भारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर ट्रम्प का बड़ा दावा

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर ट्रम्प का बड़ा दावा
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-अमेरिका व्यापार समझौता को लेकर एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका को ऐसा व्यापार प्रस्ताव दिया है जिसमें “कोई टैरिफ नहीं” होगा। यह बयान उन्होंने कतर में एक कार्यक्रम के दौरान दिया। ट्रम्प ने कहा, “भारत हमें एक सौदा दे रहा है, जिसमें वे मूल रूप से हमसे कोई टैरिफ नहीं लेंगे।”
- ट्रम्प ने कतर में दिया बड़ा बयान
- कहा, भारत ने ‘नो टैरिफ’ प्रस्ताव दिया
- यह दावा व्यापार वार्ता को नया मोड़ दे सकता है
एस. जयशंकर ने किया खंडन
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रम्प के इस बयान को तुरंत खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापार समझौते को “दोनों पक्षों के लिए लाभकारी” होना चाहिए। जयशंकर ने साफ कहा कि भारत केवल उस समझौते के लिए तैयार है जिससे दोनों देश लाभ पाएं।
- जयशंकर बोले- परस्पर लाभकारी होनी चाहिए डील
- भारत ने शून्य टैरिफ से किया इनकार
- सरकार ने ट्रम्प के दावे पर दी सफाई
भारत ने क्या पेशकश की?
सूत्रों के अनुसार, भारत ने पहले चरण में अमेरिकी आयात पर लगभग 60% टैरिफ लाइनों को हटाने की पेशकश की है। इसके अलावा, 90% अमेरिकी आयात को वरीयता देने पर सहमति जताई गई है। भारत ने अपने औसत टैरिफ को 13% से घटाकर 4% तक लाने का भी प्रस्ताव दिया है।
- 60% टैरिफ हटाने की पेशकश
- 90% अमेरिकी उत्पादों को वरीयता
- टैरिफ अंतर को दो-तिहाई कम करने का इरादा
व्यापार वार्ता की अगली कड़ी
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 16 मई से अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान वे उच्चस्तरीय अमेरिकी अधिकारियों से व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में बातचीत करेंगे। यह यात्रा ट्रम्प के बयान के तुरंत बाद हो रही है।
- पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा तय
- उच्च स्तरीय वार्ता में होंगे शामिल
- व्यापार समझौते पर अंतिम चर्चा संभव
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मामले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “क्या सचमुच भारत ने अमेरिका को ‘नो टैरिफ डील’ की पेशकश की? सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।”
- कांग्रेस ने उठाए सवाल
- सरकार से मांगा जवाब
- मनीष तिवारी ने जताई चिंता
ऐतिहासिक संदर्भ
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भारत–अमेरिका व्यापार को 2030 तक $500 बिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था। उसी यात्रा के दौरान व्यापार समझौते को लेकर आधार तैयार हुआ था।
- फरवरी 2025 में बनी व्यापार नींव
- $500 बिलियन का व्यापार लक्ष्य
- उस बैठक से ही बढ़ी व्यापारिक गति
भारत की ओर से उपभोक्ता वस्तुओं पर टैरिफ में कमी की पेशकश:
भारत ने कई अमेरिकी उपभोक्ता वस्तुओं पर टैरिफ कम करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें फ्रोजन टर्की, ब्लूबेरी, आइसक्रीम शामिल हैं। सरकार का उद्देश्य उपभोक्ता को सस्ता विकल्प देना है। इससे अमेरिकी उत्पाद भारत में अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे। सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव अमेरिका को आकर्षित करने के लिए है। यह भारत की व्यापार रणनीति का हिस्सा है। सरकार घरेलू उद्योग को भी संतुलन में रखेगी।
बिलेट्रल ट्रेड परफरेंस यानी अमेरिका को ट्रेड में विशेष लाभ :
भारत ने अमेरिका को बिलेट्रल ट्रेड परफरेंस देने की पेशकश की है। इसके तहत 90% अमेरिकी उत्पादों को शुल्क में छूट मिलेगी। अमेरिका भारत को केवल 15% वस्तुओं पर रियायत देगा। हालांकि भारत ने इस असंतुलन पर आपत्ति जताई है। टैरिफ कटौती की यह शर्त विवाद का विषय बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है, भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है। सरकार इसे ‘रणनीतिक छूट’ कह रही है।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता वर्षों से जटिल रही है।
पहले ट्रम्प प्रशासन ने GSP दर्जा वापस लिया था। अब नए प्रस्तावों से दोनों देशों के रिश्ते सुधर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भरता का भी ध्यान रखा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार दबाव में झुक रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वार्ता में सावधानी ज़रूरी है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौता को लेकर ट्रम्प के दावे और भारत सरकार के खंडन ने वार्ता को नया मोड़ दे दिया है। हालांकि, अभी वार्ता जारी है और अगली बैठक में समझौते की स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
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