बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना: सवाल और चिंताएँ !

एक ताजा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना ने सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना अहमदाबाद में हुई। इसने वैश्विक ध्यान खींचा है। यह सेवा में आने के बाद पहली ऐसी बड़ी घटना थी। यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना विशेष रूप से चिंताजनक है। खासकर पिछले समय की घटनाओं के बाद।
इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना ने बोइंग के विमानों पर फिर से बहस छेड़ दी है। अब यह जानना जरूरी हो गया है। इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना के पीछे क्या कारण थे? यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना कंपनी के लिए क्या संकेत लाती है?
737 मैक्स की छाया और ताजा 787 दुर्घटना
यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना एक विडंबनापूर्ण समय पर हुई। महज कुछ सप्ताह पहले ही बोइंग ने एक बड़ा भुगतान किया था। यह भुगतान 737 मैक्स विमानों से जुड़ी दो भयावह दुर्घटनाओं के लिए था। 2018 और 2019 में इंडोनेशिया और इथियोपिया में हुई इन दुर्घटनाओं में 346 लोगों की मौत हुई थी।
बोइंग ने अभियोजन से बचने के लिए 1.1 बिलियन डॉलर का भुगतान किया। यह सौदा कई पीड़ित परिवारों को नागवार गुजरा। उनके वकीलों ने इसे “नैतिक रूप से घृणित” बताया। ऐसे में, इस नई बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना ने बोइंग की प्रथाओं पर सवालिया निशान लगा दिया है।
क्या कंपनी ने पिछले दुर्घटनाओं से सही सबक लिया? क्या सुरक्षा संस्कृति में पर्याप्त सुधार हुआ? ये सवाल अब और भी जरूरी हो गए हैं।
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ड्रीमलाइनर का सुरक्षा रिकॉर्ड: कैसा रहा?
सेवा में 1,100 से अधिक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर हैं। अधिकांश प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनें इनका उपयोग करती हैं। इस मॉडल को कई कारणों से सराहा गया है। इसमें उन्नत कार्बन-कंपोजिट संरचना का उपयोग किया गया है। यह पारंपरिक एल्यूमीनियम विमानों से हल्का है। इससे ईंधन की खपत में लगभग 20% की कमी आती है।
यात्री आराम और कम शोर के लिए भी यह जाना जाता है। सेवा में आने के बाद से इसका सुरक्षा रिकॉर्ड अच्छा रहा है। हालांकि, यह मॉडल समस्याओं से पूरी तरह अछूता नहीं रहा। एयरलाइनों को विशेष रूप से इंजनों से जुड़ी व्यापक समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
इन समस्याओं के कारण कई विमानों को जमीन पर उतारना पड़ा। कई उड़ानों को रद्द या कम करना पड़ा। अमेरिकी सुरक्षा नियामक, एफएए (FAA) भी चिंतित रहा है। पिछले कुछ वर्षों में उसे कई मुद्दों की जांच करनी पड़ी है। इसमें एक गंभीर घटना भी शामिल है।
पिछले साल लैटम एयरलाइन्स के एक 787 विमान ने अचानक हवा में गोता लगा दिया था। इससे कई यात्री घायल हो गए थे। इस पृष्ठभूमि में, यह नई बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
भारतीय संदर्भ और एयर इंडिया
यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना भारत में हुई। एयर इंडिया इस विमान का संचालन कर रही थी। एयर इंडिया लगभग 30 ड्रीमलाइनर संचालित करती है। कंपनी 2012 से ही इन लंबी दूरी के विमानों का उपयोग कर रही है। भारत का विमानन सुरक्षा इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। हालाँकि, पिछले कुछ दशकों में सुधार हुआ है।
एयरलाइन उद्योग के विस्तार और यात्री संख्या में वृद्धि के बावजूद। एयर इंडिया की आखिरी बड़ी दुर्घटना अगस्त 2020 में हुई थी। यह एक बोइंग 737-800 एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान की थी। यह विमान खराब मौसम में कालीकट हवाई अड्डे पर उतरा था। दुर्भाग्यवश, यह रनवे से फिसल गया।
इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना ने फिर से एयर इंडिया के संचालन पर नजर डालने को मजबूर कर दिया है। साथ ही, यह भारतीय विमानन सुरक्षा प्रणाली की परख भी करती है। विमानन सुरक्षा के आंकड़े बताते हैं। अधिकांश दुर्घटनाएँ टेकऑफ़ या लैंडिंग के दौरान ही होती हैं।
इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना में भी यही पैटर्न दिखा। फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, विमान उड़ान भर चुका था। यह लगभग 625 फीट की ऊंचाई तक पहुँच गया था। फिर कुछ गड़बड़ी हुई। बोइंग ने इस घटना पर प्रारंभिक टिप्पणी की है। एक प्रवक्ता ने कहा, “हम शुरुआती रिपोर्टों से अवगत हैं। हम अधिक जानकारी जुटाने के लिए काम कर रहे हैं।”
