अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामला बलात्कारी को आजीवन कारावास

अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामले में बलात्कारी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है। सरकारी अभियोक्ता मैरी जयंती ने पुष्टि की है कि ज्ञानशेखरन एकमात्र आरोपी है। उन्होंने किसी और को बचाने के दावों को खारिज कर दिया।ज्ञानशेखरन को बिना किसी छूट के 30 साल की कठोर कारावास की सज़ा मिली है।
- न्याय ने अपना रास्ता खोज लिया है।
- पीड़िता की बहादुरी ने यह संभव किया।
- कानून और सरकार ने त्वरित कार्रवाई की।
महिला अदालत के फैसले ने इसे स्पष्ट कर दिया है। यह फैसला बिना किसी छूट के आजीवन कारावास के रूप में आया है।लेगी।
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न केस – संक्षिप्त सारांश :
- ज्ञानशेखरन को महिला न्यायालय ने बिना छूट के आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
- सरकारी अभियोक्ता ने पुष्टि की – वही एकमात्र आरोपी, सबूत पक्के थे।
- फोन का फोरेंसिक विश्लेषण बना निर्णायक सबूत।
- पीड़िता की बहादुरी और बयान से हुआ न्याय संभव।
- आरोपी का लंबा आपराधिक इतिहास, पहले भी यौन अपराध में लिप्त था।
एकमात्र आरोपी: सरकारी अभियोक्ता का स्पष्टीकरण
मैरी जयंती ने अदालत के बाद कहा कि ज्ञानशेखरन ही अकेला दोषी है। कोई अन्य व्यक्ति FIR या सबूतों में शामिल नहीं पाया गया। दावे कि किसी और को बचाया गया, गलत हैं।
- ज्ञानशेखरन ही था मुख्य आरोपी।
- अन्य को बचाने का प्रयास नहीं हुआ।
- सबूतों के आधार पर नाम तय हुआ।
- अदालत ने स्पष्ट किया कि अपराधी केवल एक ही था।
विस्तृत जांच और मजबूत साक्ष्य
यह मामला कोट्टूरपुरम पुलिस ने दर्ज किया था। बाद में इसे एसआईटी को सौंपा गया। एसआईटी ने मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच की। विस्तृत जांच के बाद, SIT ने आरोप पत्र दायर किया। यौन उत्पीड़न पीड़िता 23 अप्रैल को अदालत में पेश हुई। उसी दिन बहस शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने 11 धाराओं में सबूत दिए। इसमें मौखिक गवाही और दस्तावेजी सबूत शामिल थे। वैज्ञानिक विश्लेषण भी प्रस्तुत किए गए। अदालत ने सभी सबूतों को संतोषजनक पाया। हर गवाह ने ज्ञानशेखरन की ओर इशारा किया। कोई भी गवाह विरोधी नहीं हुआ। इससे बलात्कारी को आजीवन कारावास मिलना सुनिश्चित हुआ।
फोन का फोरेंसिक विश्लेषण: निर्णायक प्रमाण
अन्य लोगों के शामिल होने की अटकलों पर जयंती ने जवाब दिया। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “आरोपी का फोन ही मामले का हथियार है।” 23 दिसंबर को आरोपी का फोन फोरेंसिक जांच को भेजा गया। फोन फ्लाइट मोड में था, जिससे कॉल रिकॉर्डिंग का विश्लेषण हुआ। फोन की जांच से आरोप की पुष्टि हुई।। फोन पर पहली कॉल शाम 6:29 बजे आई। 8:58 बजे एसएमएस अलर्ट मिला। कोई और कॉल नहीं थी।
- एयरटेल अधिकारी और विशेषज्ञों ने गवाही दी
- विशेषज्ञ गवाह के रूप में पेश
- फोरेंसिक साइंस लैब की पुष्टि
- कॉल डिटेल निर्णायक बनी
कानून का अधिकार और अदालत का संदेश
जयंती ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 358 का हवाला दिया। यह अदालत को दूसरों को आरोपी के तौर पर जोड़ने का अधिकार देती है। यह तब होता है जब कई लोग शामिल हों। “लेकिन इस मामले में सबूत स्पष्ट थे।” अदालत को किसी और को जोड़ने का कारण नहीं मिला। ऐसे दावे अब अदालत की अवमानना हैं। अभियोजन पक्ष ने यह भी साबित किया। गणसेकरन ने पीड़िता को फंसाने के लिए नाटक किया। उसने विश्वविद्यालय का कर्मचारी होने का नाटक किया। उसने घटना को रिकॉर्ड किया। ब्लैकमेल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया। जयंती ने कहा, “यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ।” गवाहों के बयानों ने भी इसे पुष्ट किया।
