जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़: पुरी में दर्दनाक हादसा, तीन की मौत, 50 घायल

रविवार सुबह पुरी में गुंडिचा मंदिर के पास हुई जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़ ने श्रद्धालुओं के उल्लास को मातम में बदल दिया। इस दर्दनाक हादसे में कम से कम तीन लोगों की जान चली गई। 50 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए हैं। यह घटना सुबह लगभग 4 बजे सरधाबली इलाके में घटी।
- पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ एस स्वैन ने इस दुखद घटना की पुष्टि की।
- घायलों को तत्काल प्रभाव से नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- छह लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है, जो चिंता का विषय है।
हादसे के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की, सभी घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल छह लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है, जो पूरे शहर के लिए चिंता का विषय है। घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल दी जा रही है ताकि वे जल्द स्वस्थ हो सकें।
मुख्य बिंदु :
- भगदड़ में तीन की मौत, पचास से अधिक श्रद्धालु घायल, अफरा-तफरी का माहौल।
- गुंडिचा मंदिर के पास ट्रकों के प्रवेश से मची भगदड़, पुलिस पर उठे सवाल।
- एंबुलेंस की देर से पहुंच, घायलों को समय पर इलाज न मिल पाने की शिकायतें।
- ‘पहाड़ा’ अनुष्ठान से पहले भीड़ अनियंत्रित, प्रशासन की तैयारी पर सवाल।
- पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने हादसे को सरकार की ‘भयानक विफलता’ बताया।
- भक्तों की रातभर मौजूदगी, दर्शन की अफवाहों ने और बढ़ाई भीड़।
- जगन्नाथ रथ यात्रा की पवित्रता को हादसे ने गहरे रूप से झकझोरा।
मृतकों की पहचान और हताहतों का विवरण
इस दुखद घटना में जान गंवाने वालों की पहचान हो गई है। मृतकों में बोलागढ़ की बसंती साहू (36) शामिल हैं। बालीपटना के प्रेमकांत मोहंती और प्रवती दास भी मृतकों में शामिल हैं। पीटीआई और एनडीटीवी ने इन मौतों की पुष्टि की है।
- पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ स्वैन ने बताया कि मृतकों में दो महिलाएं थीं।
- यह घटना वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान घटी है।
- प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया था।
यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों द्वारा जारी की गई है ताकि स्पष्टता बनी रहे। यह घटना वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान घटी, जिससे उत्सव पर दुख का साया पड़ा। मृतकों के परिवार गहरे सदमे में हैं और पूरे शहर में शोक का माहौल है।
ट्रकों का अप्रत्याशित प्रवेश, मची अफरा-तफरी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, चरमाला लकड़ी से लदे दो ट्रक अचानक घुसे। वे गुंडिचा मंदिर के पास सरधाबली इलाके में आए। यहां 1,500 से अधिक श्रद्धालु बैठे हुए थे। वे रथों में देवताओं के अनावरण का इंतजार कर रहे थे।
- ट्रकों के अचानक प्रवेश से भक्तों के बीच भारी अफरा-तफरी मच गई थी।
- चंद पलों में ही स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई थी।
- श्रद्धालु खुद को बचाने के लिए भागने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति बनी।
यह हृदय विदारक दृश्य था, जहाँ लोग एक-दूसरे को कुचल रहे थे। हर तरफ चीख-पुकार और मदद की गुहार सुनाई दे रही थी, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं और भीड़ नियंत्रण में स्पष्ट चूक दिख रही थी।
अपर्याप्त व्यवस्था और एंबुलेंस की देरी
NDTV के अनुसार, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में यह बात सामने आई है। घटनास्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने की पुलिस व्यवस्था अपर्याप्त थी। एंबुलेंस भी घटनास्थल से कम से कम एक किलोमीटर दूर खड़ी थी।
- इससे बचाव कार्य में महत्वपूर्ण देरी हुई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
- समय पर सहायता न मिलने से कई घायलों की हालत गंभीर हो गई।