व्हिसलब्लोअर की चेतावनियाँ
इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना से पहले भी चिंताएँ जताई जा चुकी थीं। पिछले साल एक व्हिसलब्लोअर ने गंभीर आरोप लगाए थे। यह पूर्व बोइंग इंजीनियर था। उसने वाशिंगटन में हुई एक सुनवाई में दावा किया। उसने दुनिया भर में सभी 787 ड्रीमलाइनर को जमीन पर उतारने की माँग की थी।
उसने विमान की संरचनात्मक अखंडता पर गंभीर सवाल उठाए थे। विशेष रूप से उन जोड़ों को लेकर, जिन्हें अलग-अलग देशों में बनाया गया था। उसका दावा था कि उत्पादन प्रक्रिया में गंभीर कमियाँ हैं। ये कमियाँ विमान की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। बोइंग ने तुरंत इन दावों को खारिज कर दिया।
कंपनी ने कहा कि उसे अपने विमान पर पूरा भरोसा है। कंपनी ने व्हिसलब्लोअर के दावों को गलत बताया। फिर भी, इस ताजा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना के बाद, उन चेतावनियों पर फिर से विचार किया जा रहा है। क्या उन आंतरिक चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया? क्या नियामकों को और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी? ये सवाल अब फिर से प्रासंगिक हो गए हैं।
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आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन: ड्रीमलाइनर की सबसे बड़ी समस्या?
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना के पीछे के कारणों की जाँच चल रही है। इस जाँच में एक महत्वपूर्ण पहलू सामने आता है। वह है बोइंग की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन रणनीति। 787 कार्यक्रम की शुरुआत से ही यह एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। बोइंग ने ड्रीमलाइनर के डिजाइन और निर्माण में एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण अपनाया।
कंपनी ने लगभग हर प्रमुख घटक को बाहरी आपूर्तिकर्ताओं को आउटसोर्स कर दिया। यह कदम अपने आप में बहुत जोखिम भरा था। बोइंग का लक्ष्य लागत कम करना और विकास गति बढ़ाना था। दुर्भाग्य से, यह योजना विपरीत परिणाम देने वाली साबित हुई।
बोइंग ने विमान निर्माण के अपने पारंपरिक ज्ञान को ताक पर रख दिया। उसने एक नई, अप्रमाणित प्रणाली को अपनाया। इसके परिणाम विनाशकारी रहे।
आउटसोर्सिंग का व्यापक नेटवर्क
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एक वैश्विक पहेली है। इसके पुर्जे दुनिया भर के दर्जनों आपूर्तिकर्ताओं से आते हैं। इसमें दक्षिण कोरिया, जापान, इटली, ऑस्ट्रेलिया, चीन, स्वीडन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। प्रत्येक आपूर्तिकर्ता विमान के एक विशिष्ट हिस्से का निर्माण करता था।
इन सभी प्रमुख हिस्सों को फिर बोइंग के मुख्य संयंत्र में लाया जाता था। वहाँ पर उन्हें जोड़कर अंतिम विमान बनाया जाता था। यह दृष्टिकोण अवधारणात्मक रूप से अच्छा लग सकता था। परंतु व्यवहार में यह एक बड़ी समस्या बन गया। बोइंग ने अपने नियंत्रण का एक बड़ा हिस्सा खो दिया।
कंपनी अपने आपूर्तिकर्ताओं की कार्यप्रणाली पर पूरी नजर नहीं रख पाई। गुणवत्ता नियंत्रण में भारी चुनौतियाँ आईं। विभिन्न स्रोतों से आए पुर्जों में अंतर होना स्वाभाविक था। इन्हें सही तरीके से एकीकृत करना एक जटिल कार्य था।
देरी, दोष और वित्तीय नुकसान
आउटसोर्सिंग की इस रणनीति का तुरंत नकारात्मक प्रभाव दिखा। ड्रीमलाइनर कार्यक्रम में भारी देरी हुई। मूल योजना के अनुसार, पहली परीक्षण उड़ान अगस्त 2007 में होनी थी। पहली डिलीवरी मई 2008 में होनी थी। ये लक्ष्य बार-बार पीछे धकेले गए। बोइंग को डिलीवरी की तारीखें कई बार बदलनी पड़ीं।
इससे ग्राहक एयरलाइनें बहुत नाराज हुईं। उन्हें अपनी उड़ान योजनाओं में बड़े बदलाव करने पड़े। देरी के कारण भी विविध थे। कभी बोल्टों की कमी रही। कभी फ्लाइट कंट्रोल सॉफ्टवेयर में खामियाँ मिलीं। कभी विभिन्न देशों से आए हिस्सों में समन्वय की समस्या हुई। सबसे खतरनाक घटना नवंबर 2010 में हुई। पहले परीक्षण विमान में अचानक आग लग गई। इसके बाद विमान को आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी।
ये सभी समस्याएँ आपूर्ति श्रृंखला के खराब प्रबंधन का सीधा परिणाम थीं। इन देरी और दोषों ने बोइिंग को भारी वित्तीय नुकसान पहुँचाया। डिलीवरी में देरी पर जुर्माना देना पड़ा। ग्राहकों को मुआवजा देना पड़ा। कार्यक्रम की कुल लागत आसमान छूने लगी। बोइंग ने जिस लागत प्रभावी मॉडल की कल्पना की थी, वह उल्टा पड़ गया।
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क्या यह रणनीतिक गलती थी?
