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छत्रपति शिवाजी महाराज हर भारतीय के हृदय में: अमित शाह का संदेश!

छत्रपति शिवाजी महाराज हर भारतीय के हृदय में

छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथि पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के ऐतिहासिक रायगढ़ किले में पहुंचकर महान वीर योद्धा को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की गौरवशाली विरासत को केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि पूरे देश और दुनिया को उनके आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

छत्रपति शिवाजी महाराज: पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा, “शिवाजी की कहानी हर भारतीय को पढ़ाई जानी चाहिए। इसे हर बच्चे को पढ़ाया जाना चाहिए। शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र तक सीमित न रखें। देश और दुनिया उनसे प्रेरणा ले रही है।” उन्होंने आगे कहा कि अपने धर्म का गौरव, स्वराज्य की आकांक्षा और अपनी भाषा को अमर बनाना – ये तीन विचार हैं जो देश की सीमाओं से नहीं, बल्कि मानव जीवन के स्वाभिमान से जुड़े हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “राजमाता जीजाऊ ने युवा शिवाजी के मन में अच्छे संस्कार डाले। उन्होंने उन्हें स्वराज, स्वधर्म और भाषा को पुनर्स्थापित करने के लिए भी प्रेरित किया। जीजाऊ मां साहेब ने शिवाजी महाराज को हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए भी प्रेरित किया।”

हिंदवी स्वराज्य का संकल्प और छत्रपति शिवाजी महाराज का योगदान

अमित शाह ने रायगढ़ से देश को संबोधित करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित चेतना ‘हिंदवी स्वाभिमान’ की वाहक बनी। उन्होंने कहा, “आज हिंदवी स्वराज का संकल्प इतना मजबूत हो गया है कि देश यह संकल्प ले सकता है कि जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तो वह दुनिया में सबसे पहले होगा।”

हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा, जिसे शिवाजी महाराज ने प्रतिपादित किया था, एक ऐसे स्वतंत्र राज्य की कल्पना थी जहां सभी धर्मों के लोग सम्मान के साथ रह सकें और सुशासन का अनुभव कर सकें। यह अवधारणा महज एक राजनीतिक आंदोलन से कहीं अधिक थी – यह एक जीवन दर्शन था, जिसमें स्वधर्म, स्वभाषा और स्वराज्य के मूल्य निहित थे।

मराठा साम्राज्य के संस्थापक का अदम्य साहस

अमित शाह ने छत्रपति शिवाजी महाराज के अदम्य साहस और उनकी युद्ध रणनीति की प्रशंसा करते हुए कहा, “एक 12 साल के बालक ने सिंधु से कन्याकुमारी तक भगवा ध्वज फहराने की शपथ ली। मैंने अनेक वीरों की जीवनियां पढ़ी हैं, लेकिन अदम्य इच्छाशक्ति, महान रणनीति और समाज के सभी लोगों को एक साथ जोड़कर इस रणनीति को सफल बनाने के लिए उन्होंने एक अजेय सेना का निर्माण किया।”

उन्होंने आगे कहा, “उनका अतीत, विरासत से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी उन्होंने मुगल साम्राज्य को नष्ट कर दिया। वे कटक गए। वे बंगाल गए। वे दक्षिण में कर्नाटक गए। तब लोगों को लगा कि अब देश स्वतंत्र हो जाएगा।”

सरकारी लापरवाही से टूटी थी शिवाजी महाराज की प्रतिमा

जहां एक ओर गृह मंत्री देश छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को आत्मसात करने की बात कर रहे हैं, वहीं पिछले दिनों दुर्भाग्यपूर्ण रूप से सरकारी लापरवाही के कारण महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में राजकोट किले पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढह गई थी। यह घटना 26 अगस्त 2024 को हुई, जबकि इस प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महज 8 महीने पहले 4 दिसंबर 2023 को किया था।

भारतीय नौसेना द्वारा निर्मित यह 35 फीट ऊंची प्रतिमा थोड़ी सी हवा के झोंके से ही गिर गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। प्रतिमा के निर्माण का काम ठाणे के मेसर्स आर्टिस्टरी कंपनी को दिया गया था। इस घटना के बाद पुलिस ने ठेकेदार और स्ट्रक्चरल कंसलटेंट चेतन पाटील के खिलाफ मामला दर्ज किया और गिरफ्तारियां भी हुईं थी।

