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कृष्ण जन्मभूमि मामला: मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ कहने की याचिका खारिज

कृष्ण जन्मभूमि मामला

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कृष्ण जन्मभूमि मामला में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ कहने वाली हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने गुरुवार को यह आदेश पारित किया। यह फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। अदालत ने कहा कि आवेदन को “इस स्तर पर” खारिज किया जा रहा है। हिंदू पक्ष का तर्क था कि मस्जिद अतिक्रमण करके बनाई गई है। उनके अनुसार, इसके स्वामित्व या धार्मिक पदनाम के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं।

  • यह याचिका हिंदू पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दायर की थी।
  • याचिका में ‘शाही ईदगाह मस्जिद’ शब्द को ‘विवादित ढांचा’ से बदलने का अनुरोध किया गया था।

मुख्य बिंदु :

  1. हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह को “विवादित ढांचा” कहने की याचिका ठुकरा दी।
  2. मुस्लिम पक्ष को कोर्ट के इस फैसले से बड़ी राहत मिली है।
  3. अदालत ने कहा – अभी के हालात में मस्जिद को विवादित नहीं माना जा सकता।
  4. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद बिना वैध दस्तावेज के बनी है।
  5. मुस्लिम पक्ष ने कहा – ईदगाह चार सौ साल से मौजूद है, इसे नाजायज़ नहीं कहा जा सकता।
  6. यह फैसला श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद की 18 याचिकाओं में से एक पर आया है।
  7. अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी, मामला अब और गंभीरता से देखा जा रहा है।

हिंदू पक्ष के तर्क और मुस्लिम पक्ष का जवाब

हिंदू पक्ष ने दावा किया कि भूमि स्वामित्व दस्तावेजों का अभाव है। नगरपालिका रिकॉर्ड या कर फाइलिंग में भी मस्जिद का उल्लेख नहीं है। उन्होंने अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद से समानता बताई थी। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि शाही ईदगाह को भी ‘विवादित ढांचा’ घोषित किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे पूरी तरह निराधार बताया। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को दंडित किया जाना चाहिए। अदालत ने मुस्लिम पक्ष के तर्क से सहमति जताई। अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

  • मुस्लिम पक्ष ने कहा शाही ईदगाह 400 से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है।
  • उन्होंने तर्क दिया कि इसे विवादित ढांचा घोषित करना अनुचित होगा।

उच्च न्यायालय का आदेश और मामले की पृष्ठभूमि

न्यायालय ने शाही ईदगाह को विवादित संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार किया। यह कृष्ण जन्मभूमि मामला में दायर 18 याचिकाओं में से एक थी। इन याचिकाओं में मुख्य रूप से श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से अतिक्रमण हटाने की मांग है। हिंदू याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मस्जिद भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बनी है। उनका दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर ध्वस्त कर मस्जिद बनवाई थी।

  • 1968 में, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच समझौता हुआ था।
  • यह समझौता दोनों धार्मिक स्थलों को एक साथ काम करने की अनुमति देता था।

हालांकि, नई याचिकाओं ने इस समझौते की वैधता पर सवाल उठाए हैं। दलीलों में इसे धोखाधड़ी से किया गया और अवैध बताया गया है।

कानूनी कार्यवाही की समयरेखा और अन्य घटनाक्रम

मई 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सभी लंबित मामलों को मथुरा न्यायालय से अपने पास स्थानांतरित किया। मस्जिद समिति और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। दिसंबर 2023 में उच्च न्यायालय ने मस्जिद परिसर का निरीक्षण करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अनुमति दी। जनवरी 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने उस निरीक्षण आदेश पर रोक लगा दी। यह रोक तब से बढ़ाई गई है।

  • मई 2024 में, राधा रानी को पक्षकार बनाने की याचिका खारिज हुई।
  • अदालत ने कहा कि पौराणिक चित्रण सुनी-सुनाई बातों पर आधारित होते हैं।

अदालत ने कहा कि आवेदक का दावा पुराणों पर आधारित है। अब कृष्ण जन्मभूमि मामला में अगली सुनवाई 2 अगस्त को है। यह कानूनी लड़ाई राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित कर रही है। अयोध्या विवाद से इसकी समानताएं सामने आई हैं। शाही ईदगाह 13.3 एकड़ परिसर में स्थित है। हिंदू वादियों ने इस भूमि पर पूर्ण स्वामित्व की मांग की है।

कृष्ण जन्मभूमि मामला में भविष्य की राह

यह फैसला बताता है कि अदालतें धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों में बहुत सावधानी बरत रही हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवताओं के प्रतीक हैं। उन्होंने तर्क दिया कि अवैध कब्जा स्वामित्व स्थापित नहीं करता। उन्होंने अयोध्या विवाद से समानता बताई थी। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष अपनी 400 साल पुरानी उपस्थिति पर जोर दे रहा है। उन्होंने सिंह द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों पर सवाल उठाए हैं। यह विवादित ढांचा घोषित करने की मांग हिंदू समुदाय के लिए झटका नहीं है। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने ANI को यह जानकारी दी। अदालत ने इसे एक सामान्य आवेदन कहा।

  • अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनीं।
  • जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने अपना फैसला सुनाया।
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