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भारत-पाक युद्ध विराम बैठक पर कांग्रेस की विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग

भारत-पाक युद्ध विराम बैठक

भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम बैठक को लेकर कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक की तत्काल जरूरत बताई है। यह मांग उस समय आई जब सीमा पर 18 दिनों से लगातार तनाव बना हुआ था और वाशिंगटन से अचानक संघर्ष विराम की घोषणा की गई।

  • कांग्रेस ने PM से राजनीतिक दलों को विश्वास में लेने की अपील की।
  • जयराम रमेश ने विदेशी भूमिका पर सवाल उठाया।
  • संसद में विशेष सत्र की भी उठी मांग।
  • पहलगाम हमले को लेकर कांग्रेस चिंतित।
  • अमेरिका की “अभूतपूर्व भूमिका” की पारदर्शिता जरूरी।

वाशिंगटन से हुई घोषणा के बाद कांग्रेस का तीखा रुख :

जैसे ही अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम की घोषणा की, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद की मांग कर दी। जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा कि इतनी बड़ी घोषणा में देश के राजनीतिक नेतृत्व को शामिल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब जब संघर्ष विराम हो चुका है, तो पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देना जरूरी हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटनाक्रम ने हमारी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव डाला है।

कांग्रेस ने की विशेष संसद सत्र की मांग :

कांग्रेस पार्टी ने साफ कहा कि 18 दिनों की घटनाओं की संसदीय समीक्षा बेहद जरूरी है। पार्टी ने पहलगाम आतंकी हमले, सीमा पर गोलीबारी, और अमेरिका की भूमिका पर खुली बहस की बात कही। जयराम रमेश ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर एक “सामूहिक राष्ट्रीय संकल्प” पारित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि संसद में हर दल को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए।

युद्ध विराम के मुख्य बिंदु :

१) भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने हर प्रकार की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति दी।

२) अमेरिका के मध्यस्थता के बाद युद्ध विराम लागू किया गया।

३) विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी मंत्री मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत अहम रही।

४) ट्रंप ने इसे “पूर्ण और तत्काल” युद्ध विराम कहा।

५) सीमा पर बड़ी सैन्य झड़प के बाद लिया गया निर्णय।

क्या है कांग्रेस की चिंता: जवाबदेही और पारदर्शिता

कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने देश के लोगों और संसद को इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं दी। उनके मुताबिक, जब अमेरिका भूमिका निभा रहा है तो संसद को अंधेरे में नहीं रखा जा सकता। पार्टी ने यह भी कहा कि इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री की चुप्पी लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।कांग्रेस चाहती है कि युद्ध विराम बैठक और आगे की रणनीति पर भी संसद में बहस हो और विपक्ष को पूरी जानकारी दी जाए।

क्या सर्वदलीय बैठक से बनेगी बात?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस की मांग पर सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे? क्या सरकार इस संघर्ष विराम पर खुलकर चर्चा करेगी या इसे केवल विदेश मंत्रालय के स्तर तक सीमित रखा जाएगा? कांग्रेस ने देश की सुरक्षा नीति पर एकीकृत और समन्वित दृष्टिकोण की बात कही है। इसलिए अब नज़र इस बात पर टिकी है कि सरकार पारदर्शिता और लोकतांत्रिक संवाद को कितना महत्व देती है।

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