भारत अफगान तालिबान वार्ता में पहली बार मंत्री स्तरीय सीधी बातचीत

भारत अफगान तालिबान वार्ता के तहत पहली बार एस. जयशंकर ने तालिबान के विदेश मंत्री मुत्तकी से आधिकारिक बातचीत की। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार, 15 मई को तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ बातचीत की, जो अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पहली ऐसी वार्ता थी। यह बातचीत अफगान सरकार द्वारा पहलगाम हमले की सार्वजनिक निंदा के बाद हुई, जिससे भारत ने सकारात्मक संकेत माना।
तालिबान की निंदा पर जयशंकर ने जताया आभार :
एस. जयशंकर ने एक्स पोस्ट में अफगान पक्ष द्वारा 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की निंदा का स्वागत किया। तालिबान ने हमले को मानवता विरोधी बताया।
- जयशंकर ने कहा, “भारत-अफगान रिश्तों में अविश्वास फैलाने वाली रिपोर्टों को मुत्तकी ने खारिज किया।”
- उन्होंने अफगान लोगों से भारत की ऐतिहासिक मित्रता और विकासशील सहयोग का पुनः उल्लेख किया।
- उन्होंने पाकिस्तान समर्थित मीडिया के झूठे झंडे वाले ऑपरेशन के दावे को भी खारिज किया
तालिबान की निंदा पर जयशंकर ने जताया आभार :
एस. जयशंकर ने एक्स पोस्ट में अफगान पक्ष द्वारा 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की निंदा का स्वागत किया। तालिबान ने हमले को मानवता विरोधी बताया।
- जयशंकर ने कहा, “भारत-अफगान रिश्तों में अविश्वास फैलाने वाली रिपोर्टों को मुत्तकी ने खारिज किया।”
- उन्होंने अफगान लोगों से भारत की ऐतिहासिक मित्रता और विकासशील सहयोग का पुनः उल्लेख किया।
- उन्होंने पाकिस्तान समर्थित मीडिया के झूठे झंडे वाले ऑपरेशन के दावे को भी खारिज किया।
अफगान पक्ष की मांगें – वीजा, बंदी रिहाई और चाबहार :
मुत्तकी ने अफगान व्यापारियों और रोगियों के लिए भारतीय वीजा सुविधा की मांग की और भारत में बंद अफगान नागरिकों की रिहाई का आह्वान किया।
- तालिबान ने चाबहार पोर्ट के ज़रिए माल भेजने में रुचि दिखाई।
- भारत ने वीजा प्रक्रिया सरल बनाने और अफगान कैदियों पर विचार का भरोसा दिलाया।
- अफगानिस्तान ने भारत को “प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति” बताते हुए रिश्तों को मज़बूत करने की इच्छा जताई।
चाबहार बंदरगाह पर सामरिक चर्चा :
ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह, जहां भारतीय कंपनी सक्रिय है, को अफगान व्यापार के वैकल्पिक रास्ते के तौर पर देखा जा रहा है।
- भारत-पाक तनाव के कारण अटारी बॉर्डर बंद है, जिससे अफगानिस्तान पर असर पड़ा।
- ऐसे में समुद्री रास्ता अफगान व्यापारियों के लिए राहत बन सकता है।
- चाबहार के ज़रिए मानवीय सहायता और व्यापार, दोनों में सहयोग बढ़ेगा।
राजनीतिक और कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य :
भारत ने अब तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय सहायता और कूटनीतिक संवाद जारी रखा है।
- 2021 में तालिबान सत्ता में आने के बाद से यह सबसे उच्चस्तरीय संपर्क था।
- दुबई में जनवरी में भारतीय सचिव और मुत्तकी की मुलाकात के बाद यह संवाद हुआ।
- पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत टीटीपी का इस्तेमाल करता है, पर कोई प्रमाण नहीं दिया।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: भारत-अफगान संबंध
- भारत और अफगानिस्तान के ऐतिहासिक संबंध गहरे रहे हैं, विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य और निर्माण के क्षेत्रों में।
- काबुल विश्वविद्यालय और संसद भवन का निर्माण भारत ने कराया।
- 2011 में भारत-अफगानिस्तान रणनीतिक साझेदारी समझौता हुआ था।
- तालिबान से पहले भारत अफगान लोकतांत्रिक सरकार का सबसे बड़ा सहयोगी था।
भारत-पाकिस्तान तनाव की पृष्ठभूमि :
यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है। 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत आतंकवादियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू की।
- पाकिस्तानी मीडिया में भारत और तालिबान के बीच “झूठे झंडे” के आरोप लगाए गए थे।
- तालिबान ने इन आरोपों को खारिज कर भारत के साथ अविश्वास फैलाने की कोशिशों को नकारा।
- टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी तनाव जारी है।
‘इन्फॉर्मल एंगेजमेंट’ से ‘डिप्लोमैटिक नॉर्मलाइजेशन’ की ओर संकेत :
हाल की बातचीत यह दर्शाती है कि भारत और तालिबान के बीच अब सिर्फ मानवीय सहायता तक सीमित नहीं, बल्कि धीरे-धीरे राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दों पर भी ‘इन्फॉर्मल एंगेजमेंट’ हो रहा है। भारत सरकार ने हालांकि तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, परंतु इस स्तर की मंत्री स्तरीय बातचीत संकेत देती है कि भविष्य में राजनयिक नॉर्मलाइजेशन का मार्ग तैयार किया जा रहा है। अफगान नागरिकों के लिए वीज़ा की सुविधा और चाबहार बंदरगाह पर सक्रिय सहयोग इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अफगानिस्तान को लेकर एक “वेट एंड वॉच” नीति के बजाय “इंगेज बट नो रिकग्निशन” की नीति पर काम कर रहा है।
भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के इन दावों को बेबुनियाद करार दिया है और कहा है कि भारत अफगान जनता के साथ पारंपरिक मित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत अफगान तालिबान वार्ता में शामिल मुद्दों से स्पष्ट है कि नई दिल्ली सामरिक, मानवीय और कूटनीतिक संतुलन बनाकर चलना चाहती है। पाकिस्तान-तालिबान तनाव और क्षेत्रीय गतिशीलता को देखते हुए भारत यह अवसर खोना नहीं चाहता।
- अफगानिस्तान से भारत की भू-राजनीतिक उम्मीदें अभी भी बनी हुई हैं।
- चाबहार बंदरगाह भारत की पश्चिम एशिया रणनीति में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।
- आगे की वार्ताओं में शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा सहयोग पर भी फोकस संभव है।
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