ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र , लखनऊ में आज होगा उद्घाटन

ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र का उद्घाटन आज लखनऊ में किया जाएगा, जिससे भारत की रक्षा तैयारियों को बड़ी मजबूती मिलेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस केंद्र का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। यह यूनिट भारत के रणनीतिक हथियार निर्माण में एक नया अध्याय जोड़ेगी। यह केंद्र उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे का हिस्सा है, जिसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तेजी से विकसित किया जा रहा है।
भारत को मिला नया ब्रह्मोस हब
लखनऊ में स्थापित यह केंद्र दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के निर्माण को समर्पित है।
- कुल 300 करोड़ रुपये की लागत से यह केंद्र बना है।
- भारत और रूस की साझेदारी से बनी यह मिसाइल थल, जल, नभ से लॉन्च हो सकती है।
- ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित यह मिसाइल दुश्मन पर बिना मार्गदर्शन वार कर सकती है।
- ब्रह्मोस की रफ्तार 2.8 मैक है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना तेज है।
पाकिस्तान तनाव के बीच केंद्र का उद्घाटन
भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में सैन्य तनाव रहा है, खासकर जम्मू क्षेत्र में सीमा पर। हालांकि युद्धविराम की घोषणा हुई है, लेकिन भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है। इसी पृष्ठभूमि में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र का उद्घाटन भारत की रणनीतिक मजबूती का संकेत है। पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने भारतीय मिसाइल को मार गिराया, जिसे भारत ने खारिज किया।
ऐसे में ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों की जरूरत और अहमियत और बढ़ गई है।
मिसाइल की 10 प्रमुख विशेषताएं
- दो-चरणीय सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
- जमीन, समुद्र और वायु से हमले की क्षमता
- रेंज 290 से 400 किलोमीटर तक
- रडार से बच निकलने की तकनीक
- स्ट्राइक सटीकता दर 99.99%
- 2005 में नौसेना में पहली बार शामिल
- ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिद्धांत
- भारत-रूस संयुक्त निर्माण
- 65% घटक पहले आयातित
- INS राजपूत पर पहली तैनाती
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा
लखनऊ यूनिट को 80 हेक्टेयर में स्थापित किया गया है, जिसे यूपी सरकार ने निःशुल्क भूमि दी है। इस केंद्र में मिसाइलों के संयोजन और परीक्षण की भी सुविधा होगी। साथ ही टाइटेनियम और सुपर अलॉयज का उत्पादन करने वाला संयंत्र भी आज लॉन्च किया जाएगा। यह संयंत्र भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा उद्योगों को स्वदेशी सामग्री मुहैया कराएगा। ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र के साथ डीटीआईएस (Defence Testing Infrastructure System) की नींव भी रखी जाएगी।
यूपी में रक्षा गलियारा: एक नई क्रांति
- यह भारत का दूसरा रक्षा गलियारा है, पहला तमिलनाडु में है।
- लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट – छह नोड्स तय किए गए हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में इस गलियारे की घोषणा की थी।
- इससे देश में रक्षा निर्माण में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- यह गलियारा भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण केंद्र का उद्घाटन सिर्फ एक औद्योगिक पहल नहीं, बल्कि भारत की सामरिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। लखनऊ से शुरू होकर यह पहल देश को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाईयों तक पहुंचाएगी। भारत अब आयात पर निर्भरता कम कर रहा है और अपने दम पर अगली पीढ़ी के रक्षा उपकरण बना रहा है। यह केंद्र भारत की रक्षा रणनीति का वह मोर्चा है, जो आने वाले वर्षों में निर्णायक साबित होगा।
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