Loading Now

पहलगाम आतंकियों को शरण देने वाले दो आरोपी NIA की गिरफ्त में

पहलगाम हमला पाकिस्तानी आतंकवादी

पहलगाम आतंकियों को शरण देने वाले दो व्यक्तियों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह घटनाक्रम 22 अप्रैल को हुए उस घातक आतंकी हमले से जुड़ा है। इसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। यह हमला पूरे देश को हिला देने वाला था। इस हमले के बाद देश भर में शोक और आक्रोश का माहौल था।

  • एजेंसी ने अपनी जांच में बड़ी सफलता हासिल की है।
  • गिरफ्तार किए गए लोगों ने आतंकवादियों की पहचान बताई है।
  • वे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक थे।

मुख्य बिंदु :

  1. बटकोट व हिल पार्क से दो लोग आतंकियों को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार।
  2. हमले में शामिल आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक पाए गए।
  3. 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में 26 लोगों की दर्दनाक हत्या हुई थी।
  4. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित सभी नेताओं ने घटना की तीखी निंदा की।
  5. 2000 से अधिक लोगों से पूछताछ, कई पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया।
  6. एनआईए और पुलिस की कश्मीर में 32 जगहों पर सघन छापेमारी।
  7. UAPA के तहत गिरफ्तारी से आतंकी नेटवर्क पर बड़ा प्रहार।

बटकोट और हिल पार्क से हुई गिरफ्तारियां

NIA ने पहलगाम के बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही, हिल पार्क के बशीर अहमद जोथर को भी पकड़ा गया है। इन दोनों ने हमले में शामिल तीन सशस्त्र आतंकवादियों को पनाह दी थी। जांच के अनुसार, उन्होंने हिल पार्क में एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में शरण दी। यह ढोक हमलावरों के लिए एक छिपने की जगह थी।

  • इन्होंने आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान की।
  • हमला 22 अप्रैल को हुआ था।
  • अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया था।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और राष्ट्रीय एकजुटता

इस जघन्य हमले के बाद, राजनीतिक गलियारों में कड़ी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले को “चौंकाने वाला और दर्दनाक” बताया। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि “इसके लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “कायरतापूर्ण और निंदनीय कृत्य” करार दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना के तुरंत बाद श्रीनगर का दौरा किया। उन्होंने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे “नीच और अमानवीय कृत्य” कहा।
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस कृत्य की कड़ी निंदा की।
  • विपक्षी दलों के नेताओं ने भी एक सुर में इस हमले की निंदा की।

कड़ी पूछताछ और 2000 से अधिक बयान

NIA ने इस मामले में कई स्थानीय चश्मदीदों से पूछताछ की है। इनमें टट्टू वाले भी शामिल थे। कुल मिलाकर, 2,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई। पूछताछ किए गए कुछ लोगों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज हुआ। NIA के एक अधिकारी ने बताया कि संघीय एजेंसी को आतंकवादियों के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें पता चली हैं।

  • जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी 100 से अधिक आतंकी सहयोगियों के घरों पर छापेमारी की।
  • NIA ने मृतकों और बचे लोगों के रिश्तेदारों से भी बात की।
  • एजेंसी घटनास्थल पर फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने में भी जुटी है।

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे हमलावर

NIA की जांच में सामने आया है कि इस हमले में शामिल आतंकी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक थे। लश्कर-ए-तैयबा के एक छद्म संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। अधिकारियों ने बताया कि RC-02/2025/NIA/JMU के रूप में मामला दर्ज है। इसकी जांच एनआईए की जम्मू इकाई द्वारा की जा रही है।

  • जांच में स्थानीय सहयोगियों और सीमा पार नेटवर्क की भी पड़ताल की जा रही है।
  • एजेंसी को उम्मीद है कि आगे की जांच में और भी खुलासे होंगे।

कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी

यह गिरफ्तारी एजेंसी द्वारा कश्मीर में 32 स्थानों पर छापेमारी के कुछ सप्ताह बाद हुई है। शोपियां, कुलगाम, पुलवामा, सोपोर और कुपवाड़ा में छापे मारे गए। ये छापे पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों से जुड़े ओवरग्राउंड वर्करों के ठिकानों पर थे। अधिकारियों ने बताया कि इन छापों का उद्देश्य आतंकी नेटवर्क को कमजोर करना था। पहलगाम आतंकियों को शरण देने वाले लोगों की तलाश जारी थी।

  • जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने छापे में मदद की।
  • ये छापे दो साल पहले दर्ज एक मामले का हिस्सा थे।

गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत गिरफ्तारी

दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह धारा आतंकवादी को शरण देने से संबंधित है। पहलगाम आतंकियों को शरण देना एक गंभीर अपराध है। NIA ने कहा है कि मामले की आगे की जांच जारी है।

  • गिरफ्तारियों से आतंकी नेटवर्क को खत्म करने में मदद मिलेगी।
  • एजेंसी पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।

बैसरन घाटी में हुआ था हमला

पहलगाम की बैसरन घाटी में हमला हुआ था। इस जगह को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। हमलावरों ने जानबूझकर धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया। यह हाल के दिनों का सबसे भीषण आतंकी हमला था।

  • आरोपियों ने हमलावरों की पहचान की पुष्टि की है।
  • जांच में और खुलासे होने की उम्मीद है।
  • पहलगाम आतंकियों को शरण देने वाले अब कानून के शिकंजे में हैं।
Spread the love

Post Comment

You May Have Missed