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केरल में शशि थरूर का विरोध : कांग्रेस के भीतर टकराव की पूरी तस्वीर

केरल में थरूर विरोध

कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया सराहना पर केरल में थरूर विरोध उभर आया है। केरल में पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पार्टी की कार्यसमिति (CWC) के सदस्य के. मुरलीधरन के. मुरलीधरन ने शशि थरूर पर खुलेआम हमला किया है। उन्होंने थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया प्रशंसा को न सिर्फ ‘घृणित’ बताया बल्कि यह भी कहा कि चुनावी मौसम में ऐसा बयान पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यसमिति का सदस्य चुनावी मौसम में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की तारीफ नहीं कर सकता। थरूर ने मोदी की ऊर्जा और वैश्विक मंच पर भूमिका को भारत के लिए “प्रमुख संपत्ति” बताया था।

  • मुरलीधरन का सख्त रुख :
    • थरूर की टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया; चुनाव के दौरान प्रतिद्वंद्वी की प्रशंसा को नुकसानदेह कहा।
    • कार्यसमिति सदस्य के स्तर पर ऐसी बयानबाज़ी को पार्टी लाइन से परे माना।
    • नीलांबुर उपचुनाव के दिन दिए गए थरूर के “मुझे बुलाया नहीं गया” वाले बयान को “दुर्भाग्यपूर्ण” कहा।
    • अनुशासनात्मक कार्रवाई पर निर्णय आलाकमान पर छोड़ने की बात दोहराई।

यह पहली बार है जब थरूर को उनके ही गृह राज्य में पार्टी के किसी बड़े नेता से इतनी सार्वजनिक आलोचना मिली है। थरूर ने मतभेद स्वीकारे लेकिन कांग्रेस के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जताई।

मुख्य बिंदु:

  1. केरल में पहली बार शशि थरूर को पार्टी के वरिष्ठ नेता ने खुलेआम घेरा।
  2. मुरलीधरन ने मोदी की प्रशंसा को ‘घृणित’ और कांग्रेस लाइन के खिलाफ बताया।
  3. थरूर ने मोदी को वैश्विक मंच पर भारत की ‘प्रमुख संपत्ति’ करार दिया था।
  4. नीलांबुर उपचुनाव में थरूर को आमंत्रित नहीं किया गया, उस पर भी बयानबाज़ी हुई।
  5. थरूर ने मतभेद स्वीकारे लेकिन कांग्रेस के प्रति निष्ठा दोहराई।
  6. पार्टी के भीतर मतभेद और अनुशासन की बहस फिर से तेज़ हो गई है।
  7. केरल में थरूर विरोध से कांग्रेस की एकजुटता और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।

थरूर ने क्या कहा था?

शशि थरूर ने हाल ही में एक राष्ट्रीय अखबार में लेख लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “ऊर्जा, गतिशीलता और जुड़ने की इच्छा” की प्रशंसा की थी। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक मंचों पर मोदी की उपस्थिति भारत के लिए एक “प्रमुख संपत्ति” बन चुकी है।

थरूर ने लिखा:

“मोदी की उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वह जिस तरह वैश्विक नेताओं से संवाद करते हैं, वह प्रभावशाली है।”

थरूर के लेख के बाद केरल में थरूर विरोध तेज़ हुआ, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद सार्वजनिक हो गए।

मुरलीधरन ने थरूर पर सीधा निशाना साधा

मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुरलीधरन ने कहा :

“यह काफी घृणित है कि पार्टी कार्यसमिति का एक सदस्य एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की खुलकर प्रशंसा करता है।”

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि जब कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति को लगातार विफल बता रही है, तब कार्यसमिति का कोई सदस्य प्रधानमंत्री को “भारत की प्रमुख संपत्ति” बताए – यह पार्टी लाइन के विरुद्ध जाता है। केरल में थरूर विरोध की यह पहली सार्वजनिक मिसाल है, जब प्रदेश के वरिष्ठ नेता ने खुले मंच से हमला बोला है।”

कांग्रेस की विदेश नीति पर थरूर की टिप्पणी का असर

कांग्रेस लंबे समय से केंद्र की विदेश नीति को लेकर सरकार पर हमलावर रही है। पार्टी का आरोप है कि भारत की कूटनीति “बिखर” रही है और वैश्विक स्तर पर देश “अलग-थलग” पड़ता जा रहा है। ऐसे में थरूर का यह लेख पार्टी के रुख के खिलाफ खड़ा दिखाई दे रहा है।

नीलांबुर उपचुनाव का संदर्भ

थरूर की यह टिप्पणी उस दिन आई जब केरल के नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा था। उन्होंने मीडिया से कहा था कि उन्हें इस चुनाव में प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुरलीधरन ने कहा :

“नीलांबुर के लोगों ने उनकी कही बातों को एक प्रतिशत भी महत्व नहीं दिया है।”

थरूर का पक्ष: मतभेद हैं, मगर निष्ठा बरकरार

हाल ही में तिरुवनंतपुरम में मीडिया से बात करते हुए थरूर ने कहा:

“पार्टी नेतृत्व के कुछ लोगों से मेरे मतभेद ज़रूर हैं, लेकिन कांग्रेस, उसके मूल्य और कार्यकर्ताओं के प्रति मेरी निष्ठा अडिग है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह वहां नहीं जाते जहां उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता।

कांग्रेस में मतभेद या अनुशासन का सवाल?

इस घटनाक्रम ने कांग्रेस के भीतर मतभेदों और अनुशासनात्मक प्रक्रिया पर नई बहस को जन्म दे दिया है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता थरूर के बयान को “व्यक्तिगत मत” कहकर टाल रहे हैं, तो कुछ इसे “पार्टी रेखा से विचलन” मानते हैं। चुनावी मौसम में ‘केरल में थरूर विरोध’ ने पार्टी की रणनीतिक चिंताओं को और गहरा कर दिया है।”

ऐतिहासिक संदर्भ: कांग्रेस में विचारों की विविधता

कांग्रेस पार्टी में हमेशा से विचारों की विविधता रही है। नेहरू-गांधी युग से लेकर आज तक, कई वरिष्ठ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से भिन्न विचार रखे हैं, लेकिन पार्टी ने संवाद की परंपरा को बनाए रखा है। हालांकि चुनावी समय में विरोधी दल की प्रशंसा करने पर अक्सर नेताओं को सफाई देनी पड़ी है। केरल में थरूर विरोध ने कांग्रेस की एकजुटता और अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां थरूर इसे एक ईमानदार राजनीतिक मूल्यांकन मानते हैं, वहीं मुरलीधरन जैसे नेता इसे पार्टी अनुशासन के खिलाफ मानते हैं। आने वाले समय में आलाकमान इस मसले पर क्या रुख अपनाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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