अदनान सामी बोले “पाकिस्तान में नहीं मिला सम्मान,भारत ने सहेजा संगीत”

भारत में संगीत सम्मान को लेकर गायक अदनान सामी ने हाल ही में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने खुलासा किया कि पाकिस्तान में उन्हें न केवल नजरअंदाज किया गया, बल्कि उनके गानों को जानबूझकर प्रमोट भी नहीं किया गया। इसके बाद उन्हें भारत आकर नया जीवन शुरू करना पड़ा।
मुख्य बिंदु :
- अदनान सामी को पाकिस्तान में गानों की मार्केटिंग नहीं मिली, जिससे निराशा हुई।
- आशा भोसले के सुझाव पर वह मुंबई आए और नया संगीत सफर शुरू किया।
- भारत में ‘कभी तो नज़र मिलाओ’ जैसे गाने सुपरहिट हुए।
- पाकिस्तान में उपेक्षा, भारत में सम्मान मिला।
- 2015 में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, 2016 में नागरिक बने।
- मदद के लिए परवेज़ मुशर्रफ़ से भी संपर्क किया था।
- भारत में संगीत को दुनिया से ज्यादा सम्मान और अवसर मिला।
पाकिस्तान में उपेक्षा, भारत में नई शुरुआत
1998 में अदनान सामी के गानों को लेकर पाकिस्तानी संगीत उद्योग ने निराशाजनक रवैया अपनाया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा:
“लोगों को लगा मैं खत्म हो चुका हूं। किसी ने एल्बम की मार्केटिंग नहीं की। मैं जानता था यह जानबूझकर किया गया।”
उस दौर में सामी कनाडा में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह टूट चुके थे और इसी निराशा में उन्होंने आशा भोसले से संपर्क किया। आशा जी ने ही उन्हें भारत आने की सलाह दी।
आशा भोसले बनीं प्रेरणा, भारत बना मंच
जब सामी ने आशा भोसले से कहा कि वे लंदन में रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया:
“अगर तुम्हें कुछ बड़ा करना है तो मुंबई आओ। यहाँ से जो संगीत निकलेगा, वह पूरी दुनिया में गूंजेगा।”
इसके बाद सामी भारत आ गए और आशा जी के सहयोग से आरडी बर्मन के घर में रहने लगे। यहीं से उनके संगीत करियर को नई दिशा मिली।
जो गाने पाकिस्तान में फ्लॉप हुए, भारत में हिट बन गए
- “कभी तो नज़र मिलाओ”
- “भीगी भीगी रातों में”
- “लिफ्ट करा दे”
इन गानों ने भारत में जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की। सामी ने बताया कि भारत में संगीत सम्मान और गानों की सही मार्केटिंग ने उनका करियर संवार दिया।
पाकिस्तान में नहीं मिला समर्थन, मुशर्रफ़ से भी मांगी थी मदद
सामी ने बताया कि पाकिस्तान में वे सिर्फ दर्शकों से प्यार पाते थे, लेकिन अधिकारियों ने कभी मदद नहीं की। उन्होंने यहाँ तक कहा:
“मैंने मदद के लिए परवेज़ मुशर्रफ़ से भी संपर्क किया था। लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।”
2005 में एक पत्र में मुशर्रफ़ ने उनके बारे में बयान दिया, जिसे सामी ने पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि वह “झूठ पर आधारित था”।
नागरिकता और सम्मान: भारत में मिला नया जीवन
- सामी ने 2015 में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया।
- 2016 में उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की गई।
- 2024 में उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाज़ा गया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका भारत आना धन की वजह से नहीं, बल्कि पेशेवर अपमान और सामाजिक अवमानना के कारण था।
“जब मैं भारत आया, तब मुझे सबकुछ फिर से शुरू करना पड़ा। लेकिन यहाँ मुझे वो सम्मान मिला जिसकी मुझे वर्षों से तलाश थी।”
सांस्कृतिक संदर्भ
- पाकिस्तान में नुसरत फ़तेह अली खान, मेहदी हसन और रेशमा जैसे दिग्गज कलाकारों को भी शासन से समर्थन नहीं मिला।
- सामी ने कहा, “दर्शकों का प्यार तो था, लेकिन सरकारी मान्यता कभी नहीं मिली।”
- यह पाकिस्तान के सांस्कृतिक तंत्र में गहरे बैठे कलात्मक असहिष्णुता को दर्शाता है।
राजनीतिक-राजनयिक पहलू
भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान अक्सर राजनीतिक संबंधों पर निर्भर रहा है। अदनान सामी का मामला इस बात का उदाहरण है कि एक कलाकार को भी राजनैतिक रवैये का शिकार बनना पड़ता है। भारतीय नागरिकता प्रदान करना मोदी सरकार का एक राजनयिक-सांस्कृतिक संदेश भी था।
भारत ने कला को अपनाया, पाकिस्तान ने दबाया
अदनान सामी की यात्रा दर्शाती है कि कैसे एक कलाकार को “भारत में संगीत सम्मान” मिला, जबकि पाकिस्तान में उसे अपमान और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि भारत उनके लिए केवल एक देश नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जन्म है।
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