चुनाव आयोग निष्पक्षता विवाद : राहुल गांधी के आरोप

मुंबई : चुनाव आयोग निष्पक्षता विवाद ने देश की सियासत को एक बार फिर गर्मा दिया है। अमेरिका के बोस्टन में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान सिर्फ दो घंटे में 65 लाख लोगों ने मतदान किया, जो शारीरिक रूप से संभव नहीं है।
राहुल गांधी ने सवाल किया कि चुनाव आयोग ने 5:30 बजे तक का जो आंकड़ा दिया, वह 7:30 बजे तक अचानक कैसे बदल गया? उन्होंने इसे सुनियोजित गड़बड़ी बताया। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जब पार्टी ने चुनाव की वीडियोग्राफी की मांग की, तो आयोग ने कानून बदल दिया ताकि वे अब यह मांग ही न कर सकें।
इस पर भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी बार-बार भारत को विदेशी मंचों पर बदनाम करते हैं। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी लोकतंत्र विरोधी एजेंडे के तहत चुनाव आयोग की साख गिरा रहे हैं। यह राष्ट्रहित के खिलाफ है।”
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “निराधार और भ्रामक” बताया। आयोग के अनुसार, SSR प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से की जाती है।आयोग सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र में विशेष संशोधन के दौरान केवल 89 अपील दायर हुईं, जो हेरफेरी के आरोपों को खारिज करती हैं।
मुख्य बिंदु :
- चुनाव आयोग निष्पक्षता विवाद ने सियासी बवाल खड़ा किया
- राहुल गांधी ने चुनावी प्रक्रिया पर उठाए सवाल
- भाजपा ने बताया राष्ट्र विरोधी एजेंडा
- आयोग ने दिए कानूनी प्रक्रिया के प्रमाण
चुनावी निष्पक्षता पर संदेह :
- राहुल गांधी ने दावा किया कि भारत में संस्थाओं पर बात करना मुश्किल हो गया है, इसलिए उन्होंने विदेश में बोलने का निर्णय लिया।
- महाराष्ट्र चुनाव में 65 लाख वोट दो घंटे में
- मतदाता को औसतन 3 मिनट लगते हैं
- आयोग ने वीडियोग्राफी की मांग ठुकराई
- कानून में संशोधन कर निगरानी रोकी गई
भाजपा ने राहुल पर पलटवार किया :
- भाजपा का आरोप है कि राहुल गांधी का एजेंडा विदेशी हितों से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य भारत की छवि को नुकसान पहुँचाना है।
- प्रदीप भंडारी बोले: “राहुल का इरादा सिर्फ भारत को बदनाम करना है”
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर शक करना लोकतंत्र का अपमान
- विदेशी मंच से संस्थानों पर हमला अक्षम्य
- SSR प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :
- 2019 और 2017 में भी राहुल गांधी ने EVM और मतदाता सूची पर सवाल उठाए थे
- 1977 के बाद पहली बार इतने स्पष्ट आरोप सीधे चुनाव आयोग पर लगाए गए हैं
- कांग्रेस लंबे समय से SSR की पारदर्शिता पर सवाल उठाती रही है
कानूनी विश्लेषण : SSR और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की भूमिका
चुनाव आयोग निष्पक्षता विवाद को समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि मतदाता सूची में संशोधन कैसे होता है और आयोग किन कानूनी नियमों के तहत काम करता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराएँ :
धारा 22 : यह चुनाव अधिकारी को अधिकार देती है कि वह किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में दर्ज या हटाने का निर्णय ले सकता है।
धारा 23 : नागरिक अगर किसी गलती की शिकायत करता है या नाम छूटा हो तो वह आवेदन कर सकता है कि उसका नाम जोड़ा जाए।
धारा 24 : यदि किसी आवेदन को अस्वीकार किया गया हो, तो व्यक्ति प्रथम और द्वितीय अपील कर सकता है।
राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 65 लाख मतदाताओं के जुड़ने के मुद्दे को इसी प्रक्रिया से जोड़ा गया है। आयोग के अनुसार, इतनी बड़ी गड़बड़ी होती तो हजारों अपीलें दर्ज होतीं — जबकि महाराष्ट्र में केवल 89 अपीलें आईं।
SSR (Special Summary Revision) प्रक्रिया क्या है?
- SSR एक नियमित प्रक्रिया है, जो चुनाव से पहले की जाती है ताकि मतदाता सूची को अपडेट किया जा सके:
- SSR हर वर्ष होता है या जब भी कोई बड़ा चुनाव हो।
- इसमें 18 वर्ष से ऊपर के नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा जाता है।
- मृतक या डुप्लिकेट नामों को हटाया जाता है।
- यह प्रक्रिया राज्य निर्वाचन अधिकारियों की निगरानी में होती है।
राहुल गांधी की आलोचना इसी SSR पर केंद्रित थी, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि सभी संशोधन सार्वजनिक सूचना और दस्तावेज़ी प्रक्रिया के माध्यम से हुए।
क्या राहुल गांधी के आरोपों पर न्यायिक जांच हो सकती है?
- अगर कोई व्यक्ति या पार्टी प्रमाण के साथ अदालत जाती है, तो उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के पास अधिकार है कि वह चुनाव प्रक्रिया की जांच करवाए।
- लेकिन आयोग द्वारा नियमों के अनुपालन का दावा करने पर कानूनी चुनौती कठिन हो जाती है।
- अब तक कोई अदालती जांच या याचिका इस विशेष मामले में दाखिल नहीं हुई है।
राहुल गांधी के आरोपों ने “चुनाव आयोग निष्पक्षता विवाद” को हवा जरूर दी है, लेकिन SSR की कानूनी प्रक्रिया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराएँ चुनाव आयोग के पक्ष में दिखती हैं। भाजपा और आयोग के अनुसार, प्रक्रिया पारदर्शी रही है। अगर कांग्रेस को अपनी बात को मजबूत करना है तो उसे अब कानूनी कदम उठाने होंगे
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