चीन ने भारत-पाक संघर्ष को बनाया ‘लाइव लैब’ : उप सेना प्रमुख का खुलासा

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह के चौंकाने वाले खुलासे करते हुए कहा की चीन ने मई में हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष को ‘लाइव लैब’ की तरह इस्तेमाल किया। उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने शुक्रवार को बताया कि चीन ने इस टकराव को विभिन्न हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए एक ‘लाइव लैब‘ के रूप में उपयोग किया। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने अपनी प्राचीन सैन्य रणनीति ‘उधार के चाकू’ से विरोधी को मारने की तर्ज पर इस्लामाबाद को हर संभव सहायता प्रदान की। यह एक ऐसा कदम था जिसने क्षेत्रीय भू-राजनीति में चीन की भूमिका को उजागर किया।
- लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान इस संघर्ष में ‘फ्रंट फेस’ था।
- लेकिन, पर्दे के पीछे चीन और तुर्की दोनों ही इस्लामाबाद को सैन्य हार्डवेयर और अन्य सहायता दे रहे थे।
मुख्य बिंदु :
- चीन ने भारत-पाक संघर्ष को ‘लाइव लैब’ बनाकर हथियारों का परीक्षण किया।
- बीजिंग ने ‘उधार के चाकू’ रणनीति से पाकिस्तान को पूर्ण सैन्य समर्थन दिया।
- भारत ने मई संघर्ष में एक साथ चीन, पाकिस्तान और तुर्की से निपटा।
- चीन ने उपग्रहों से भारत की तैनाती पर निगरानी कर पाकिस्तान को खुफिया इनपुट दिए।
- लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की योजना और लक्ष्य चयन पर जानकारी साझा की।
- ड्रोन तकनीक और आत्मनिर्भर रक्षा ढांचा निर्माण को लेकर सेना ने किया आग्रह।
- कांग्रेस ने ‘लाइव लैब’ बयान पर संसद में चीन-भारत संबंधों पर बहस की मांग की।
तीन विरोधियों से निपटा भारत
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने स्पष्ट किया कि 7 से 10 मई के संघर्ष के दौरान भारत वास्तव में तीन विरोधियों से निपट रहा था। इनमें पाकिस्तान के साथ-साथ चीन और तुर्की भी शामिल थे। उद्योग चैंबर फिक्की द्वारा आयोजित ‘न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज‘ पर एक सेमिनार में उन्होंने ये बातें कहीं। चीन ने भारतीय सैन्य तैनाती की निगरानी के लिए अपने उपग्रहों का उपयोग किया। पाकिस्तानी सेना को डीजीएमओ (सैन्य संचालन महानिदेशक) स्तर की फोन वार्ता के दौरान इसके बारे में लाइव इनपुट मिल रहे थे।
- यह दर्शाता है कि चीन न केवल अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहा था।
- बल्कि वह वास्तविक समय की खुफिया जानकारी भी साझा कर रहा था।
“उधार के चाकू” की रणनीति
उप सेना प्रमुख ने चीन की प्राचीन सैन्य रणनीति “36 रणनीति” का जिक्र किया। इसमें “उधार के चाकू” से दुश्मन को खत्म करने पर जोर दिया जाता है। इस रणनीति का उपयोग करके बीजिंग ने भारत को तकलीफ पहुँचाने के लिए पाकिस्तान को हर संभव सहायता दी। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह भारतीय सेना की क्षमता विकास और भरण-पोषण इकाई की देखरेख करते हैं। उन्होंने कहा कि बीजिंग द्वारा इस्लामाबाद को सहायता देना आश्चर्यजनक नहीं है। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 81 प्रतिशत सैन्य हार्डवेयर चीन से ही हैं।
- “वह (चीन) उत्तरी सीमा पर कीचड़ उछालने की होड़ में शामिल होने के बजाय।
- पड़ोसी (पाकिस्तान) का इस्तेमाल भारत को तकलीफ पहुँचाने के लिए करना पसंद करेगा।”
तुर्की की महत्वपूर्ण भूमिका और युद्ध के सबक
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने में तुर्की की भी महत्वपूर्ण भूमिका बताई। उन्होंने कहा कि “हमने युद्ध के दौरान, कई ड्रोन को आते और उतरते देखा।” सैन्य अधिकारी ने संघर्ष से भारत को सबक सीखने की आवश्यकता पर जोर दिया। अगला महत्वपूर्ण सबक C4ISR (कमांड, कंट्रोल, संचार, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, निगरानी और टोही) और नागरिक-सैन्य संलयन का महत्व है। इस डोमेन में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
- “जब DGMO-स्तरीय वार्ता चल रही थी, तो पाकिस्तान वास्तव में उल्लेख कर रहा था।
- हमें चीन से लाइव इनपुट मिल रहे थे।”
“रणनीतिक संदेश” और ऑपरेशन सिंदूर
उप सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारतीय नेतृत्व द्वारा दिया गया “रणनीतिक संदेश” स्पष्ट था। अब वर्षों पहले की तरह दर्द “सहने” की कोई गुंजाइश नहीं थी। पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लक्ष्यों की योजना और चयन बहुत सारे डेटा पर आधारित था। इसे प्रौद्योगिकी और मानव खुफिया जानकारी का उपयोग करके एकत्र किया गया था। कुल 21 लक्ष्यों की पहचान की गई थी, जिनमें से नौ पर हमला करना समझदारी भरा था। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
- चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुईं।
- नई दिल्ली का कहना है कि भारत के भीषण जवाबी हमले ने पाकिस्तान को शत्रुता समाप्त करने पर मजबूर किया।
ड्रोन और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने सशस्त्र बलों में ड्रोन की उच्च मांग पर जोर दिया। उन्होंने एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। “हम सितंबर या अक्टूबर तक, अपना ड्रोन ढांचा तैयार कर लेंगे।” ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और उससे मिली सीखों पर लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने उद्योग से अनुसंधान और विकास पर अधिक निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में “आत्मनिर्भरता” की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और उनकी आपूर्ति के सवाल पर किसी को भी बंधक नहीं बनाना चाहिए। चीन ने भारत-पाक संघर्ष को ‘लाइव लैब’ की तरह इस्तेमाल किया, यह एक गंभीर चेतावनी थी।
- भारत को युद्ध की सभी पांच पीढ़ियों के लिए तैयार रहना होगा।
- उद्योग को चार “सी” पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: सहयोग, सहभागिता, प्रतिस्पर्धा, शिकायत नहीं।
कांग्रेस की मांग
कांग्रेस ने लेफ्टिनेंट जनरल सिंह की ‘लाइव लैब’ वाली टिप्पणियों का हवाला देते हुए संसद में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून, 2020 को चीन को “क्लीन चिट” दे दी थी। उन्होंने सरकार से आगामी मानसून सत्र में बहस स्वीकार करने का आग्रह किया। इससे चीन द्वारा भारत के लिए सीधे और पाकिस्तान के माध्यम से पेश की जाने वाली चुनौतियों का सामूहिक जवाब दिया जा सके।
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