घाना को भारतीय कलाकृति भेंट सांस्कृतिक सेतु बनते पीएम मोदी के उपहार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया घाना यात्रा में घाना को भारतीय कलाकृति भेंट कर सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक नया अध्याय लिखा। यह यात्रा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करने वाली साबित हुई। प्रधानमंत्री ने घाना के शीर्ष नेताओं को भारतीय कला और शिल्प के अद्भुत नमूने भेंट किए।
- इस दो दिवसीय यात्रा में भारतीय विरासत का शानदार प्रदर्शन हुआ।
- उपहारों ने सदियों पुरानी भारतीय शिल्प कला और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाया।
शाही भव्यता का प्रतीक: अंबावारी हाथी
पीएम मोदी ने घाना की संसद के स्पीकर अल्बान किंग्सफोर्ड सुमना बागबिन को एक छोटा हाथी अंबावारी भेंट किया। यह पश्चिम बंगाल में हस्तनिर्मित है। यह अति सुंदर लघु हाथी भारत की शाही परंपरा को दर्शाता है।
- यह औपचारिक जुलूसों से प्रेरित है, जहाँ हाथी हौदे में कुलीन लोगों को ले जाते थे।
- यह पॉलिश किए गए सिंथेटिक हाथीदांत से बना है, जो एक टिकाऊ और नैतिक विकल्प है।
बिदरी कला: कालातीत सुंदरता का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा को बेहतरीन बिदरी कलाकृति फूलदान भेंट किया। कर्नाटक के बीदर से आए ये फूलदान भारत के प्रसिद्ध धातु शिल्प को दर्शाते हैं। वे अपनी आकर्षक काली फिनिश और चांदी की जड़ाई के लिए जाने जाते हैं।
- ये फूलदान सदियों पुरानी तकनीक से हस्तनिर्मित हैं।
- जस्ता-तांबे के मिश्र धातु पर पुष्प रूपांकन उकेरे गए हैं।
चांदी का फिलाग्री वर्क: कटक की करामात
राष्ट्रपति की पत्नी, लॉर्डिना महामा को एक चांदी का फिलाग्री वर्क वाला पर्स भेंट किया गया। यह ओडिशा के कटक के तारकासी शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह 500 से अधिक वर्षों से परिष्कृत जटिल चांदी की फिलाग्री है।
- इसमें महीन चांदी के तारों से बने नाजुक पुष्प रूपांकन हैं।
- यह विरासत को समकालीन शैली के साथ जोड़ता है।
पश्मीना शॉल: कश्मीर की कोमलता
प्रधानमंत्री मोदी ने घाना की उप-राष्ट्रपति जेन नाना ओपोकू-अग्यमंग को कश्मीरी पश्मीना शॉल भेंट की। यह कश्मीर में चंगथांगी बकरी के बेहतरीन अंडरकोट से तैयार की गई है। यह शानदार वस्तु कालातीत कलात्मकता को दर्शाती है।
- यह अपनी असाधारण कोमलता और गर्माहट के लिए प्रसिद्ध है।
- प्रत्येक शॉल में कुशल कारीगरों की महीनों की मेहनत होती है।
घाना की संसद में ऐतिहासिक संबोधन
पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। यह तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की घाना की पहली यात्रा थी। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र केवल एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है।”
- उन्होंने भारत में 2,500 से अधिक राजनीतिक दलों का जिक्र किया।
- इस टिप्पणी पर घाना की संसद में ठहाके लगे।
साझा इतिहास और मजबूत संबंध
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और घाना के साझा औपनिवेशिक अतीत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “विदेशी शासन के दागों के बावजूद हमारी आत्मा हमेशा स्वतंत्र रही है।
- घाना को “सोने की भूमि” कहा गया।
- यह अफ्रीकी महाद्वीप के लिए प्रेरणा का केंद्र है।
- भारत अफ्रीका के एजेंडा 2063 का समर्थन करता है।
राष्ट्रीय सम्मान और कूटनीतिक गर्मजोशी
पीएम मोदी को घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा ने घाना के राष्ट्रीय सम्मान “ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना” से सम्मानित किया। इस सम्मान ने उनके “प्रतिष्ठित” राजनेता और प्रभावशाली वैश्विक नेतृत्व को मान्यता दी।
- प्रधानमंत्री ने यह सम्मान 1.4 बिलियन भारतीयों को समर्पित किया।
- संसद में घाना के सांसदों ने भारतीय पोशाक पहनी।
नक्रूमा मेमोरियल पार्क का दौरा और अगली यात्रा
घाना की यात्रा समाप्त करने के बाद, पीएम मोदी ने अकरा में नक्रूमा मेमोरियल पार्क का दौरा किया। उन्होंने घाना के संस्थापक राष्ट्रपति डॉ. क्वामे नक्रूमा को श्रद्धांजलि अर्पित की। घाना को भारतीय कलाकृति भेंट करने के बाद, प्रधानमंत्री त्रिनिदाद और टोबैगो के लिए रवाना हुए।
- यह उनकी पांच देशों की यात्रा का पहला पड़ाव था।
- यात्रा का उद्देश्य वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना है।
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