इस घटना ने प्रतिमा निर्माण में भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों को जन्म दिया। विपक्ष ने महाराष्ट्र की महायुति सरकार पर निशाना साधा और इसे सरकारी लापरवाही का प्रतीक बताया। शरद पवार ने कहा था, “सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। यह सभी शिवाजी प्रेमियों का अपमान है।”

प्रधानमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने मांगी माफी

प्रतिमा गिरने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में शिवाजी महाराज और लोगों से माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मैं शिवाजी महाराज के चरणों में शीश नवाता हूं और क्षमा मांगता हूं।” इसके साथ ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस घटना पर महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगी थी।

अमित शाह के इस वक्तव्य पर विपक्ष कहना है कि पहले स्वयं भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों को छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्मान करना सीखना होगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज: एक व्यक्ति नहीं, एक विचारधारा

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोसले और माता जीजाबाई ने उनके मन में बचपन से ही स्वाभिमान, वीरता और न्याय के संस्कार डाले। मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए संघर्ष आरंभ किया।

शिवाजी महाराज का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि उन्होंने न केवल एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि एक ऐसी शासन प्रणाली विकसित की जिसमें सभी धर्मों और जातियों के लोगों का सम्मान किया जाता था। उनकी प्रशासनिक व्यवस्था अष्टप्रधान पद्धति पर आधारित थी, जिसमें आठ मंत्री विभिन्न क्षेत्रों का प्रबंधन करते थे।

शिवाजी महाराज के स्मारक विवाद और चुनौतियां

वर्तमान में शिवाजी महाराज के स्मारकों को लेकर कई विवाद चल रहे हैं। मुंबई के पास अरब सागर में प्रस्तावित 212 मीटर ऊंची घुड़सवारी प्रतिमा का निर्माण कार्य पिछले सात वर्षों से अटका हुआ है। इसके अलावा, रायगढ़ किले पर शिवाजी महाराज के वफादार श्वान ‘वाघ्या’ के स्मारक को लेकर भी विवाद चल रहा है, जिसे हटाने की मांग की जा रही है।

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगरा और हरियाणा के पानीपत में भी शिवाजी महाराज के स्मारक बनाने की योजना बनाई है। आगरा में यह स्मारक उस स्थान पर बनेगा जहां औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को नजरबंद किया था।

अमित शाह का आह्वान: हर बच्चे को सिखाएं शिवाजी महाराज का इतिहास

अपने संबोधन के अंत में अमित शाह ने कहा, “यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि भारत का हर बच्चा शिवाजी चरित्र पढ़े और उससे सीखे।” उन्होंने शिवाजी महाराज की समाधि को प्रणाम करते समय अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “मैं कई वर्षों के बाद आया हूं। सिंहासन को प्रणाम करते समय मेरे दिल में जो भावनाएं थीं, उन्हें मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।”

निष्कर्ष: राष्ट्रीय एकता के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की गौरवशाली विरासत हैं। उनके जीवन से हमें स्वाभिमान, साहस, रणनीतिक सोच और सुशासन के मूल्य सीखने को मिलते हैं। अमित शाह का यह संदेश कि शिवाजी महाराज की शिक्षाओं को हर भारतीय तक पहुंचाया जाना चाहिए, न केवल ऐतिहासिक महत्व का है, बल्कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत प्रासंगिक है।

आज के समय में जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने की ओर बढ़ रहे हैं, शिवाजी महाराज के आदर्श हमें अखंड और समृद्ध भारत के निर्माण में मार्गदर्शन कर सकते हैं। शिवाजी महाराज की प्रतिमाओं का सम्मान और उनकी विरासत का संरक्षण हमारा सामूहिक दायित्व है। सरकारी लापरवाही से हुई घटनाओं को रोकने के लिए समुचित कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि हम अपने महान नायकों का सम्मान सही तरीके से कर सकें।

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