बीएसएफ जवान सुरक्षित वापसी: अटारी सीमा पर सौंपे गए शॉ

14 मई 2025 की सुबह अटारी-वाघा बॉर्डर पर एक भावनात्मक क्षण देखा गया, जब बीएसएफ जवान सुरक्षित वापसी के तहत पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंपा गया। यह घटना भारत की कूटनीतिक दृढ़ता और सीमा सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।
घटना की शुरुआत: ड्यूटी के दौरान हुई चूक
- 23 अप्रैल 2025 को पंजाब के फिरोजपुर में ड्यूटी के दौरान गलती से सीमा पार कर गए थे।
- शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी हैं और बीएसएफ की 182वीं बटालियन में तैनात हैं।
- यह घटना पहलगाम आतंकी हमले के अगले दिन हुई थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।
विशेष जानकारी:
शॉ अपनी वर्दी और सर्विस राइफल के साथ थे जब वह पाकिस्तान में दाखिल हुए। वह एक खेत में सीमावर्ती किसानों की सहायता करते समय गलती से सीमा पार कर गए।
तनाव के बीच देरी: पहलगाम हमला बना रुकावट
१. पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया था।
२. पाकिस्तान रेंजर्स ने शुरूआती दिनों में फ्लैग मीटिंग के प्रस्तावों का जवाब नहीं दिया।
३. भारत की ओर से कूटनीतिक दबाव और सतत संवाद से रिहाई सुनिश्चित हुई।
भारत के प्रयासों में शामिल:
- बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार फ्लैग मीटिंग और संपर्क बनाए रखा गया।
- रक्षा मंत्रालय व प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में प्रक्रिया तेज की गई।
पूर्व में भी हो चुकी है ऐसी घटना :
भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। अगस्त 2011 में भारतीय जवान चंद्रभान प्रजापति भी सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे। उन्हें लगभग तीन सप्ताह की हिरासत के बाद भारत को लौटाया गया था। इसी तरह 2016 में बीएसएफ जवान राम अवतार यादव भी अनजाने में सीमा पार कर गए थे। भारत ने हमेशा ऐसे मामलों में शांति और संवाद का मार्ग अपनाया है, जबकि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया अक्सर देर से और रणनीतिक होती है।
परिवार में राहत: रजनी शॉ ने जताया आभार
क) शॉ की पत्नी रजनी शॉ ने कहा, “अब बस उनसे मिलना चाहते हैं।”
ख) उनके पिता भोला नाथ शॉ ने कहा, “सरकार की तत्परता के लिए धन्यवाद।”
ग) पूरा परिवार चंडीगढ़ और फिरोजपुर में अपडेट के लिए पहुंचा था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: एकता में दिखी शक्ति
1] तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने शॉ की रिहाई के लिए सक्रिय प्रयास किए और प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क किया।
2] पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा, “आपके मजबूत नेतृत्व में कोई भी भारतीय पीछे नहीं छूटता।”
3] मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जवान के लिए चिंता जताई थी।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं : सरकार के प्रयासों की सराहना
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लोगों ने शॉ की वापसी पर खुशी जताई और सरकार के प्रयासों की सराहना की।
- ट्विटर और फेसबुक पर शॉ की तस्वीरें वायरल हुईं।
- #WelcomeBackConstable ट्रेंड करता रहा।
- देशवासियों ने कूटनीतिक सफलता को सराहा।
भारत की दृढ़ता और नेतृत्व की जीत :
भारत ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अपने नागरिकों और सैनिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान पर जबरदस्त कूटनीतिक दबाव बनाया। मोदी सरकार की नीतियां स्पष्ट संदेश देती हैं—आतंक और अन्याय का भारत मुंहतोड़ जवाब देगा। बीएसएफ जवान की वापसी, पहलगाम हमले पर जवाबी कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ में दृढ़ता आई है। मोदी सरकार ने यह साबित किया है कि भारत अब सिर्फ सहने वाला नहीं, निर्णायक कदम उठाने वाला राष्ट्र है। भारत की आक्रामक कूटनीति और जवाबी सैन्य रणनीति वैश्विक मंच पर प्रशंसा पा रही है।
बीएसएफ: सीमा की निःस्वार्थ रक्षा करने वाला बल
भारत की सीमा सुरक्षा बल (BSF) 1965 में स्थापित की गई थी और यह देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा की अग्रिम पंक्ति है। बीएसएफ, विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा की निगरानी करती है। यह बल आतंकवाद, घुसपैठ, तस्करी, और सीमा पार से हो रही गैर-कानूनी गतिविधियों से मुकाबला करता है। बीएसएफ के जवान विषम परिस्थितियों में भी 24×7 ड्यूटी करते हैं, जिनमें कभी-कभी ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जो अंतरराष्ट्रीय संवाद का विषय बन जाती हैं।
बीएसएफ जवान सुरक्षित वापसी की यह घटना भारत की कूटनीतिक इच्छाशक्ति और मानवीय प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इससे भारत-पाक संबंधों में संवाद और विश्वास के मार्ग को बल मिला है, जो आने वाले समय में और भी जरूरी होगा।
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