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एआईसीसी ने प्रस्ताव में बताया: 2024 में गुजरात को कांग्रेस की ज़रूरत क्यों?

गुजरात में कांग्रेस की ज़रूरत क्यों?

अहमदाबाद: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के तीन दिवसीय सत्र के दौरान बुधवार को “गुजरात में कांग्रेस की ज़रूरत क्यों?” शीर्षक वाला एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया।

यह प्रस्ताव गुजरात में 1995 से लगातार सत्ता में काबिज भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की वापसी की रणनीति को रेखांकित करता है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने बताया कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य गुजरात के लोगों को यह समझाना है कि विकास और समावेशी नीतियों के लिए कांग्रेस की आवश्यकता क्यों है।

गुजरात में कांग्रेस की ज़रूरत क्यों? प्रस्ताव की मुख्य बातें

गुजरात को कांग्रेस की ज़रूरत क्यों? प्रस्ताव में “नूतन गुजरात, नूतन कांग्रेस” के आदर्श वाक्य के साथ पार्टी ने तीन मुख्य स्तंभों—आर्थिक पुनरुत्थान, सामाजिक न्याय और युवाओं के सशक्तिकरण—पर ध्यान केंद्रित किया है।

जयराम रमेश ने कहा, “गुजरात में कांग्रेस की ज़रूरत क्यों? क्योंकि भाजपा ने यहाँ के विकास को केवल और केवल कॉरपोरेट हितों तक सीमित कर दिया है।”

औद्योगिक गिरावट और बेरोज़गारी: प्रस्ताव में उठाए गए मुद्दे

गुजरात को कांग्रेस की ज़रूरत क्यों? प्रस्ताव के अनुसार, गुजरात में 80% स्टेनलेस स्टील इकाइयाँ संकट में हैं, जिनमें से एक-तिहाई बंद हो चुकी हैं। रमेश ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की चीन से सस्ते आयात की नीति के कारण स्थानीय उद्योग ध्वस्त हुए। साथ ही, राज्य में बेरोज़गारी दर 6.1% (CMIE, 2023) है, जो राष्ट्रीय औसत (5.8%) से अधिक है।

शिक्षा और स्वास्थ्य: भाजपा शासन में पिछड़ता गुजरात

रमेश ने जोर देकर कहा कि गुजरात के 50% सरकारी स्कूलों में शौचालय और पेयजल की सुविधा नहीं है (NITI Aayog, 2022)। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, राज्य में प्रति 10,000 जनसंख्या पर केवल 6 डॉक्टर हैं, जबकि केरल में यह संख्या 23 है। प्रस्ताव में कांग्रेस ने शिक्षा बजट को GDP का 6% और स्वास्थ्य पर 3% खर्च करने का वादा किया है।

किसान और मज़दूर: भाजपा की नीतियों से असंतोष

कांग्रेस ने गुजरात के 65% किसानों पर कर्ज़ के बोझ को चुनावी मुद्दा बनाया है। 2021-22 में राज्य में 1,070 किसानों ने आत्महत्या की, जो पिछले पांच वर्षों में सर्वोच्च है (NCRB)। इसके अलावा, निर्माण मज़दूरों का 40% हिस्सा अब भी न्यूनतम मजदूरी से वंचित है।

युवाओं के लिए रोज़गार: कांग्रेस का ‘रोज़गार गारंटी’ वादा

प्रस्ताव में युवाओं को रोज़गार से जोड़ने के लिए “गुजरात यूथ इनोवेशन फंड” की घोषणा की गई है। साथ ही, निजी क्षेत्र में SC/ST/OBC के लिए 27% आरक्षण और स्टार्टअप्स को टैक्स छूट का वादा किया गया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कांग्रेस का गुजरात को योगदान

जयराम रमेश ने याद दिलाया कि गुजरात के प्रमुख संस्थान जैसे IIM-Ahmedabad, नर्मदा बाँध परियोजना और गुजरात विश्वविद्यालय कांग्रेस शासन की देन हैं। 1980 के दशक में कांग्रेस ने ही राज्य में डेयरी उद्योग (अमूल मॉडल) को बढ़ावा दिया था, जो आज भाजपा सरकार की उपेक्षा का शिकार है।

2022 के चुनावी परिणाम और आगे की राह

2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिलीं, लेकिन 5 विधायकों के दलबदल के बाद पार्टी की संख्या 12 रह गई। हालाँकि, प्रस्ताव में 2027 तक गुजरात में 100+ सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए पार्टी ने 10,000 युवा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और डिजिटल मीडिया पर मुहिम तेज़ करने की योजना बनाई है।

भाजपा का जवाब: ‘कांग्रेस अतीत में जी रही है’

भाजपा प्रवक्ता यतिन ओज़ा ने प्रस्ताव को “निराशाजनक” बताते हुए कहा, “कांग्रेस गुजरात के विकास को नहीं पहचानती। आज राज्य का जीएसडीपी 22 लाख करोड़ है, जो 2014 के मुकाबले दोगुना है।”

हालाँकि कांग्रेस का गुजरात में कांग्रेस की जरूरत क्यों है? का प्रस्ताव गुजरात में एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। चाहे वह किसानों की आत्महत्या हो या युवाओं का पलायन, पार्टी इन मुद्दों को 2027 के चुनावी एजेंडे में शामिल करने इरादा बना लिया है।

हालाँकि, गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की मजबूत प्रशासनिक पकड़ तथा कांग्रेस के संगठन में भाजपा के (स्लीपर सेल) अदृश्य सहयोगियों की भरमार एवं नरेंद्र मोदी का अपने गृह राज्य गुजरात में व्यापक प्रभाव के बीच कांग्रेस के लिए यह लड़ाई कठिन है पर नामुमकिन बिल्कुल नहीं।

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