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भारत पाकिस्तान संघर्ष विराम के बीच ऑपरेशन सिंदूर से दहला पाकिस्तान

भारत पाकिस्तान संघर्ष विराम

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बावजूद, भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस अभियान में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें पुलवामा हमले और कंधार विमान अपहरण के मास्टरमाइंड शामिल थे। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए नरसंहार ने इस सैन्य प्रतिक्रिया की नींव रखी।

पहलगाम नरसंहार: देश को झकझोर देने वाली घटना

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। इस क्रूरता ने आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत राष्ट्रीय संकल्प को जन्म दिया। सशस्त्र बलों पर लगातार हो रहे हमलों और पीड़ित परिवारों के दर्द ने इस दृढ़ प्रतिक्रिया को आवश्यक बना दिया। ऑपरेशन सिंदूर की योजना इसी पृष्ठभूमि में बनाई गई, जिसका उद्देश्य आतंकी ढांचे को नष्ट करना था।

आतंकी ठिकानों पर निर्णायक प्रहार

ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) और पंजाब प्रांत में स्थित नौ सक्रिय आतंकी शिविरों की पहचान की। इनमें मुरीदके का शिविर भी शामिल था, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का गढ़ माना जाता है। प्रत्येक स्थान का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया गया, और ड्रोन निगरानी के माध्यम से पुष्टिकरण फुटेज प्राप्त की गईं। विदेश सचिव द्वारा 7 मई की प्रेस ब्रीफिंग में इन हमलों की सटीक तस्वीरें साझा की गईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत ने पूरी तरह से आश्चर्यचकित कर दिया।

वायुसेना की मुस्तैदी: पाकिस्तानी हमलों का करारा जवाब

9-10 मई की रात, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए ड्रोन और विमान तैनात किए, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को विफल कर दिया। एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि श्रीनगर से नलिया तक बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारी तैयारियों के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ। जवाब में, भारतीय बलों ने लाहौर और गुजरांवाला में निगरानी रडार स्थलों सहित सैन्य ठिकानों पर मापा और संतुलित हमले किए।

पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान: आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश

  • ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
  • पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड मुदासिर अहमद को समाप्त किया गया।
  • कंधार विमान अपहरण में शामिल रऊफ अजहर की मौत की पुष्टि हुई।
  • पाकिस्तानी सेना के 35-40 कर्मी मारे गए।
  • पसरूर, चकलाला और सरगोधा जैसे पाकिस्तानी वायु रक्षा ठिकानों को निशाना बनाया गया।

रणनीतिक दृष्टिकोण: वायु रक्षा प्रणालियों पर केंद्रित हमले

भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के महत्वपूर्ण वायुसेना ठिकानों पर सटीक हमले किए। चकलाला एयरबेस, पसरूर एयर डिफेंस सिस्टम, और सरगोधा एयरफील्ड जैसे स्थानों को लक्षित किया गया, जिससे पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमताएं कमजोर हुईं। चकलाला एयरबेस पर हमले से वहां की परिचालन क्षमताएं प्रभावित हुईं, जबकि पसरूर और सरगोधा में वायु रक्षा प्रणालियों पर प्रहार से उनकी रडार और मिसाइल क्षमताएं कमज़ोर पड़ीं।

हवाई क्षेत्र में भी कार्रवाई: पाकिस्तान की वायुसीमा में प्रवेश

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की वायुसीमा के भीतर भी लक्षित हमले किए, विशेष रूप से पंजाब और सिंध के एयर स्पेस में। मिराज और सुखोई विमानों ने रडार नेटवर्क, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस और वायु नियंत्रण इकाइयों पर सटीक हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य पाकिस्तान की वायु संप्रभुता का उल्लंघन नहीं, बल्कि आतंकवाद को समर्थन देने वाली रणनीति के खिलाफ था।

पूर्व नियोजित जवाबी कार्रवाई: सटीकता और तैयारी का प्रदर्शन

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई पूर्व नियोजित और सटीक थी।पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले के तुरंत बाद, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जवाबी कार्रवाई के लिए आवश्यक डेटा साझा किया। भारत ने सीमावर्ती इलाकों तक सीमित न रहकर पाकिस्तान के आंतरिक सामरिक ढांचों को भी निशाना बनाया, जिससे उनकी सप्लाई लाइन पर भारी प्रभाव पड़ा।

सतर्कता आवश्यक: संघर्ष विराम के बावजूद सुरक्षा प्राथमिकता

हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन भारतीय सशस्त्र बलों ने अपनी सतर्कता बनाए रखी है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी सुरक्षा के प्रति कोई समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है।

स्पष्ट संदेश: आतंकवाद के प्रति असहिष्णुता

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को हर स्तर पर कुचलने के लिए तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था। भारत की कार्रवाई न सिर्फ आतंक के खिलाफ थी, बल्कि उसने क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को भी बल दिया।

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