बिलावल भुट्टो जरदारी की चेतावनी: सिंधु जल संधि माने या युद्ध की तैयारी करे

सिंधु जल विवाद पर बिलावल भुट्टो जरदारी की चेतावनी ने भारत-पाक संबंधों में नई तल्खी ला दी है। इस्लामाबाद से एक बड़े बयान में, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा कि यदि भारत सिंधु जल संधि का उल्लंघन करेगा, तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। सोमवार को नेशनल असेंबली में बजट 2025-26 पर अपनी बात रखते हुए, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल ने यह स्पष्ट किया कि “यदि भारत सिंधु जल संधि के तहत अपना पानी देने से इनकार करता है तो पाकिस्तान युद्ध करेगा।” उनकी यह टिप्पणी भारत द्वारा संधि के “अवैध निलंबन” के संदर्भ में आई है।
- भारत के इस कदम को बिलावल ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
- उन्होंने दो टूक कहा कि भारत के पास केवल दो ही विकल्प हैं: या तो वह संधि का सम्मान करे, या फिर यदि वह बांधों या नहरों के माध्यम से नदी के पानी को मोड़ने का प्रयास करता है तो संघर्ष का सामना करे।
मुख्य बिंदु :
1. बिलावल भुट्टो ने सिंधु जल संधि के उल्लंघन पर भारत को युद्ध की चेतावनी दी।
2. संसद में बिलावल ने कहा, पानी रोका तो पाकिस्तान को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।
3. मोदी की नीति को नेतन्याहू की “सस्ती नकल” बताते हुए शांति को खतरा बताया गया।
4. बिलावल ने दावा किया कि पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया।
5. सिंधु संधि रोकने को भारत की आक्रामकता बताकर संयुक्त राष्ट्र चार्टर उल्लंघन बताया।
6. ईरान पर अमेरिका-इज़रायल हमलों की निंदा करते हुए परमाणु रिसाव की चेतावनी दी गई।
7. अमित शाह ने घोषणा की कि सिंधु जल संधि बहाल नहीं की जाएगी, नहरें बनाई जाएंगी।
भारत के कदम को अस्वीकार और ‘नेतन्याहू की सस्ती नकल’
बिलावल भुट्टो जरदारी की चेतावनी में भारत के इस कदम को पूरी तरह से अस्वीकार करना शामिल है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्हें “नेतन्याहू की सस्ती नकल” कहा। उन्होंने मोदी पर क्षेत्रीय शांति को खतरे में डालने का आरोप भी लगाया। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान ने कूटनीतिक, सैन्य और नैरेटिव मोर्चों पर भारत को पहले ही हरा दिया है।
- उन्होंने यह भी कहा कि पानी पाकिस्तान का है।
- इसे रोकने का कोई भी प्रयास संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन होगा।
पानी का अधिकार और क्षेत्रीय शांति का पक्षधर पाकिस्तान
बिलावल ने इस बात पर भी जोर दिया कि पाकिस्तान न केवल अपने जल अधिकारों की रक्षा कर रहा है। साथ ही वह क्षेत्र में शांति के लिए भी खड़ा है, क्योंकि दोनों देशों की भावी पीढ़ियां सहयोग की हकदार हैं, संघर्ष की नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत चाहता है कि हम पानी के लिए लड़ें, लेकिन हम शांति चाहते हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की सेना और वायु सेना अगले युद्ध में भी जीतने में सक्षम हैं, जैसा उन्होंने पिछले युद्ध में किया था।
- उन्होंने कहा, “भारत के पास केवल दो विकल्प हैं, या तो वह सिंधु जल संधि का पालन करे।”
- “लेकिन अगर वह नहरें और बांध बनाने का फैसला करता है, तो उसे सभी छह नदियों को छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की कूटनीतिक जीत
बिलावल भुट्टो जरदारी की चेतावनी में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की कूटनीतिक सफलता का जिक्र भी है। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर अब भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय चिंता बन गया है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है। उन्होंने कहा कि जब भारत ने 2019 में कश्मीर के अधिकारों का उल्लंघन किया, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने “लाचारी” व्यक्त की थी।
- इस बार, जब कश्मीर और पाकिस्तान पर हमला हुआ, तो पाकिस्तान झुका नहीं बल्कि “युद्ध लड़ा और जीता”।
- उन्होंने छह भारतीय जेट विमान गिराने और कश्मीर को एक विवादित मुद्दे के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने का भी दावा किया।
आतंकवाद का मुकाबला और वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की स्थिति
पीपीपी अध्यक्ष ने आतंकवाद को देश का सबसे बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद का बहाना बनाकर पाकिस्तान पर अपने हमले को सही ठहराने की कोशिश की, लेकिन इस मोर्चे पर भी भारत हार गया। बिलावल ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय और राजनयिकों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन डीसी में भारतीय लॉबी को भी हरा दिया, जो इजरायल के बाद दूसरी सबसे बड़ी लॉबी है।