पीड़िता का साहस और न्याय की जीत
पीड़िता की प्रशंसा करते हुए जयंती ने कहा, “उसने शिकायत दर्ज करने का साहस दिखाया। इसलिए आज न्याय मिला है।” उन्होंने जोर दिया कि कानून, अदालत और सरकार चुप नहीं बैठते। जब कोई महिला ऐसे अत्याचार का सामना करती है। “यह फैसला इसका सबूत है।” अन्ना विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न के दोषी को सज़ा मिली। महिला न्यायालय की न्यायाधीश एम राजलक्ष्मी ने आदेश दिया। उसे छूट (समय से पहले रिहाई) से पहले 30 साल जेल में रहना होगा। बलात्कारी को आजीवन कारावास मिला है।
अदालती आदेश और एसआईटी की भूमिका
चेन्नई की सत्र अदालत ने ज्ञानसेकरन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। उस पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। लाइवमिंट ने यह रिपोर्ट किया। ज्ञानसेकरन को 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2023 में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। एसआईटी में तीन महिला आईपीएस अधिकारी थीं। डॉ. भुक्या स्नेहा प्रिया और अयमान जमाल थीं। एस. बृंदा भी इसमें शामिल थीं। जांच में कई खामियां थीं। खासकर एफआईआर लीक होने से पहचान उजागर हुई। अदालत ने पीड़िता को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया। यह पुलिस की गंभीर चूक के लिए था। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगाई थी। यह प्राथमिकी लीक होने की विभागीय जांच के लिए था। इस मामले में बलात्कारी को आजीवन कारावास की सज़ा हुई।
दोषी का आपराधिक इतिहास और अंतिम परिणाम
आरोपी का आपराधिक इतिहास
ज्ञानशेखरन को 28 मई को दोषी ठहराया गया। उसके खिलाफ पहले से चोरी, डकैती और यौन उत्पीड़न के मामले थे।
उसने पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो रिकॉर्ड किया था।
- वीडियो रिकॉर्डिंग कर धमकी दी
- धारा 64(1) के तहत सज़ा
- पहले से 15 आपराधिक मामले
- 2011 में भी यौन उत्पीड़न का आरोप था।
वह विश्वविद्यालय परिसर में बिना किसी की नजर में घुसा। 23 दिसंबर, 2024 की रात को उसने वीडियो बनाया। उसने पीड़िता और उसके पुरुष मित्र का वीडियो बनाया। दोस्त को भगा दिया और फिर महिला के साथ बलात्कार किया। पांच महीने बाद उसे दोषी ठहराया गया। CCTV फुटेज, पीड़िता की गवाही और आपराधिक रिकॉर्ड की गहन जांच हुई। इस घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा किया। राजनीतिक बहस भी हुई। विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ डीएमके पर आरोप लगाए। उन्होंने राजनीतिक संबंधों के कारण मामले को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने त्वरित जांच और सजा की सराहना की। उन्होंने पुलिस और कानूनी टीमों को श्रेय दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद विपक्ष ने सत्ताधारी पार्टी पर दबाव का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने त्वरित न्याय की सराहना की।
यह मामला दिखाता है कि कानून में भरोसा अभी ज़िंदा है।
- विपक्ष ने डीएमके पर आरोप लगाए
- पाँच महीने में न्याय
- यह न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता का प्रमाण है।
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