- यह प्रशासनिक लापरवाही का एक स्पष्ट संकेत प्रतीत होता है।
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि आधी रात के बाद द्वार बिना कारण बंद कर दिए गए। इस अचानक द्वारबंदी से भक्तों में बेचैनी फैल गई, जो एक मुख्य कारण बना। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
अनुष्ठान में देरी और भगदड़ का कारण
यह घटना ‘पहाड़ा’ अनुष्ठान शुरू होने से ठीक पहले हुई थी। इस अनुष्ठान के कारण भक्तों की अचानक भीड़ उमड़ी। वे रथों पर स्थापित देवताओं की एक झलक पाना चाहते थे। भुवनेश्वर और पुरी से मिली रिपोर्टों के अनुसार, रात भर भारी भीड़ जमा थी। शुक्रवार को भी रथ खींचने के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति बनी थी। उस दौरान 700 से अधिक भक्तों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। उन्हें दम घुटने और मतली की शिकायतें आई थीं, जो चिंताजनक था।
- यह भीड़ ‘पहाड़ा’ अनुष्ठान शुरू होने पर पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी।
- इस अनियंत्रित स्थिति ने जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़ का कारण बनाया।
- प्रशासन को ऐसी अप्रत्याशित भीड़ के लिए तैयार रहना चाहिए था।
पूर्व घटनाएं और रथ खींचने की चुनौतियां
अधूरा छोड़ा गया रथ खींचने का काम रविवार सुबह फिर से शुरू हुआ था। रविवार को अडापा मंडप बिजे अनुष्ठान करने का फैसला किया गया था। इसका मतलब था कि देवता रात भर रथों के ऊपर ही रहेंगे। सूत्रों के अनुसार, ‘पहाड़ा’ अनुष्ठान आमतौर पर रात में नहीं किया जाता है। यह भी भीड़ बढ़ने का एक कारण बना, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई। प्रशासन को ऐसी अफवाहों पर भी ध्यान देना चाहिए था।
- लेकिन देवताओं के दर्शन सुबह जल्दी उपलब्ध होने की खबर फैल गई थी।
- इस खबर ने रात में भक्तों की भीड़ को और बढ़ा दिया था।
- परिणामस्वरूप, अनुष्ठान को रात 1:30 से 2:00 बजे के बीच आयोजित किया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और उच्च स्तरीय जांच के आदेश
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने घटना की गहन जांच का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को घटना के बारे में तुरंत सूचित किया गया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाई.बी. खुरानिया ने भी घटनास्थल का दौरा किया।
- बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने स्थिति को ‘भयानक गड़बड़ी’ बताया है।
- उन्होंने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की और अपनी चिंता व्यक्त की।
- पूर्व मुख्यमंत्री ने तत्काल सुधारात्मक उपाय लागू करने का आग्रह किया है।
- पटनायक ने कहा कि “पुरी मंदिर के पास की जगन्नाथ रथ यात्रा भगदड़ सरकार की अक्षमता दिखाती है।”
उन्होंने महाप्रभु जगन्नाथ से जिम्मेदार लोगों को क्षमा करने की प्रार्थना की है, जो इस दुखद घटना में शामिल हैं। यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
रथ यात्रा का महत्व और भक्तों की अटूट आस्था
भगवान जगन्नाथ की भव्य वार्षिक रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इसमें भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को तीन बड़े रथों पर खींचा जाता है। वे जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाती हैं। यह उत्सव 1 जुलाई को समाप्त होगा। यह उत्सव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसमें सीधे भगवान के दर्शन होते हैं। भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्तों की अटूट आस्था देखी जाती है, जो इस आयोजन की विशेषता है। हालांकि, यह घटना इस पवित्रता पर एक गहरा आघात है।
- दुनिया भर से श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने आते हैं, यह एक भावनात्मक क्षण होता है।
- दुबई से आए श्रद्धालु उमेश मल्होता ने इसे भगवान जगन्नाथ का दुर्लभ दर्शन बताया।
- एक अन्य भक्त ने कहा कि भगवान स्वयं दर्शन देने बाहर आते हैं।
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