बिहार मतदाता सूची विवाद विधानसभा चुनाव से पहले मचा घमासान

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही बिहार मतदाता सूची विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। चुनाव आयोग (EC) द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण और उद्देश्य
चुनाव आयोग का कहना है कि उसका एकमात्र लक्ष्य त्रुटिहीन और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करना है। यह कवायद ‘अयोग्य नामों को हटाने’ के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि मतदाता सूची में ‘केवल पात्र नागरिक’ ही शामिल हों। EC ने 25 जून को यह प्रक्रिया पूरे बिहार में शुरू की थी। EC ने यह भी बताया है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के निर्देशों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आयोग का लक्ष्य त्रुटि-रहित मतदाता सूची की अखंडता सुनिश्चित करना है।
- पटना जिला मजिस्ट्रेट ने महादलित टोले में विशेष निरीक्षण किया था।
- उन्होंने प्रपत्रों के वितरण और संग्रह की प्रगति को भी देखा।
- चुनाव आयोग ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जमीनी स्तर पर सुचारू है।
मुख्य बिंदु :
- आरजेडी ने मतदाता सूची संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- चुनाव आयोग का दावा- प्रक्रिया त्रुटिहीन और पारदर्शी तरीके से चल रही है।
- 1 अगस्त को मसौदा सूची जारी होगी, अंतिम तिथि 25 जुलाई है।
- तेजस्वी यादव ने केवल बिहार में एसआईआर लागू होने पर सवाल उठाया।
- मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे दलित विरोधी भाजपा-आरएसएस साजिश बताया।
- भाजपा का पलटवार- विपक्ष अपनी संभावित हार से डरकर भ्रम फैला रहा।
- चुनाव आयोग के मुताबिक 1.69 करोड़ फॉर्म प्राप्त, संशोधन सुचारू रूप से जारी।
पुनरीक्षण प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण
मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण अब लगभग पूरा हो चुका है। मतगणना के फॉर्म छापे और बांटे गए। सभी उपलब्ध मतदाताओं को ये आवश्यक प्रपत्र प्रदान किए गए हैं।
- पैनल ने दोहराया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 24 जून के निर्देशों के अनुसार चल रहा है।
- इन निर्देशों में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
- चुनाव आयोग ने कहा कि प्रारंभिक चरण लगभग पूर्ण है।
6 जुलाई को चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण सुचारू रूप से लागू किया गया। इसमें निर्देश में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है।
मसौदा सूची और महत्वपूर्ण तिथियां
निर्देशों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को मसौदा मतदाता सूची जारी की जाएगी। इसमें उन्हीं व्यक्तियों के नाम शामिल होंगे जिनके गणना प्रपत्र प्राप्त हुए हैं। ईसी ने रविवार को स्पष्टीकरण भी जारी किया।
- मतदाताओं को 25 जुलाई 2025 से पहले दस्तावेज जमा करने होंगे।
- दस्तावेज जमा न करने वालों को दावों-आपत्तियों में भी अवसर मिलेगा।
- चुनाव आयोग ने भ्रामक बयानों से सावधान रहने का आग्रह किया।
यह स्पष्टीकरण कई सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है। खड़गे के विज्ञापन संबंधी चिंता पर यह जवाब था।
विपक्षी दलों की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
आरजेडी की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी है। आयोग ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले यह निर्देश दिया था। उन्होंने विशेष गहन संशोधन को तत्काल लागू करने पर आपत्ति जताई।
- ADR ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे मनमाना बताया।
- याचिका में तर्क था कि लाखों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
- तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा ने प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया वास्तविक युवा मतदाताओं को मतदान से रोकेगी। बिहार मतदाता सूची विवाद अब एक बड़ा कानूनी मुद्दा बन गया है।
विपक्षी नेताओं के गंभीर आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे भाजपा-आरएसएस की साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर दलितों और वंचित वर्गों के मताधिकार को छीनने का प्रयास है। खड़गे ने भाजपा पर अपने ही मास्टर प्लान में फंसने का दावा किया।
- बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने विज्ञापन को अक्षमता का प्रतीक कहा।
- तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि यह कवायद केवल बिहार में क्यों हो रही है।
- इंडिया ब्लॉक नेताओं ने अपनी चिंताएं ईसी अधिकारियों से साझा की हैं।
महुआ मोइत्रा ने कहा कि आयोग का अगला निशाना पश्चिम बंगाल होगा। उन्होंने इस कदम को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया।
सत्ता पक्ष का बचाव और आयोग के आंकड़े
भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने इस पूरे अभ्यास का जोरदार बचाव किया है। उन्होंने विपक्ष पर ‘चुनाव में निश्चित हार से पहले बहाने बनाने’ का आरोप लगाया। रविवार को चुनाव आयोग ने प्राप्त गणना फॉर्मों के आंकड़े जारी किए।
- शाम 6 बजे तक 1,69,49,208 गणना फॉर्म प्राप्त हुए हैं।
- यह बिहार के कुल मतदाताओं का 21.46 प्रतिशत है।
- फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि में अभी भी 19 दिन हैं।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी एक्स पर प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा मतदाताओं को दस्तावेजीकरण में सुविधा मिल रही है।
पुनरीक्षण की आवश्यकता और भविष्य की रणनीति
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदाताओं को फॉर्म जमा करने के बाद भी दस्तावेज देने का समय मिलेगा। चुनाव आयोग के अनुसार, शहरीकरण और पलायन के कारण यह अभ्यास आवश्यक है। मौतों और विदेशी अवैध प्रवासियों के नामों को हटाना भी इसका उद्देश्य है। कांग्रेस ने आयोग के शीर्ष अधिकारियों पर से भरोसा खो दिया है। बिहार मतदाता सूची विवाद अब एक बड़ा कानूनी और राजनीतिक संघर्ष में बदल गया है।
- पोल पैनल त्रुटि-रहित मतदाता सूची की अखंडता सुनिश्चित करना चाहता है।
- चुनावी निकाय का यह कदम विपक्षी दलों की कड़ी प्रतिक्रिया है।
- मनोज झा ने कहा कि 20% मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे।
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