बिहार मतदाता सत्यापन विवाद: ECI का दुरुपयोग? तृणमूल कांग्रेस ने उठाए

बिहार मतदाता सत्यापन विवाद ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने ईसीआई पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ईसीआई के दुरुपयोग का दावा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा एनआरसी को पिछले दरवाजे से लागू कर रही है।
- ओ ब्रायन ने ईसीआई को भाजपा का शाखा कार्यालय न बनने को कहा।
- टीएमसी ईसीआई का संवैधानिक निकाय के रूप में सम्मान करती है।
- उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही।
सत्यापन अभियान का समय और मकसद
यह टिप्पणी बिहार और पश्चिम बंगाल में आई है। यह विशेष गहन पुनरीक्षण के बीच की गई है। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ अभियान शुरू हुआ। डेरेक ओ ब्रायन ने समय पर सवाल उठाया। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर करना है।
- भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण ने बंगाल में कम सीटें बताईं।
- भाजपा को 46-49 सीटें मिलने का अनुमान था।
- ओ ब्रायन ने इसे भाजपा की हताशा कहा।
ईपीआईसी कार्ड और नाजी जर्मनी से तुलना
पश्चिम बंगाल में ईपीआईसी कार्ड का मुद्दा अनसुलझा है। ममता बनर्जी ने यह मुद्दा पहले उठाया था। चुनाव आयोग ने इसे अप्रैल 2025 तक हल करने का वादा किया था। ओ ब्रायन ने सत्यापन की तुलना नाजी जर्मनी से की। उन्होंने इसे नाजी पूर्वज पास का नया संस्करण बताया।
- 1935 में नाजियों को पूर्वज पास दिखाना होता था।
- यह भारतीय नागरिकता के सबूत के लिए है।
- सभी भारतीय ब्लॉक दल इसे संसद में उठाएंगे।
दस्तावेज़ों की अत्यधिक आवश्यकता
ओ ब्रायन ने नए सत्यापन मानदंडों का विवरण दिया। इसमें अत्यधिक दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता है। जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को जन्म प्रमाण पत्र देना होगा। जुलाई 1987 से दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों को स्वयं और एक माता-पिता का प्रमाण देना होगा। दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को स्वयं और दोनों माता-पिता का प्रमाण देना होगा। एक महीने में जमा न करने पर नाम सूची से हट जाएगा।
- यह अभ्यास पहले बिहार में शुरू हुआ है।
- चुनाव आयोग ने कहा वे बंगाल में भी करेंगे।
- यह प्रक्रिया अत्यधिक जटिल मानी गई।
बिहार में ईसीआई का विशेष अभियान
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ईसीआई ने एसआईआर शुरू किया। इसका उद्देश्य प्रत्येक मतदाता की पात्रता की पुष्टि करना है। यह अभियान राजनीतिक दलों के समन्वय से चल रहा है। 20,603 अतिरिक्त बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की नियुक्ति हुई है। कुल 77,895 बीएलओ की मौजूदा ताकत बढ़ी है।
- 1 लाख से अधिक स्वयंसेवक भी इसमें शामिल हैं।
- वे वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगों की मदद करेंगे।
- आर्थिक रूप से वंचित और अन्य कमजोर समूहों को सहायता मिलेगी।
अभियान की प्रगति और राजनीतिक दलों की भागीदारी
सभी मान्यता प्राप्त दलों ने 1,54,977 बूथ स्तरीय एजेंट नियुक्त किए। बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में गणना फॉर्म वितरित हो रहे हैं। ये फॉर्म घर-घर जाकर दिए जा रहे हैं। लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं को विवरण सत्यापित करना है। जिला मजिस्ट्रेट बीएलओ की तैनाती की देखरेख कर रहे हैं। बिहार में 5.74 करोड़ मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेजे जा रहे हैं।
- सभी गतिविधियाँ तय कार्यक्रम के अनुसार चल रही हैं।
- केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक पात्र हैं।
- ईसीआई ने अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता दोहराई है।
विपक्षी दलों की चिंताएं और चुनाव आयोग का जवाब
कांग्रेस और सीपीआई सहित विपक्षी दल संशोधन पर सवाल उठा रहे हैं। वे चुनाव निकाय पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चिंता जताई। उन्होंने इसे गुप्त एनआरसी ऑपरेशन कहा। यह हजारों गरीब मतदाताओं को वंचित कर सकता है। उन्होंने 1995 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। लाल बाबू हुसैन मामले में उचित प्रक्रिया आवश्यक है। बिहार मतदाता सत्यापन विवाद को लेकर ये चिंताएं बढ़ रही हैं।
- नागरिकता केवल सीमित दस्तावेजों से साबित नहीं हो सकती।
- सभी प्रकार के प्रासंगिक साक्ष्य पर विचार होना चाहिए।
- एक महीने की डोर-टू-डोर योजना अव्यावहारिक है।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने शनिवार को अपना स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा कि सभी गतिविधियाँ तय समय पर चल रही हैं। बिहार मतदाता सत्यापन विवाद के बीच यह बयान आया। चुनाव आयोग ने कहा कि एसआईआर सफलतापूर्वक शुरू हो चुका है। इसमें सभी राजनीतिक दलों की पूर्ण भागीदारी है।
- मौजूदा 7,89,69,844 मतदाताओं में से, 4.96 करोड़ मतदाता हैं।
- वे पहले से 01.01.2003 को पंजीकृत थे।
- उन्हें बस सत्यापन करना है और फॉर्म जमा करना है।
विपक्षी गठबंधन की रणनीति
बिहार में विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने विरोध दर्ज कराया। उन्होंने इसे एनडीए की मदद करने की “साजिश” बताया। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस बात पर जोर दिया। कांग्रेस के पवन खेड़ा और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य भी मौजूद थे। गठबंधन चुनाव आयोग के पास प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। यदि संतुष्ट न हुए तो आगे की कार्रवाई होगी। बिहार मतदाता सत्यापन विवाद को लेकर वे एकजुट हैं।
- यादव ने पूछा, लोकसभा चुनाव के बाद यह अभियान क्यों नहीं?
- इसका उद्देश्य वंचित वर्गों को मताधिकार से वंचित करना है।
- विशेषकर दलितों, मुसलमानों और पिछड़े वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है।
आरएसएस और संविधान पर टिप्पणी
आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा का आह्वान किया। इसे संविधान की आत्मा पर “जानबूझकर हमला” बताया गया। राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस ‘मनुस्मृति’ चाहता है। उन्होंने एक्स पर लिखा, संविधान उन्हें परेशान करता है। यह समानता और न्याय की बात करता है। यह भी बिहार मतदाता सत्यापन विवाद से जुड़ा एक पहलू है।
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