बोइंग के निर्णय पर सवाल उठना स्वाभाविक है। कंपनी ने अपने व्यवसाय के मूल क्षेत्रों को आउटसोर्स कर दिया। इंजीनियरिंग और उन्नत विनिर्माण बोइंग की रीढ़ थे। इन्हें बाहर देकर कंपनी ने अपनी सबसे बड़ी ताकत को ही कमजोर कर दिया। आउटसोर्सिंग सहायक कार्यों के लिए उपयोगी होती है। जैसे आईटी सपोर्ट या ग्राफिक डिजाइन।
लेकिन मुख्य उत्पाद की कोर क्षमताओं के लिए नहीं। बोइंग ने इस मूलभूत सिद्धांत को नजरअंदाज किया। परिणामस्वरूप, वह अपने आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भर हो गई। इसने कंपनी की समस्याओं को हल करने की क्षमता को सीमित कर दिया। जब समस्याएँ आईं, तो बोइंग के पास सीधे हस्तक्षेप का विकल्प नहीं था। उसे आपूर्तिकर्ताओं के समाधान का इंतजार करना पड़ा। यह प्रक्रिया धीमी और जटिल थी। एक बड़ा सवाल यह भी है।
क्या बोइंग के प्रबंधन ने जोखिमों को ठीक से समझा था? जोखिम प्रबंधन प्रस्तुतियों में इन खतरों को उजागर किया गया होगा। फिर भी, कंपनी ने इस रास्ते पर चलने का फैसला किया। यह अहंकार का परिणाम लगता है। बोइंग को लगा कि वह इस जटिल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रबंधित कर सकती है। उसे लगा कि पारंपरिक तरीके बदलने की जरूरत है।
दुर्भाग्य से, यह आत्मविश्वास गलत साबित हुआ। ड्रीमलाइनर का भाग्य हमेशा ही उसके आपूर्तिकर्ताओं के हाथों में रहा। बोइंग का उस पर वास्तविक नियंत्रण कभी भी पूरा नहीं रहा।
भविष्य की चुनौतियाँ और सबक
यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना अभी जाँच के शुरुआती चरण में है। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि सीधा कारण क्या था। फिर भी, यह घटना बोइंग के लिए एक बड़ी चेतावनी है। यह कंपनी के लिए गहन आत्मनिरीक्षण का समय है। पिछले दोषपूर्ण रणनीतिक निर्णयों, जैसे 737 मैक्स की एमसीएस प्रणाली और 787 की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, ने बड़ी कीमत वसूली है।
जानमाल के नुकसान के अलावा, कंपनी की प्रतिष्ठा को गहरा आघात लगा है। नियामकों का विश्वास डगमगाया है। एयरलाइनों और यात्रियों का भरोसा कम हुआ है। भविष्य में, बोइंग को अपने मूल सिद्धांतों पर वापस लौटना होगा। इंजीनियरिंग उत्कृष्टता और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
लागत कटौती या शेयरधारकों को खुश करने के दबाव में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से, आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण और गुणवत्ता निगरानी को कड़ा करना होगा। संभवतः, कुछ मुख्य तकनीकी क्षमताओं को फिर से अपने पास लाना होगा।
इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना से प्राप्त सबक सिर्फ बोइंग के लिए ही नहीं हैं। पूरे विमानन उद्योग को इनसे सीखना चाहिए। जटिल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में निहित जोखिमों को पहचानना होगा। नियामकों को और सतर्क तथा सख्त होना होगा। उन्हें निर्माताओं के आंतरिक दबावों से ऊपर उठकर काम करना होगा।
अंततः, विमानन सुरक्षा सभी चीजों से ऊपर होनी चाहिए। इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना की जाँच इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होनी चाहिए। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। यात्री विश्वास के साथ उड़ान भर सकें। यही इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना से सबसे बड़ी उम्मीद है।
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