- उन्होंने अमेरिकी सेना के एक प्रमुख व्यक्ति का भी हवाला दिया।
- उन्होंने कहा, “आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान एक अभूतपूर्व भागीदार रहा है।”
ईरान पर हमले की निंदा और परमाणु चिंताओं पर बिलावल की राय
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष ने ईरान पर अमेरिका-इज़रायल के हमलों की भी कड़ी निंदा की। उन्होंने इन हमलों को अवैध और खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि परमाणु सुविधाओं पर कोई भी हमला सिर्फ़ ईरान पर संभावित हमला नहीं है, बल्कि यदि कोई रिसाव होता है, तो इसका पाकिस्तान सहित क्षेत्र के सभी पड़ोसी देशों पर असर होगा। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री पर दशकों से यह झूठ फैलाने का आरोप लगाया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने से कुछ ही दिन दूर है।
- उन्होंने कहा, “हम ईरान पर हमले की निंदा करते हैं।”
- उन्होंने जोर देकर कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन किया गया।”
सिंधु जल संधि का निलंबन और अमित शाह का बयान
इसी बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सप्ताहांत में कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को “कभी भी” बहाल नहीं करेगा। शाह ने कहा कि भारत नहरें बनाकर पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को राजस्थान ले जाएगा। यह घोषणा पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद आई है, जिसके लिए भारत पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराता है। पाकिस्तान ने पहले कहा था कि वह भारत द्वारा उसकी जल आपूर्ति बाधित करने को युद्ध का आधार मानेगा।
- बिलावल भुट्टो-जरदारी की चेतावनी में यह भी शामिल था कि अगर भारत अपनी धमकी को लागू करता है, तो पाकिस्तान को एक और युद्ध लड़ना होगा।
- उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पानी का प्रवाह रोका गया तो युद्ध होगा।
विश्व बैंक की कार्यवाही में विराम और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारतीय आक्रामकता की ओर मुड़ते हुए, बिलावल ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की लाल रेखाएँ पार हो गई हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमलों के बाद भारत ने सिंधु जल संधि का पालन न करने की बात कही और उसे “स्थगित” कर रहा है। यह अवैध है, उन्होंने कहा, क्योंकि संधि आज भी भारत और पाकिस्तान के लिए बाध्यकारी है। पाकिस्तान को पानी के प्रवाह को रोकने की धमकी संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है और अवैध है, बिलावल ने जोर दिया कि भारत ऐसा नहीं कर सकता।
- भारत ने विश्व बैंक के तटस्थ विशेषज्ञ, मिशेल लिनो को पत्र लिखकर अनुरोध किया
- सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद रतले और किशनगंगा जलविद्युत विवादों पर अपनी कार्यवाही में विराम लगाएं।
- पाकिस्तान ने भारत के इस अनुरोध का विरोध किया है और विवाद समाधान कार्यवाही को स्थगित करने के किसी भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।
सिंधु जल संधि: इतिहास, प्रभाव और 2025 की घटनाएं
संधि की स्थापना और लागू होने की तिथि
- बनने की तिथि: 19 सितंबर 1960
- हस्ताक्षरकर्ता: भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अय्यूब ख़ान
- मध्यस्थ: विश्व बैंक
- लागू होने की तिथि: 1 अप्रैल 1960
- उद्देश्य: छह प्रमुख नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब, सतलुज, ब्यास, रावी) का जल-विभाजन
प्रावधान:
- पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत के लिए
- पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चेनाब) पाकिस्तान के लिए
सिंधु जल संधि का निलंबन: घटनाक्रम और राजनीतिक बयानबाज़ी
तारीख | घटना / निर्णय | संक्षिप्त विवरण |
---|---|---|
22 अप्रैल 2025 | पहलागाम आतंकी हमला | 26 भारतीय पर्यटकों की हत्या, भारत ने पाकिस्तान को दोषी ठहराया |
23 अप्रैल 2025 | संधि को निलंबित करने की पहली घोषणा | भारत ने सिंधु जल संधि को “स्थगित” करने की बात कही |
25 अप्रैल 2025 | जल डेटा और पानी रोकने की प्रक्रिया शुरू | चेनाब नदी से बहाव सीमित हुआ, जल आंकड़े साझा नहीं किए गए |
10 मई 2025 | पाकिस्तान की चेतावनी | प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और एनएससी ने कहा – “पानी रोका तो युद्ध होगा” |
21 जून 2025 | अमित शाह का ऐलान | “भारत सिंधु जल संधि को अब कभी बहाल नहीं करेगा” – नहरों से पानी राजस्थान जाएगा |
24 जून 2025 | बिलावल भुट्टो-जरदारी की चेतावनी | “अगर भारत पानी रोकेगा, तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा विकल्प नहीं रहेगा” |
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