भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग: 10-वर्षीय ढाँचा और भविष्य की राह

भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग अब अगले 10 वर्षों के लिए एक नए रूपरेखा पर हस्ताक्षर करने की ओर अग्रसर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ ने इस वर्ष अपनी अगली बैठक में इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने की सहमति व्यक्त की है। यह निर्णय दोनों नेताओं के बीच 2 जुलाई को हुई फोन पर बातचीत के एक दिन बाद पेंटागन के बयान में सामने आया। इस सहमति का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है।
- दोनों नेताओं ने लंबित प्रमुख अमेरिकी रक्षा बिक्री पर चर्चा की।
- घनिष्ठ रक्षा औद्योगिक सहयोग की अनिवार्यता पर बात हुई।
- राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के 2025 के संयुक्त बयान की प्रगति की समीक्षा की गई।
राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव हेगसेथ के बीच फोन पर हुई बातचीत में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिससे भविष्य के रक्षा संबंधों की दिशा तय होगी।
मुख्य बिंदु :
- भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के लिए नया 10 वर्षीय ढांचा प्रस्तावित।
- राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ ने फोन पर समझौते की सहमति दी।
- तेजस विमान के लिए GE F404 इंजन की शीघ्र डिलीवरी का आग्रह।
- HAL और GE एयरोस्पेस के बीच F414 इंजन सौदे को अंतिम रूप देने पर ज़ोर।
- साझा सैन्य अभ्यास, रसद साझाकरण और रक्षा आपूर्ति श्रृंखला पर सहमति।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर भारत-अमेरिका की साझा रणनीति।
- समझौते की खबर से भारतीय रक्षा कंपनियों के शेयरों में उछाल।
GE इंजन और औद्योगिक साझेदारी पर जोर
फोन पर बातचीत के दौरान, राजनाथ सिंह ने हेगसेथ से तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए GE F404 इंजन की डिलीवरी में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने भारत में F414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकी रक्षा प्रमुख जीई एयरोस्पेस के बीच प्रस्तावित सौदे को जल्द अंतिम रूप देने की भी वकालत की। जीई एयरोस्पेस द्वारा एफ404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण एचएएल भारतीय वायु सेना को तेजस मार्क 1ए विमान की आपूर्ति समय पर नहीं कर पाया।
- सिंह ने तेजस एलसीए के लिए एफ404 इंजन की तेज डिलीवरी का अनुरोध किया।
- एचएएल और जीई एयरोस्पेस के बीच एफ414 जेट इंजन सौदे पर जोर दिया गया।
- एफ404 इंजन की देरी से आपूर्ति ने एचएएल की समय-सीमा प्रभावित की है।
यह औद्योगिक सहयोग भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो दोनों देशों के लिए परस्पर लाभकारी है।
रक्षा साझेदारी का विस्तार और भविष्य की योजनाएं
पेंटागन ने भारत-अमेरिका के बीच इस 10 वर्षीय रक्षा ढांचे की पुष्टि की है, जिसका उद्देश्य संबंधों को और मजबूत करना है। सिंह और हेगसेथ ने रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अंतर-संचालनीयता, रक्षा औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण, रसद साझाकरण और संयुक्त सैन्य अभ्यासों में वृद्धि पर सहमति व्यक्त की। अन्य समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ सहयोग भी इस साझेदारी का हिस्सा होगा।
- सैन्य-से-सैन्य सहयोग और प्रशिक्षण पर बात हुई।
- क्षमता निर्माण और आदान-प्रदान बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
- रक्षा उद्योगों के बीच बढ़ी हुई भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ “शानदार बैठक” के लिए धन्यवाद दिया, जिसमें साझा क्षेत्रीय सुरक्षा लक्ष्यों की पुष्टि की गई। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों के बारे में दोनों देशों की “परस्पर जागरूकता” पर जोर दिया। यह भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की गहराई को दर्शाता है।
रक्षा शेयरों में उछाल और आर्थिक प्रभाव
भारत और अमेरिका द्वारा 10 वर्षीय रक्षा ढांचे पर हस्ताक्षर किए जाने की खबर के बाद गुरुवार को भारतीय रक्षा शेयरों में तेजी दर्ज की गई। डेटा पैटर्न (इंडिया), साइएंट डीएलएम, बीईएमएल, एचएएल, डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के शेयरों में एक प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज की गई। निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में भी 0.65% की वृद्धि दर्ज की गई, जो इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का सकारात्मक आर्थिक प्रभाव दर्शाता है।
- डेटा पैटर्न (इंडिया) के शेयर सबसे ज्यादा लाभ में रहे।
- एचएएल और बीईएमएल ने भी एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की।
- यह समझौता रक्षा क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा।
यह मजबूत भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग न केवल रणनीतिक रूप से बल्कि आर्थिक रूप से भी दोनों देशों के लिए लाभकारी है।
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