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भारतीय शेयर बाज़ार में भारी गिरावट: वैश्विक आशंकाओं के बीच सेंसेक्स-निफ्टी गिरे !

भारतीय शेयर बाज़ार में भारी गिरावट: वैश्विक आशंकाओं के बीच सेंसेक्स-निफ्टी गिरे !

 मुंबई : ७ अप्रैल २०२५ को भारतीय शेयर बाज़ार में भयावह गिरावट देखी गई, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों ही 5% से अधिक टूट गए। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ और वैश्विक मंदी की बढ़ती आशंकाओं के कारण हुई है। वॉल स्ट्रीट में पिछले सप्ताह दर्ज की गई भारी बिकवाली का असर एशियाई बाज़ारों समेत भारत पर भी पड़ा है।

प्रमुख सूचकांकों में भारी नुकसान :

बाज़ार के खुलते ही निफ्टी 50 ने 1,146 अंक (5%) की गिरावट के साथ 21,758 का स्तर छुआ, जो मार्च 2020 के बाद से इसका सबसे बड़ा इंट्राडे नुकसान है। वहीं सेंसेक्स 5.19% की गिरावट के साथ 71,449 पर खुला। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में और भी ज्यादा बिकवाली देखी गई, जहाँ निफ्टी मिडकैप 100 में 7.26% और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 10.15% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई।


सबसे ज्यादा प्रभावित हुए सेक्टरऔर शेयर ?

बैंकिंग, आईटी और मेटल सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली देखी गई। HDFC बैंक के शेयरों में 3% की गिरावट ने निफ्टी को अकेले 88 अंक नीचे खींचा, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 85 अंक की गिरावट में योगदान दिया। ट्रेंट लिमिटेड 15% की गिरावट के साथ सबसे बड़ा लूजर रहा, जबकि टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के शेयर क्रमशः 10% और 8.4% नीचे बंद हुए। आईटी सेक्टर में निफ्टी आईटी इंडेक्स 7% टूटा, जो पिछले सप्ताह 9% गिरने के बाद एक और झटका था।

वैश्विक बाज़ारों में हड़कंप: ट्रम्प के टैरिफ का असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल से लागू किए गए नए टैरिफ ने वैश्विक बाज़ारों में हलचल मचा दी है। इनमें चीन पर 34%, यूरोपियन यूनियन पर 20%, जापान पर 24%, दक्षिण कोरिया पर 25% और ताइवान पर 32% टैरिफ शामिल हैं। चीन ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी सामानों पर 34% का टैरिफ लगा दिया, जिससे व्यापार युद्ध की आशंका और बढ़ गई है।

एशियाई बाज़ारों में भारी गिरावट :

एशियाई बाज़ारों ने सोमवार को सबसे ज्यादा मार झेली। चीन का शंघाई कम्पोजिट 4% गिरा, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 10% से अधिक नीचे चला गया। जापान का निक्केई 6.5% टूटा, जबकि ताइवान का स्टॉक एक्सचेंज 10% की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। अमेरिकी बाज़ारों के फ्यूचर्स भी नकारात्मक रहे, जहाँ S&P 500 के फ्यूचर्स 2.5%, डॉव जोन्स 2.1% और नैस्डैक 3.1% नीचे चल रहे थे।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :

इन वैश्विक घटनाक्रमों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई दिया। रुपया 19 पैसे गिरकर 85.63 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गया, जबकि 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 6.4882% पर पहुँच गया। निवेशक अब 10 अप्रैल को आने वाले RBI के मौद्रिक नीति निर्णय की ओर ध्यान दे रहे हैं, जिससे बाज़ार को कुछ स्थिरता मिलने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों की राय :

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। J.P. मॉर्गन ने 2025 तक वैश्विक मंदी की संभावना 60% बताई है, जबकि SPI एसेट मैनेजमेंट के स्टीफन इनेस ने चेतावनी दी है कि बाज़ार फ्री-फॉल में है। शॉर्ट-टर्म निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है, जबकि लॉन्ग-टर्म निवेशक गिरावट का फायदा उठाकर गुणवत्तापूर्ण शेयरों में निवेश कर सकते हैं। FMCG और फार्मा सेक्टर को इस समय सुरक्षित माना जा रहा है।

वैश्विक नेताओं की टैरिफ नीति में ढील :

कुछ वैश्विक नेताओं ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में ढील देकर व्यापार तनाव कम करने की पहल की है। यूरोपीय संघ के प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अमेरिकी स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ में 25% की कटौती की घोषणा की, जिसे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। वहीं ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अमेरिकी कारों पर लगे टैरिफ को पूरी तरह हटाने का फैसला किया था, जिससे ऑटोमोबाइल क्षेत्र को राहत मिली थी।

टैरिफ युद्ध से निपटने की वैश्विक पहल :

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को नए सिरे से परिभाषित करते हुए कृषि उत्पादों पर टैरिफ में 15% की कमी की है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने अमेरिकी रक्षा उपकरणों पर लगे टैरिफ को समाप्त कर दिया है, जिसे द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम वैश्विक व्यापार तनाव को कम करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करने में मददगार साबित होंगे।

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