इस समूह ने उत्पाद शुल्क, लाइसेंसिंग और कर संग्रह में सुधार की सिफारिशें दी थीं। अब भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर उत्पाद शुल्क बढ़ जाएगा।

  • आईएमएफएल पर उत्पाद शुल्क अब घोषित विनिर्माण लागत का 4.5 गुना होगा।
  • पहले यह तीन गुना था। यह प्रति बल्क लीटर 260 रुपये तक बढ़ सकता है।
  • देशी शराब पर शुल्क भी 180 रुपये से बढ़कर 205 रुपये प्रति प्रूफ लीटर होगा।

यह वृद्धि राज्य सरकार के खजाने को मजबूत करेगी। इससे अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद है।

मुख्य बिंदु :

  1. महाराष्ट्र कैबिनेट ने शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने को मंजूरी दी, दाम बढ़ेंगे।
  2. आईएमएफएल पर शुल्क तीन गुना से बढ़ाकर साढ़े चार गुना कर दिया गया।
  3. देशी शराब, एमएमएल और विदेशी शराब के नए न्यूनतम खुदरा मूल्य तय किए गए।
  4. आबकारी विभाग के पुनर्गठन के तहत 1,223 नए पदों को स्वीकृति मिली।
  5. उत्पाद शुल्क से सालाना 14,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व मिलने का अनुमान।
  6. महाराष्ट्र अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा देने हेतु विधेयक को मंजूरी।
  7. फिजियोथेरेपी व व्यावसायिक चिकित्सा छात्रों के वजीफे में बड़ी बढ़ोतरी की गई।

नई ‘महाराष्ट्र निर्मित शराब’ (MML) श्रेणी का परिचय

राज्य ने अनाज आधारित महाराष्ट्र निर्मित शराब (एमएमएल) की एक नई श्रेणी शुरू की है। इसका उत्पादन केवल स्थानीय निर्माताओं द्वारा किया जाएगा। एमएमएल ब्रांडों को नए पंजीकरण की आवश्यकता होगी। 180 मिलीलीटर की बोतलों के लिए संशोधित न्यूनतम खुदरा मूल्य तय किए गए हैं। देशी शराब 80 रुपये, एमएमएल 148 रुपये में मिलेगी। आईएमएफएल 205 रुपये और प्रीमियम विदेशी शराब 360 रुपये में उपलब्ध होगी।

  • एफएल-2 और एफएल-3 लाइसेंस (सीलबंद बोतल और ऑन-प्रिमाइसेस बिक्री के लिए) अब संचालन समझौतों के माध्यम से संचालित होंगे।
  • इन पर क्रमशः 15 प्रतिशत और 10 प्रतिशत अतिरिक्त वार्षिक लाइसेंस शुल्क लगेगा।

उत्पाद शुल्क में यह बढ़ोतरी 14 वर्षों में पहली बार हुई है। पड़ोसी राज्यों से तुलना में शुल्क अभी भी कम है।

आबकारी विभाग का पुनर्गठन और नए पदों का सृजन

कैबिनेट ने आबकारी विभाग के पुनर्गठन को भी मंजूरी दी है। डिस्टिलरी और बॉटलिंग प्लांट की निगरानी एआई-आधारित एकीकृत नियंत्रण सेल करेगा। मुंबई में एक नया मंडल कार्यालय बनेगा। मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, ठाणे, पुणे, नासिक, नागपुर और अहिल्यानगर जिलों में छह अतिरिक्त अधीक्षक स्तर के कार्यालय बनेंगे। विभाग को मजबूत करने के लिए 1,223 नए पदों को मंजूरी मिली है। इनमें 744 नियमित और 479 पर्यवेक्षी पद हैं।

  • इन उपायों से उत्पाद शुल्क और संबंधित करों में सालाना 14,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
  • यह अनुमान है कि यह 2025-26 के लिए कुल राजस्व प्राप्तियों में 10% का योगदान देगा।

सरकार का लक्ष्य इस राजस्व से लोकलुभावन योजनाओं को वित्तपोषित करना है।

महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा देने के लिए मसौदा विधेयक को मंजूरी मिली है। यह विधेयक राज्य विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश होगा। आयोग की स्थापना 2005 में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए हुई थी। अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अलग-अलग निकाय स्थापित करने की सिफारिश की गई थी।

  • कैबिनेट ने एससी आयोग की स्थापना के लिए 27 स्वीकृत पदों के हस्तांतरण को भी मंजूरी दी।
  • यह कदम अनुसूचित जातियों के मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करेगा।

महाराष्ट्र में शराब महंगी होने के साथ-साथ यह सामाजिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति है।

छात्रों के वजीफे में उल्लेखनीय वृद्धि

कैबिनेट ने सरकारी फिजियोथेरेपी और व्यावसायिक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए वजीफे में भी बढ़ोतरी को मंजूरी दी। स्नातक प्रशिक्षुओं का वजीफा 1,750 रुपये से बढ़कर 8,000 रुपये प्रति माह होगा। स्नातकोत्तर छात्रों को 33,730 रुपये प्रति माह मिलेंगे। यह महंगाई भत्ते सहित 10,000 रुपये की बढ़ोतरी है। यह वृद्धि 1 जून, 2025 से लागू होगी।

  • मुंबई, पुणे, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर और नांदेड़ के सरकारी कॉलेजों में इंटर्नशिप कर रहे नर्सिंग छात्रों को भी लाभ मिलेगा।
  • छह महीने की इंटर्नशिप के लिए उन्हें 8,000 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा।

ये सभी फैसले महाराष्ट्र सरकार के व्यापक सुधारों का हिस्सा हैं।

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