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असम ONGC गैस रिसाव: नौवें दिन भी जारी संकट, अमेरिकी विशेषज्ञों की राह

असम ONGC गैस रिसाव

असम के शिवसागर जिले में तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) के RDS 147 A साइट पर असम ONGC गैस रिसाव आज नौवें दिन में प्रवेश कर गया है। 12 जून को हुए इस विस्फोट के बाद से कच्चे तेल के कुएं से लगातार गैस निकल रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को साइट का जायजा लिया और स्थिति का आकलन किया। उन्होंने बताया कि आग को रोकने के लिए कुएं को लगातार पानी से ढका जा रहा है। संकट प्रबंधन टीम कुएं को नियंत्रित करने का काम कर रही है। गैस में 97% मीथेन है, जो हवा से हल्की होकर ऊपर की ओर फैल रही है।

  • ONGC के असम कुएं में विस्फोट 12 जून से गैस रिसाव का कारण बना।
  • संकट प्रबंधन दल कुएं को नियंत्रित करने में जुटा है।

तत्काल कार्रवाई की मांग और विस्थापन

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ONGC की प्रतिक्रिया की गति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री पुरी को पत्र लिखकर “अपर्याप्त तत्परता” की सार्वजनिक धारणा का हवाला दिया। मुख्यमंत्री ने त्वरित और मिशन-मोड दृष्टिकोण का आग्रह किया। इस घटना से 330 से अधिक परिवार विस्थापित हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा राहत उपाय किए जा रहे हैं,

  • जिसमें प्रत्येक प्रभावित परिवार को 25,000 रुपये की सहायता शामिल है।
  • 1,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है
  • मुख्यमंत्री ने ONGC की धीमी प्रतिक्रिया पर चिंता जताई।
  • 330 से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

विशेषज्ञों का जुटान और तकनीकी प्रयास

ONGC ने बताया कि कुएं से निकलने वाली गैस का दबाव 2600 psi से घटकर 500 psi हो गया है। ‘जंक शॉट’ ऑपरेशन और किल फ्लूइड्स को पंप करने जैसे उपाय किए जा रहे हैं। यदि ये उपाय पर्याप्त नहीं होते, तो कुएं को बंद करने पर भी विचार किया जा सकता है। ONGC ने अमेरिका से कुआं नियंत्रण विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम को बुलाया है। यह टीम 20 जून की शाम तक साइट पर पहुंचने की उम्मीद है। इन विशेषज्ञों की मदद से स्थिति को नियंत्रित करने में तेजी आएगी।

  • कुएं के दबाव को कम करने के प्रयास जारी हैं।
  • अमेरिकी विशेषज्ञों की टीम आज शाम तक पहुंचने वाली है।

सुरक्षा और पर्यावरण पर ONGC का रुख

केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि कुएं के मुहाने के पास हवा की गुणवत्ता 50 से 100 मीटर के भीतर भी सुरक्षित सीमा में है। असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी वायु और ध्वनि प्रदूषण स्तरों को स्वीकार्य सीमा के भीतर बताया है। असम ONGC गैस रिसाव के बावजूद, ONGC ने कहा कि समुदाय की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी कदम नियामक मानकों के अनुरूप उठाए जा रहे हैं। गैस का एक हिस्सा पास की उत्पादन सुविधा में भेजा जा रहा है, जिससे दबाव कम करने में मदद मिली है।

  • वायु गुणवत्ता और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में हैं।
  • ONGC समुदाय की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।

बागजान की यादें और वर्तमान स्थिति में अंतर

शिवसागर की घटना ने 2020 के विनाशकारी बागजान विस्फोट की यादें ताज़ा कर दी हैं। हालांकि, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर सुब्रत बोरगोहेन गोगोई के अनुसार, वर्तमान स्थिति अलग है। उन्होंने कहा कि शिवसागर में केवल प्राकृतिक गैस (मीथेन) शामिल है, कोई कंडेनसेट या कच्चा तेल नहीं है। जलाशय का दबाव भी अपेक्षाकृत कम है, जिससे स्थिति अधिक नियंत्रणीय है। बागजान में उच्च दबाव वाली गैस, तेल और कंडेनसेट शामिल थे, और अंततः आग भी लगी थी। मौजूदा मामले में कोई आग नहीं लगी है, जो एक बड़ा अंतर है। यह असम ONGC गैस रिसाव एक अलग चुनौती पेश करता है।

  • वर्तमान घटना बागजान विस्फोट से भिन्न है।
  • कोई आग न लगना एक सकारात्मक संकेत है।

नियंत्रण में लगने वाला समय और भविष्य की उम्मीदें

विस्फोट को नियंत्रित करने में लगने वाले समय का अनुमान लगाना मुश्किल है। हर ब्लोआउट में अलग चुनौतियां होती हैं। वातावरण बेहद खतरनाक है, कपड़ों से निकलने वाली स्थैतिक बिजली भी गैस को प्रज्वलित कर सकती है। हर कदम, चाहे कैपिंग स्टैक लगाना हो या कुएं को बंद करने के लिए भारी मिट्टी को पंप करना हो, अत्यंत सटीकता और सुरक्षा के साथ निष्पादित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, असम में भूभाग और मानसून की स्थिति उपकरणों के परिवहन को धीमा करती है और रसद को जटिल बनाती है। ONGC के एक प्रवक्ता ने कहा कि “हमारी कुएं को मारने की प्रक्रिया जारी है; हाल के दिनों में कुएं का दबाव स्थिर हो गया है, और हमें जल्द ही अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है।”

  • नियंत्रण में लगने वाले समय का अनुमान मुश्किल है।
  • ONGC जल्द समाधान की उम्मीद कर रहा है।
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